सुखद खबर: वाल्मीकि समाज की बेटी के सिर से उठा पिता का साया तो गांवों वालों ने निभाई ब्याह की सारी रस्में

जालौर 

राजस्थान का एक जिला है जालौर और इस जिला मुख्यालय से दस किमी दूर एक गांव है सांकरणा। जातिगत विद्वेष की आपाधापी के बीच इस गांव से बेहद सुखद खबर आई है। और इसी सुखद खबर ने इस गांव को अचानक चर्चा में ला दिया है। सारे जाति-बंधनों को तोड़कर इस गांव ने जो सामजिक समरसता की मिसाल पेश की है, वही चर्चा में आने की खास वजह है।

दरअसल सांकरणा गांव की एक बेटी है पूजा। वह वाल्मीकि समाज से है। उसके सिर से पिता जगदीश कुमार का साया उठ गया था। बेटी सयानी हो चली थी। परिवार के लोगों को उसके ब्याह की चिंता सताने लगी थी। ऐसे में गांव वालों ने अपने जातिगत भेदभाव को भुलाते हुए उसे बेटी के रूप में अपना लिया और फिर सभी ग्रामीणों ने मिलकर उसके ब्याह की सारी रस्में धूमधाम से अदा कर सामाजिक समरसता की एक अद्भुत मिसाल प्रस्तुत की।

शादी की जिमेदारी उठाने मुम्बई से आया प्रवासी परिवार
वाल्मीकि सामज की इस बेटी  का विवाह गांव के ही व्यक्ति सुरेश सिंह पुत्र भैरुसिह राजपुरोहित  के नेतृत्व में समस्त ग्रामवासियों ने किया। सुरेश सिंह राजपुरोहित ने अपने स्वयं के घर में शादी करवा कन्यादान किया  और शादी के दौरान उस परिवार को परिवार भाव के साथ अपने  घर में रखा। दरअसल  सुरेशसिंह राजपुरोहित अपने परिवार सहित मुंबई में रहते हैं। लेकिन पुश्तैनी गांव सांकरणा है। करीब चार माह पूर्व अपने पुत्र की शादी के लिए गांव आए थे।

इस दौरान यह वाल्मीकि परिवार भी शादी समारोह में आमंत्रित था। आयोजन के दौरान ही सुरेश सिंह राजपुरोहित की पत्नी सरस्वती देवी को इस परिवार की परेशानी की जानकारी मिली तो उन्होंने दर्द को समझते हुए अपने पति सुरेश सिंह को इस बारे में अवगत करवाया। इस पर उन्होंने न केवल बेटी की शादी का व्यय उठाने का आश्वासन दिया। बल्कि अपने घर से विदा करने का संकल्प लिया

फिर क्या था इसी शादी समारोह के लिए पूरा राजपुरोहित परिवार करीब 15 दिन पहले ही मुंबई से सांकरना पहुंच गया। शादी की तमाम व्यवस्थाएं कीं। राजपुरोहित परिवार ने बाकायदा सभी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए बेटी को विदा किया। इस पहल में गांव के सभी वर्ग के लोग सहभागी बने और यथाशक्ति बेटी के लिए सहयोग किया। विशेष  बात यह है कि स्वच्छता कार्य करने वाली महिला का गांव भर में व्यवहार और विनम्रता इतनी अच्छी है कि गांव के साथ अनेक प्रवासी भी इस विवाह समारोह के लिए मुंबई से गांव तक आए।

महिलाओं ने गाए मंगलगान
बैन्ड व ढोल थाली से  सभी ग्राम वासियों द्वारा बारात  का स्वागत किया गया। उच्च वर्ग की महिलाओं ने सज धज कर मंगल गीत गए और वाल्मीकि समाज के दूल्हे का स्वागत किया एवं उसी प्रकार गांव के सभी लोगों ने अपनी बेटी को विदाई भी दी।

गांव वालों ने इतने उपहार दिए कि  ट्रैक्टर ट्रॉली भर गई
बरात का स्वागत कर‌‌ सुन्दर टेन्ट व्यवस्था में सुरुचिपूर्ण भोजन ‌के साथ ही  कन्या को कन्या दान में 7 तोला सोना, आधा किलो चांदी, ‌घर गृहस्थी के सभी भौतिक संसाधन, बर्तन, कपड़े, नकद रुपए भेंट किए। गांव भर के लोगों ने अपने गांव की बेटी के लिए इतने उपहार दिए की ट्रैक्टर की ट्रॉली भर गई। सर्व समाज के लोगों ने कन्या दान में राशि दी। सुरेश सिंह राजपुरोहित, गोपाल सिंह राजपुरोहित, बाबूसिंह राजपुरोहित हंसाराम खवास, राजपुरी गोस्वामी, देवीसिंह राजपुरोहित सहित  ग्रामवासियों ने समस्त मेहमानों का सम्मान किया।

दूसरी बेटी का उठाया बीड़ा
गांव की इस बेटी की शादी के साथ ही सुरेशसिंह व उनकी पत्नी सरस्वती देवी ने एक अन्य युवती की शादी का बीड़ा भी उठाया है। यह रेगर समाज की बेटी है और सांकरना गांव की भानजी है। इस परिवार की शादी का आश्वासन भी परिवार ने दिया है। जो आगामी वर्ष में सुरेशसिंह राजपुरोहित के परिवार की मौजूदगी में होगी।

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