साहित्य समीक्षा बहुत ही श्रम साध्य कार्य: डा. अशोक गुप्ता | ‘साहित्य की समीक्षा’ विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला

कोटा 

राजकीय कला कन्या महाविद्यालय में “साहित्य की समीक्षा” (Rivew of Literature) विषय पर महाविद्यालय के शोध प्रकोष्ठ एवं आइक्यूएसी (IQAC) के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई जिसकी अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. अशोक गुप्ता ने की। कार्यशाला ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों स्तरों पर आयोजित की गई जिसमें 150 शोधार्थियों एवं शोध पर्यवेक्षकों ने पंजीकरण करवाकर सहभागिता की।

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शोध प्रकोष्ठ प्रभारी एवं कार्यशाला के संयोजक डॉ. टी एन दुबे ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि साहित्य समीक्षा समय अनुरूप प्रासंगिक साहित्य का संग्रह है। यह ज्ञान का गतिशील संक्षिप्तीकरण है, यह सोच को एक नवीन संदर्भ प्रदान करता है, शोध की पुनरावृति होने से रोकता है , तभी शोध के क्षेत्र में नवीनता आती है।

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मुख्य अतिथि के रूप में कोटा विश्वविद्यालय कोटा की शोध निदेशक डॉ. रीना ने कहा कि शोध किसी समस्या का समाधान करने के लिए किया जाता है, जो हमारा ज्ञान वर्धन करता है। साहित्य समीक्षा बहुत ही श्रम साध्य कार्य है परंतु वर्तमान में परिदृश्य बदल गया है। आज साहित्य समीक्षा डिजिटल हो गई है। प्रकाशित शोध आलेख को ढूंढने के लिए कई सर्च इंजन और डाटा बेसिस उपलब्ध है। यह तुलनात्मक साहित्य समीक्षा का बहुत ही विश्वसनीय गुणात्मक और आसान तरीका है। उन्होंने साहित्य समीक्षा हेतु अनेक साइट्स की सूची प्रस्तुत की। डॉ. दाधीच का कहना था की इंटरनेट ने साहित्य समीक्षा हेतु लगने वाले समय और धन की बचत का मार्ग प्रशस्त किया है। दाधीच का परिचय समन्वयक डॉ. दीपा स्वामी ने प्रस्तुत किया।

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डा. अशोक गुप्ता

मुख्य वक्ता डॉ. अशोक कुमार गुप्ता ने अपने वक्तव्य में साहिर लुधियानवी की पंक्तियों को प्रस्तुत करते हुए साहित्य समीक्षा की परिभाषा प्रस्तुत की। साहित्य समीक्षा के स्रोत तीन प्रकार के होते हैं- प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक। इसे उन्होंने उदाहरणों के साथ प्रस्तुत किया। इसके पश्चात साहित्य समीक्षा की विभिन्न प्रविधियों की जानकारी दी। डॉ. अशोक गुप्ता ने अपनी संपूर्ण वक्तव्य को सारणी एवं चार्ट के माध्यम से प्रस्तुत किया और बताया कि बुलियन ऑपरेटर के माध्यम से भी साहित्य समीक्षा की जा सकती है। साहित्य समीक्षा में प्रमाण प्रस्तुत करना आवश्यक है क्योंकि साहित्यिक चोरी आज अपराध की श्रेणी में मानी जाती है। इस कार्य में व्याकरणिक गलतियां भी नहीं होनी चाहिए। सह संयोजक मनीषा शर्मा ने मुख्य वक्ता का परिचय प्रस्तुत किया।

विशिष्ट अतिथि मुंबई विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अरविंद लुहार ने कहा कि शोधार्थी में प्रश्न और जिज्ञासा उत्पन्न करना ही साहित्य समीक्षा है। साहित्य समीक्षा का उद्देश्य ज्ञान वर्धन करना है। प्रश्न उत्पन्न होते ही शोधार्थी उद्देश्य निर्धारित करता है, परिकल्पना बनाता है। एक अच्छी शोध में सौ से डेढ़ सौ साहित्य समीक्षाएं की जाती हैं। समन्वयक डॉ. प्रियंका वर्मा ने प्रोफेसर अरविंद लुहार का परिचय प्रस्तुत किया।

इसके प्रश्नोत्तर सत्र में शोधार्थियों के प्रश्नों के जवाब विशेषज्ञों के द्वारा दिए गए। वरिष्ठ संकाय सदस्य डॉ. प्रेरणा शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि एक शिक्षक होने की अनुभूति ही सुखद अनुभूति होती है। इस प्रकार की कार्यशाला हमारे चेतन मन को पुनः प्रज्वलित करके उद्देश्य की ओर अग्रसर करती हैं। कार्यक्रम का संचालन सह-समन्वयक डॉ. सुनीता शर्मा ने किया। डॉक्टर मनीषा शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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