मुम्बई
घरेलू हिंसा से जुड़े एक अनोखे केस में पत्नी के अलावा उसके 3 कुत्तों के लिए भी अब पति को गुजारा भत्ता देना होगा। मुम्बई की एक अदालत ने यह आदेश दिया है और कहा है कि जानवर भी भावनात्मक कमी को पूरा करते हैं। लिहाजा पत्नी को उसके तीन कुत्तों के लिए भी पति को गुजारा भत्ता देना होगा। दरअसल 2021 में पति से अलग हुई महिला ने भरण-पोषण के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। महिला का कहना था कि उसके पास आय का कोई स्रोत नहीं है। वह बीमार है और उसे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं। उसके पास तीन कुत्तों को पालने की भी जिम्मेदारी है।
मामला तलाक ले चुकी 55 साल की महिला का है, जिसकी अपील थी कि उसके अलावा 3 रॉटवीलर्स के लिए भी पति भरण-पोषण दे। इस पर अदालत ने अपने फैसले में कहा कि पालतू जानवर भी एक सभ्य जीवन शैली का अभिन्न अंग हैं और मनुष्य के लिए स्वस्थ जीवन जीने के लिए जरूरी हैं। तलाक से टूटे रिश्तों के कारण होने वाली किसी भी भावनात्मक कमी को कुत्ते पूरा करते हैं। पालतू जानवर खुशहाली लाते हैं। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोमल सिंह राजपूत ने घरेलू हिंसा (डीवी) अधिनियम के तहत एक 55 वर्षीय महिला द्वारा दायर याचिका पर यह टिप्पणी की। और आदेश दिया कि महिला को 50 हजार रुपए प्रतिमाह का गुजारा भत्ता दिया जाए। अदालत ने कहा कि पति को बिजनेस में नुकसान हुआ, इसके ठोस सबूत नहीं हैं, इसलिए वह अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता।
यह था मामला
महिला ने 1986 में शादी की और पति के साथ दक्षिण भारत के एक शहर में रहने लगी। उनकी दो बेटियों की शादी विदेश में हुई है। 2021 में महिला पति से अलग होकर मुंबई आ गई। याचिका में महिला ने कहा कि उसके पास कमाई का कोई जरिया नहीं है और बीमार रहती है। पहले महिला के पति ने उसे गुजारा भत्ता और बुनियादी जरूरतें मुहैया कराने का आश्वासन दिया था। याचिका में महिला ने कहा- बाकी जरूरतों के अलावा, मेरे तीन रॉटवीलर कुत्ते भी मुझ पर निर्भर हैं। इसलिए मुझे 70 हजार रुपए हर माह गुजारा-भत्ता दिलाया जाए।
कोर्ट में महिला के पति ने कहा कि उसकी कोई गलती नहीं है, उसकी पत्नी अपनी मर्जी से घर छोड़कर गई है। पति ने कहा कि उसे बिजनेस में घाटा हुआ है, इस कारण वह उसे किसी भी तरह का भरण-पोषण नहीं दे सकता। हालांकि उसने पहले कुछ पैसा महिला को दिया था।
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