जयपुर
उच्च शिक्षा के लिए बजट में पर्याप्त प्रावधान नहीं किए जाने के कारण राजस्थान के कॉलेज और यूनिवर्सिटीज का ढांचा चरमरा गया है। इससे शिक्षक और विद्यार्थी दोनों ही जूझ रहे हैं। स्थितियां ये हैं कि कही कॉलेज के लिए पर्याप्त भवन नहीं है तो कहीं शिक्षकों के पद खाली पड़े हुए हैं। वहीं कॉलेज और यूनिवर्सिटीज के शिक्षकों की समस्याओं का भी निराकरण नहीं हो पाया है।
रुक्टा (राष्ट्रीय) ने राजस्थान में कॉलेज और यूनिवर्सिटीज के बिगड़ते ढांचे को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है और मांग की है कि प्रदेश में उच्च शिक्षा के ढांचे को सुधारना है तो राज्य के 2023-24 के बजट में इसके लिए पर्याप्त प्रावधान किए जाएं। संगठन के महामंत्री डॉ. सुशील कुमार बिस्सू ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में जिन मुख्य प्रावधानों की बात कही है उनमें मांग की गई है कि राज्य में खोले गए नए राजकीय महाविद्यालयों का संचालन सोसायटी के माध्यम करने के प्रावधान को वापस लिया जाए।
इसके साथ ही पत्र में राज्य के राजकीय महाविद्यालयों में शिक्षकों, शारीरिक शिक्षकों, पुस्तकालयाध्यक्षों के 3500 से अधिक रिक्त पदों और अशैक्षणिक कर्मचारियों की रिक्त पदों को यथाशीघ्र भरने ,राज्य के सरकारी विश्वविद्यालयों में सभी रिक्त शैक्षणिक व अशैक्षणिक पदों को त्वरित भरने, राज्य के महाविद्यालय शिक्षकों हेतु हाल ही में लागू यूजीसी रेगुलेशन 2018 में महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष करने के प्रावधान को शीघ्र लागू करने, राज्य के विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षकों को सीएएस के तहत वरिष्ठ वेतनमान, चयनित वेतनमान, सह आचार्य एवं आचार्य पद के लम्बित प्रक्रिया को प्रतिवर्ष निश्चित समयावधि में पूर्ण करने की मांगें भी की गई हैं।
पत्र में बताया गया कि राज्य की उच्च शिक्षा में अभी विद्यार्थी शिक्षक अनुपात लगभग 100:1 है, जिसे यूजीसी के प्रावधानों के अनुसार स्नातक कला में 30:1 तथा स्नातक विज्ञान में 25:1 किया जाए। पत्र में मुख्यमंत्री को स्मरण दिलाया गया कि विधानसभा चुनाव में जारी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जन घोषणा पत्र में विद्यार्थियों के अनुपात में कक्षा वर्ग के निर्धारण एवं शिक्षकों की नियुक्ति सुनिश्चित करने का उल्लेख किया गया था। तदनुरूप विद्यार्थियों के अनुपात में कक्षा वर्ग के निर्धारण एवं शिक्षकों की नियुक्ति सुनिश्चित की जाए। पत्र में प्रदेश की महाविद्यालयों में लंबे समय से संविदा पर कार्यरत कार्मिकों को जन घोषणा पत्र के अनुरूप नियमित करने की मांग की गई है।
RVRES शिक्षकों के पदनाम-परिवर्तन की मांग
पत्र में RVRES शिक्षकों के पदनाम-परिवर्तन एवं उनको सीएएस के लाभ प्रदान की मांग भी उठाई गई है।पत्र में कहा गया कि कांग्रेस के जन घोषणा पत्र में महाविद्यालयों की अकादमिक स्वतंत्रता और स्वायत्तता को सुनिश्चित करने का वादा किया गया था। लिहाजा महाविद्यालय स्तर पर प्राचार्य पद को सशक्त करने तथा सूचनाओं के संकलन-संप्रेषण हेतु महाविद्यालयों में सूचना सहायक पद सृजन करने की दिशा में कदम उठाए जाएं।
पत्र में कहा गया कि महाविद्यालयों की अच्छी नेक ग्रेडिंग के लिए महाविद्यालय में सुदृढ़ आधारभूत ढांचा होना तथा कार्यालय एवं पुस्तकालय का पूर्णतः ऑटोमेशन बहुत आवश्यक है। इसलिए राज्य के बजट में सभी राजकीय महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में कार्यालय एवं पुस्तकालयों के ऑटोमेशन के लिए तथा आधारभूत ढांचे के सुदृढ़ीकरण के लिए बजट-प्रावधान किया जाना चाहिए।
रुक्टा (राष्ट्रीय) के अध्यक्ष डॉ. दीपक कुमार शर्मा ने बताया कि रुक्टा ( राष्ट्रीय) राज्य में सर्वाधिक सदस्य संख्या वाला तथा राज्य सरकार के साथ मिलकर सदैव शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थी, समाज और राज्य हितों के लिए प्रतिबद्धता पूर्वक सक्रिय रहने वाला संघठन है। संगठन का अभिमत है कि राज्य के सर्वतोमुखी विकास की रीढ़ गुणात्मक शिक्षा व्यवस्था है। संगठन ने अपेक्षा और आशा की है मुख्यमंत्री इन बिंदुओं पर गंभीरतापूर्वक ध्यान देने के निर्देश देते हुए राज्य की उच्च शिक्षा के सर्वांगीण विकास हेतु इस बजट में उपर्युक्त प्रावधान करेंगे।
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