मुम्बई
RBI New Order: भारतीय रिजर्व बैंक ने लोन के मामले में ग्राहकों के हक में बुधवार को बड़ा फैसला किया। रिजर्व बैंक का यह आदेश प्रॉपर्टी लोन से संबंधित है, जो ग्राहकों के काफी काम का साबित होने वाला है। इसके बाद अब बैंकों की तरफ से डॉक्यूमेंट देने में देरी नहीं होगी। लोन लेने वालों के सामने आने वाली समस्याओं का समाधान करने और विनियमित संस्थाओं के बीच जिम्मेदार ऋण देने के आचरण को बढ़ावा देने के लिए आरबीआई ने नए निर्देश जारी किए है।
आरबीआई के नए फैसले के मुताबिक, लोन चुकाने के बाद प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट वापस देने में बैंक, एनबीएफसी या हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां देरी करते हैं तो उन्हें ग्राहकों को हर्जाना देना होगा। केंद्रीय बैंक के इस फैसले से लोन चुकाने वाले ग्राहकों को काफी फायदा होगा। आरबीआई ने ऑर्डर स्मॉल फाइनेंस बैंकों समेत सभी कमर्शियल बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों, एनबीएफसी, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों व एसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनियों को यह नया आदेश जारी किया है।
रिजर्व बैंक ने दिया इतना समय
RBI के ताजे आदेश में कहा गया है कि सभी रेगुलेटेड एंटिटीज को (कमर्शियल बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों, एनबीएफसी व एसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी आदि) लोन की सारी किस्तें मिलने या सेटल होने के 30 दिनों के भीतर ग्राहकों को सारे ऑरिजिनल डॉक्यूमेंट लौटाने होंगे। ग्राहकों को ये ऑप्शन दिया जाएगा कि वे अपनी सुविधा के अनुसार या तो संबंधित ब्रांच से डॉक्यूमेंट ले सकते हैं या फिर उस ब्रांच या कार्यालय से ले सकते हैं, जहां डॉक्यूमेंट को फिलहाल रखा गया है।
बैंकों को करने होंगे ये काम
सभी बैंकों को इस बात की भी हिदायत दी गई है कि वे लोन के सैंक्शन लेटर में सारे डॉक्यूमेंट को वापस करने की तारीख व जगह का जिक्र करेंगे। अगर कर्ज लेने वाले व्यक्ति की मौत हो जाती है, ऐसी स्थिति में कानूनी उत्तराधिकारी को सारे कागजात वापस करने के संबंध में बैंकों को स्पष्ट प्रक्रिया तय करनी होगी और इस प्रक्रिया की जानकारी अपनी वेबसाइट पर भी दिखानी होगी।
एक दिन का हर्जाना 5 हजार
अगर बैंक या अन्य संबंधित संस्थान तय समय के भीतर यानी लोन चुकता होने के 30 दिनों में डॉक्यूमेंट को वापस नहीं कर पाते हैं तो ऐसी स्थिति में उन्हें ग्राहकों को हर्जाना देना पड़ेगा। बैंकों व संस्थानों को सबसे पहले देरी के बारे में ग्राहकों को बताना होगा। अगर देरी की वजह उनकी हुई तो हर दिन की देरी के बदले ग्राहकों को 5000 रुपये के हिसाब से हर्जाना देना होगा। डॉक्यूमेंट को किसी तरह का नुकसान हो जाने की स्थिति में यह बैंकों व संबंधित संस्थानों की जिम्मेदारी होगी कि वे ग्राहक को फिर से डॉक्यूमेंट निकलवाने में मदद करें।
क्या कहता है फेयर प्रैक्टिस कोड
सेंट्रल बैंक ने सभी संबंधित वित्तीय संस्थानों को ताजे ऑर्डर में रिस्पॉन्सिबल लेंडिंग कंडक्ट यानी जिम्मेदार कर्ज व्यवहार की याद दिलाई। आरबीआई के फेयर प्रैक्टिस कोड इस संबंध में साफ हिदायत देते हैं कि अगर ग्राहक प्रॉपर्टी लोन की सारी किस्तें चुका दें या लोन को सेटल करा लें तो ऐसी स्थिति में उन्हें तत्काल प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट मिल जाने चाहिए।
रिजर्व बैंक को मिल रही थी शिकायत
आपको बता दें कि इस संबंध में रिजर्व बैंक को लंबे समय में शिकायतें मिल रही थी। लोन को पूरा चुकाने या सेटल करने के बाद भी ग्राहकों को बैंकों और एनबीएफसी आदि प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट समय में नहीं दे रहे हैं। ऐसे में विवाद और मुकदमेबाजी जैसी स्थितियां उत्पन्न हो रही थी। इसलिए केंद्रीय बैंक ने यह निर्देश जारी किए हैं।
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