फिर एक तारीख! सरकार ने समायोजित शिक्षाकर्मियों का मामला सुप्रीम कोर्ट में फिर अटकाया, अब इस डेट को आएगा डिसीजन

जयपुर 

तारीख पर तारीख! राजस्थान के समायोजित शिक्षाकर्मियों के ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) के  मामले में यही हो रहा है। राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एकबार फिर तारीख लेकर इस मामले को फिर से अटका दिया है।

समायोजित शिक्षाकर्मियों को पुरानी पेंशन देने के मामले में नौ सितम्बर को आ सकता है सुप्रीम फैसला

समायोजित शिक्षाकर्मियों के ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) के  मामले में फैसला 9 सितम्बर को होने वाला था। लेकिन सरकारी वकील ने उस पर फिर नई डेट मांग ली। अब मामले की सुनवाई 13 अक्टूबर को होगी। माना जा रहा है कि उस दिन सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा।

समायोजित शिक्षाकर्मियों के प्रांतीय  प्रवक्ता नवीन कुमार शर्मा ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय की बेंच संख्या 15 में न्यायाधीश अनिरुद्ध बोस जस्टिस विक्रम नाथ की खंडपीठ में पुरानी पेंशन संबंधी  अपनी एसएलपी पर राजस्थान सरकार के विरुद्ध महत्वपूर्ण सुनवाई हुई  जिसमें सोसायटी की ओर से वरिष्ठअधिवक्ता गुरु कृष्ण कुमार तथा परमजीत सिंह पटवालिया ने खंडपीठ को अवगत कराया कि हमारे पक्षकार की ओर से लिखित सबमीशन प्रस्तुत किए जा चुके हैं तथा हम अंतिम बहस हेतु पूर्णतः तैयार है। लेकिन सरकारी पक्ष के अधिवक्ता ने मामले में लंबी बहस की जरूरत बताते हुए आगे डेट  मांग ली जिसका समायोजित शिक्षाकर्मियों ने कड़ा विरोध किया और मांग की कि अब अंतिम व पूर्ण बहस हेतु एक निश्चित तिथि  दी जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 13 अक्टूबर को सुनवाई की डेट तय कर दी।

अब राजस्थान सरकार को शायद ही नई डेट मिले
आपको बता दें कि जिस दिन समायोजित शिक्षाकर्मियों के ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) के  मामले में सुनवाई चल रही थी; उसी दिन एक अन्य मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ कोर्ट में तारीख पर तारीख की कल्चर पर गहरी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। उन्होंने सुनवाई के दौरान संकल्प व्यक्त किया कि तारीख पर तारीख की कल्चर को अब बदलाना होगा। इसलिए अब माना जा रहा है कि 13 अक्टूबर को समायोजित शिक्षकर्मियों के मामले में शायद ही अब कोई नई डेट मिले।

फैसला आ चुका; लेकिन अटका रही सरकार
दरअसल समायोजित शिक्षकर्मियों को OPS देने केमामले में सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना चुका है। लेकिन राजस्थान सरकार किसी न किसी बहाने नई तारीख लेकर मामले को लम्बा खींच रही है। कानूनी एक्सपर्ट मानते हैं कि मामले में सरकार की हार तय है लेकिन वह अनावश्यक रूप से इसे लम्बा खींच रही है। कानूनी एक्सपर्ट के अनुसार जब सुप्रीम  कोर्ट किसी मामले में फैसला सुना चुका है तो अमूमन उसके बदलने की गुंजाइश बहुत कम रहती है।

यह है पूरा मामला
दरअसल राजस्थान समायोजित शिक्षाकर्मी संघ राजस्थान और राजस्थान समायोजित शिक्षाकर्मी वेलफेयर सोसायटी द्वारा 2011 में राजकीय विद्यालयों तथा महाविद्यालयों में समायोजन के पश्चात 25 जुलाई, 2012 में  पुरानी पेंशन को लेकर उच्च न्यायालय जोधपुर में परिवाद दायर किया था जिस पर उच्च न्यायालय जोधपुर ने 1 फरवरी, 2018 को पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल करने का फैसला सुनाया।

इस पर नाखुश राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट  में विशेष अनुमति याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने 13 सितंबर, 2018 को  राजस्थान सरकार की विशेष अनुमति याचिका को यह मानकर खारिज कर दिया कि उच्च न्यायालय जोधपुर का पुरानी पेंशन देने का फैसला सही है। इसके बाद सरकार फिर सुप्रीम कोर्ट में चली गई और अब मामले को लम्बा खींच रही है।

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