झट सुनवाई-पट सजा: एक दिन में उम्रकैद और चार दिन में फांसी की सजा सुनाने वाले जज का निलंबन वापस, सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी नाराजगी

पटना 

एक जज ने पॉक्सो एक्ट के एक मामले में महज एक दिन की सुनवाई के बाद आरोपी को उम्रकैद की सजा सुना दी और दूसरे मामले में चार दिन की सुनवाई के बाद फांसी की सजा दी थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने तुरंत इंसाफ दिलाने वाले इस जज को निलंबित कर दिया। मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया। सुप्रीम कोर्ट ने जज के निलंबन पर नाराजगी जताई और कहा कि जब तक किसी जज के खिलाफ दुर्भावना या भ्रष्टाचार जैसा कुछ स्पष्ट कारण न हो, तब उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की इस तीखी टिप्पणी के बाद अब जज का निलंबन वापस ले लिया गया है।

मामला बिहार के अररिया का है। दरअसल अररिया में पॉक्सो स्पेशल कोर्ट में तैनात जज शशिकांत राय ने कई मामलों का स्पीडी ट्रायल किया था। पिछले साल उन्होंने महज एक दिन में पॉक्सो एक्ट के एक मामले में फैसला सुना दिया और रेप के आरोपी को उम्रकैद की सजा हुई। इसके अलावा एक अन्य मामले में उन्होंने महज चार दिन में फैसला सुनाते हुए एक आरोपी को पॉक्सो एक्ट के तहत फांसी की सजा सुनाई थी। पटना हाईकोर्ट के संज्ञान में जब ये मामला आया तो उसने इस साल फरवरी में जज शशिकांत राय को निलंबित कर दिया।

मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। जस्टिस यूयू ललित और एस रविंद्र भट्ट की बेंच ने जज के निलंबन पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जब तक किसी अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार और दुर्भावना का स्पष्ट कारण न हो, तब तक उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। ज्यादा से ज्यादा आप यह कह सकते हैं कि वह ज्यादा उत्साही अधिकारी हैं। आखिरकार यह संस्था का मामला है, जब किसी न्यायायिक अधिकारी के खिलाफ कुछ कहा जाता है तो उसका असर संस्था पर पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इससे ये संदेश जाएगा कि न्याय देने वाले को ही दंडित किया जा रहा है। SC ने पटना हाईकोर्ट को अपने फैसले पर फिर से विचार करने के लिए 10 दिन का समय दिया था।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद पटना हाईकोर्ट ने पॉक्सो एक्ट के तहत बच्चों को तुरंत इंसाफ दिलाने वाले जज शशिकांत राय का निलंबन वापस ले लिया है। शशिकांत राय 2007 में बिहार न्यायिक सेवा से जुड़े थे। उनका अच्छा अकादमिक और प्रोफेशनल बैकग्राउंड रहा है। 2014 में उनका सिविल जज और फिर 2018 में जिला जज के पद पर प्रमोशन हुआ था। जब उन्हें पॉक्सो कोर्ट की जिम्मेदारी मिली तो उन्होंने बच्चों से यौन शोषण से जुड़े कई मामलों का जल्दी ट्रायल किया और आरोपियों को सजा दिलाई।

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