जयपुर
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान आने से पहले ही कांग्रेस में घमासान का पार्ट थ्री शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्वयं गुरूवार को तल्ख लहजे में इसकी शुरुआत की और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट पर अब तक का सबसे बड़ा हमला करते हुए उनको गद्दार तक कह डाला और बोले ऐसे व्यक्ति को जिसने पार्टी के साथ गद्दारी की और जिसके पास दस विधायक भी नहीं उसे कैसे सीएम बना दें।
गहलोत के इस तल्ख अंदाज ने आज सबको सकते में डाल दिया। एक निजी टीवी चैनल से बातचीत के दौरान उन्होंने अपनी इस तल्खी को बयां किया। उन्होंने साफ़ शब्दों में कहा सचिन पायलट राजस्थान के सीएम नहीं बन सकते। उन्होंने कहा कि जिस आदमी के पास 10 विधायक नहीं हैं, जिसने बगावत की हो, जिसे गद्दार नाम दिया गया है, उसे कैसे लोग स्वीकार कर सकते हैं।
गहलोत ने कहा कि जिस सचिन पायलट के कारण हम 34 दिन होटलों में बैठे रहे, ये सरकार गिरा रहे थे, अमित शाह भी शामिल थे। धर्मेंद्र प्रधान भी शामिल थे। गहलोत ने कहा- जो आदमी गद्दारी कर चुका है, उसे हमारे एमएलए और मैंने खुद भुगता है, उनको वे कैसे स्वीकार करेंगे?
आज तो मैं ही सीएम
गहलोत ने कहा- आज तो मैं ही राजस्थान का सीएम हूं। उन्होंने कहा कि हाईकमान की तरफ से कोई संकेत भी नहीं दिया गया है। मैं हाईकमान के साथ हूं। पायलट को कोई स्वीकार ही नहीं करेगा। गहलोत बोले वे अजय माकन और हाईकमान को अपनी फीलिंग बता चुके हैं। राजस्थान में सरकार आना जरूरी है। मैं तीन बार सीएम रह चुका। मेरे लिए सीएम रहना जरूरी नहीं है। आप सर्वे करवा लीजिए कि मेरे मुख्यमंत्री रहने से सरकार आ सकती है तो मुझे रखिए। अगर दूसरे चेहरे से सरकार आ सकती है तो उसे बनाइए।
‘मंत्री बनने के लिए पायलट ने मुझे फोन किया था’
गहलोत ने कहा- जब 2009 में लोकसभा चुनाव में राजस्थान से 20 सांसद कांग्रेस के जीते तो मुझे दिल्ली बुलाया गया। जब वर्किंग कमेटी की बैठक हुई तो राजस्थान से मंत्री बनाने के बारे में मुझसे पूछा गया। सचिन पायलट को जानकारी है, मैंने पायलट को केंद्र में मंत्री बनाने की सिफारिश की थी। उस समय वसुंधरा राजे की सरकार में 70 गुर्जर मारे गए थे, यहां गुर्जर-मीणाओं में झगड़ा था। सचिन पायलट का फोन आया था कि मेरी सिफारिश कीजिए, जबकि मैं तो पहले ही सिफारिश कर चुका था। जिस आदमी के दिल में प्यार होगा, तभी तो वह नौजवान की सिफारिश करेगा।
पायलट ने बिगाड़ा माहौल
गहलोत ने 25 सितम्बर को उनके खेमे की मीटिंग पर भी सफाई दी और कहा कि वह कोई बगावत नहीं थी। बगावत तो 2019 में हुई थी, 34 दिन होटलों में रहे। 25 सितंबर को 90 लोग इकट्ठे हुए, ये वे लाेग थे, जिन्होंने सरकार बचाने में सहयोग किया, वरना सरकार बच नहीं सकती थी। बिना हाईकमान कोई सीएम सरकार बचा ही नहीं सकता। उन्होंने कहा कि मुझे कोई टेंशन नहीं है। थोड़े बहुत मतभेद सब जगह होते हैं।
गहलोत ने कहा कि कांग्रेस का कोई मुख्यमंत्री ऐसा नहीं है जो हाईकमान के बिना विधायकों का समर्थन ले ले। जिसने पार्टी के साथ गद्दारी की, गद्दारी किए हुए आदमी को हमारे विधायक कैसे स्वीकार कर सकते हैं।
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