रूक्टा (राष्ट्रीय) का नाम बदला, अब नया नाम होगा एबीआरएसएम (राजस्थान उच्च शिक्षा) | प्रादेशिक अधिवेशन में कार्यकारिणी का भी गठन, जानिए कौन क्या बना

कोटा 

कोटा के वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय में सोमवार को सम्पन्न हुए रुक्टा राष्ट्रीय के दो दिवसीय 61वें  प्रांतीय अधिवेशन में संगठन का नाम बदलने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया। इसके बाद अब रूक्टा (राष्ट्रीय) संगठन अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (राजस्थान उच्च शिक्षा) के नाम से जाना जाएगा। अधिवेशन में संगठन की प्रादेशिक कार्यकारिणी की भी घोषणा कर दी गई। अधिवेशन में महिलाओं के दायित्व पर भी चर्चा हुई।

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नई कार्यकारिणी में संगठन के अध्यक्ष के रूप में डॉ. दीपक शर्मा और महामंत्री डॉ. सुशील कुमार बिस्सू का चयन किया गया।  इसके साथ ही कार्यकारिणी में संगठन मंत्री डॉ. दिग्विजय सिंह, वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. गंगाराम, अतिरिक्त महामंत्री डॉ. रिछपाल सिंह, सह संगठन मंत्री जयपुर, जोधपुर, चित्तौड़ प्रांत सुरेश सोनी, गीताराम शर्मा, हरिसिंह राजपुरोहित, उपाध्यक्ष मनोज बेहरवाल, सतीश त्रिगुनायत, ओपी देवासी, रेणु वर्मा, सुभाष चन्द्र बनाए गए हैं।

इसके साथ ही कार्यकारिणी में अशोक महला, कश्मीर भट्ट, चंद्रवीर सिंह भाटी, लता शर्मा और बालूदान सचिव बनाए गए हैं। वहीं रामस्वरूप मीना, श्याम लाल, अशोक स्वामी, शोभा गौतम, डॉ. कपिल गौतम अतिरिक्त सचिव होंगे। वहीं कर्मवीर सिंह, रामसिंह, नेमीचंद, शशीकांत, राजेश जोशी, संजय तोमर कार्यकारिणी सदस्य होंगे। प्रचारकों में ओमप्रकाश पारीक, विवेक मडोत, शैक्षिक प्रकोष्ठ में अनिल दाधीच, देवीशंकर, कोषाध्यक्ष में डॉ. अतुल अग्रवाल व कमल मिश्रा के अलावा संजीव त्यागी, अतुल शर्मा, रामचरण मीना, रामनिवास चौधरी व डॉ. शंकर को भी शामिल किया गया।

सम्पन सत्र में अध्यक्षीय संबोधन राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. जेपी सिंघल का हुआ। इस मौके पर उन्होंने कहा कि आज बदलाव कि जरूरत है और हमें नए संकल्प के साथ मैदान में उतरना होगा। मुख्य अतिथि हनुमान सिंह राठौड़ ने कहा कि हमें अपना कार्य विस्तार करना होगा और महिलाओं की टोली को नए दायित्व देने होंगे तथा उनकी समस्याओं को भी दूर करना होगा। राठौड़ ने कहा कि अभिभावकों को भी जागरूक करना होगा तभी समाज को नई दिशा मिल सकेगी।

संगठन मंत्री महेन्द्र कपूर ने कहा कि हमें बदलाव करना होगा और इसके लिए शिक्षकों की भूमिका कारगर साबित होगी। हमारा संगठन एक परिवार के रूप में कार्य कर रहा है और इसी कड़ी को मजबूत करना होगा। कार्यक्रम में नए संगठन अध्यक्ष डॉ. दीपक शर्मा ने कहा कि हमें अपने काम के दायरे को बढ़ाना होगा और संगठन में माताओं-बहनों को तरजीह देनी होगी। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुशील बिस्सू ने किया। कार्यक्रम में संगठन ने कलेंडर भी जारी किया।

समर्थ-समरस भारत के लिए जनसंख्या नीति बने : राठौड़
कोटा के वर्द्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय में हो रहे रुक्टा राष्ट्रीय के प्रांतीय अधिवेशन के दूसरे दिन सोमवार को पहले सत्र में शैक्षिक संगोष्ठी आयोजित हुई। समर्थ और समरस भारत के लिए जनसंख्या नीति की आवश्यकता पर शैक्षिक संगोष्ठी में संभागियों ने तथ्यपरक शोधपत्र प्रस्तुत किए। डॉ. अन्नाराम डॉ. अशोक महला, डॉ. गजादान चारण, डॉ. अनुप आत्रेय, डॉ. काश्मीर भट्ट और डॉ. धीरज पारीक ने अपने शोध पत्रों के माध्यम से भारत के उत्तम स्वास्थ्य और गरीबी उन्मूलन के साथ-साथ राष्ट्र के समुचित कल्याण की दिशा में एक उचित जनसंख्या नीति की आवश्यकता पर जोर दिया।

सभी शोधपत्रों का समन्वित सार रहा कि यदि स्पष्ट राष्ट्रीय जनसंख्या नीति नहीं बनी तो देश में वर्ग विशेष की बढ़ती जनसंख्या से भविष्य में भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों पर एक बड़ा कुठाराघात होगा।  संगोष्ठी के मुख्य वक्ता राजस्थान क्षेत्र कार्यकारिणी सदस्य हनुमान सिंह राठौड़ ने कहा कि आज हर देश अपने-अपने संसाधनों के चलते जनसंख्या नीति पर विचार करता आया है। जनसंख्या वृद्धि और जनसंख्या असन्तुलन दोनों पृथक विषय हैं।

राठौड़ ने कहा कि कल्याणकारी राज्य की दिशा में नि:शुल्क वस्तु और अनाज वितरण की परम्परा घातक है, अकर्मण्यता की द्योतक है और जनसंख्या वृद्धि के लिये उत्तरदायी है। जनसंख्या असंतुलन में क्रीप्टो क्रिश्चियन व्यवस्था पूतना राक्षसी की तरह और दोषपूर्ण इस्लामी परंपराएं ताड़का राक्षसी की भांति हैं जो भारत की सार्वकालिक समृद्धि में बडी बाधाएं हैं। चीन के आर्थिक संकट का बडा कारण भी यही हैं। सर्वसमावेशी भारतीय संस्कृति और समुचित संसाधनों के संरक्षण की दिशा में इस असंतुलन को समाप्त करना नितांत जरूरी है।

संगोष्ठी के अध्यक्षीय उद्बोधन में महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अनिल शुक्ला ने बढती जनसंख्या में जन्मदर को नियंत्रित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वृद्धि और असंतुलन दोनों को पाटने की दिशा में शिक्षा, शिक्षक और शोधार्थी योजक कड़ी बनकर देश के उत्थान में योगदान दे सकते हैं। संगोष्ठी का काव्यमय संचालन डॉ. ओमप्रकाश पारीक ने किया।

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