राजस्थान के सात लाख कर्मचारियों ने बजाया आंदोलन का बिगुल, पहले चरण की बनाई ये रणनीति, जानिए क्यों बढ़ रही है नाराजगी

जयपुर 

राजस्थान के 7 लाख कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ आंदोलन का बिगुल बजा दिया है। कर्मचारी संगठनों ने आंदोलन के पहले चरण की रणनीति का भी खुलासा कर दिया है। कर्मचारियों में नाराजगी की बड़ी वजह सरकार द्वारा खेमराज कमेटी का कार्यकाल बार-बार बढ़ाना है।

राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के अध्यक्ष गजेन्द्र सिंह ने इसी नाराजगी को जताने के लिए आंदोलन के पहले चरण का खुलासा कर दिया है। उन्होंने घोषणा की कि 24 अगस्त से आंदोलन शुरू किया जाएगा। इसके तहत 24 अगस्त को सभी जिलों में कर्मचारी जिला प्रशासन को सीएम के नाम ज्ञापन देंगे और 27 अगस्त को उदयपुर में बड़ी रैली निकाली जाएगी। कर्मचारियों की मांग है कि सामंत कमेटी और खेमराज कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए और वेतन विसंगति दूर की जाए।

कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के अध्यक्ष गजेन्द्र सिंह ने खेमराज कमेटी का कार्यकाल फिर बढ़ाने पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि इससे पहले बनी सामंत कमेटी की रिपोर्ट भी सरकार ने 3 साल बाद भी सार्वजनिक नहीं की है। इससे राज्य कर्मचारियों में गहरी नाराजगी है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनावी साल से पहले बार-बार कर्मचारियों के हितों से जुड़ी कमेटी का कार्यकाल बढ़ा कर सरकार उनकी बुनियादी मांगों को टालने की कोशिश कर रही है।

कर्मचारियों में इसलिए बढ़ रहा आक्रोश
आपको बता दें कि सरकार ने हाल ही में खेमराज कमेटी का कार्यकाल 31 अगस्त, 2022 से बढ़ाकर 31 दिसंबर, 2022 तक कर दिया है। सरकार ने खेमराज कमेटी का कार्यकाल सरकार ने तीसरी बार बढ़ाया है। खेमराज कमेटी वेतन विसंगति दूर करने के लिए बनाई गई थी। इससे पहले भाजपा के राज में पूर्व मुख्य सचिव डीसी सामंत की अध्यक्षता में वेतन विसंगति निवारण कमेटी 3 नवंबर 2017 को बनाई गई थी। सामंत कमेटी की रिपोर्ट भी 2019 से अभी तक ठंडे बस्ते में पड़ी है।

सामंत कमेटी का कार्यकाल भी 4 बार 8 मई 2018, 8 अगस्त 2018, 31 दिसंबर 2018 और 4 जुलाई 2019 को कार्यकाल बढ़ाया गया। हालांकि 5 अगस्त 2019 को कमेटी ने सरकार को रिपोर्ट सौंप दी थी। लेकिन उसे अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। सरकार अभी इसका परीक्षण ही करवा रही है। 

इसके बाद बाकी बचे मसलों और वेतन विसंगति मामलों के हल के लिए रिटायर्ड आईएएस खेमराज की अध्यक्षता में 5 अगस्त, 2021 को गहलोत सरकार ने वेतन विसंगति परीक्षण समिति बनाई। इसका  कार्यकाल 1 नवंबर 2021 को 3 महीने के लिए बढ़ाया। फिर 3 फरवरी 2022 को 6 महीने के लिए फिर बढ़ा दिया गया। 5 अगस्त को खेमराज कमेटी का कार्यकाल 31 दिसंबर 2022 तक बढ़ा दिया गया है। इससे राज्य के 7 लाख कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ रहा है। कर्मचारियों को डर है कि सामंत कमेटी की रिपोर्ट की तरह खेमराज कमेटी की रिपोर्ट का भी वही हश्र नहीं हो जाए। कर्मचारी चाहते हैं कि सरकार दोनों कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक करे।

कर्मचारियों की ये है मांग
कर्मचारियों की मांग है कि खेमराज कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजानिक किया जाए। पे मेट्रिक्स केन्द्र के बराबर कर  2400 की ग्रेड को 9840 किया जाए। चयनित वेतनमान 9-18-27 की जगह 8-16-24-32 किया जाए। सहायक कर्मचारियों का वेतन 18 हजार और पदनाम एमटीएस किया जाए। मंत्रालयिक कर्मचारियों की सचिवालय सेवा में सेकंड प्रमोशन का पद 4200 ग्रेड पे का किया जाए है। इसी तरह संविदा कर्मचारियों से किए गए वादों को सरकार पूरा करे।

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