व्यापार महासंघ ने राजनैतिक दलों द्वारा व्यापारियों की उपेक्षा पर जताई चिंता | लगाया आरोप- किसी भी पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में व्यापारियों का नहीं रखा ध्यान

भरतपुर 

भरतपुर जिला व्यापार महासंघ की बैठक में व्यापार एवं व्यापारियों की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए राजनैतिक दलों द्वारा व्यापारियों की उपेक्षा पर निराशा जताई गई। बैठक में कहा गया कि सरकारी ऑकड़ों में भले ही सब कुछ बहुत अच्छा अच्छा दिखाया जा रहा है, लेकिन देशभर के मध्यम वर्गीय व्यापार की स्थिति चिंताजनक है।

व्यापार महासंघ ने कहा है कि बाजारों में पैसा सरकुलेट नहीं हो रहा है, जिसके अनेकानेक कारण हो सकते हैं। जिसमें मुख्य रूप से मंहगाई, ऑनलाईन व्यापार या लोगों पर पैसे की कमी या सरकार द्वारा फ्री राशन के कारण गली मौहल्लों में चलने वाली छोटी-छोटी दुकानों पर इसका बहुत हद तक फर्क पड़ा है।

महासंघ ने आरोप लगाया कि सरकार एक तरफ तो व्यापारी को लोन की बातें करती है, दूसरी तरफ व्यापारों पर नये-नये टैक्स लगाकर या नये-नये नियम थोपकर परेशानी खड़ी करती है। जैसे कि अभी हाल ही में एम.एस.एम.ई. के 43 बीएच कानून के अन्तर्गत मध्यम वर्गीय व्यापारियों पर शिकंजा कसा गया। इसके लिये कुछ पूंजीपतियों की सलाह पर कार्य किया गया, न कि मध्यम वर्गीय व्यापारियों से इसमें सलाह ली गई। महासंघ ने कहा कि सरकार को सिक्के का दूसरा पहलू भी देखना चाहिये। इससे फायदा तो कम व्यापारियों का होगा, लेकिन परेशानी में काफी बड़ी संख्या में व्यापारी आ जायेंगे। जबकि व्यापारी इस देश की अर्थव्यवस्था से लेकर स्वरोजगार में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

महासंघ ने आरोप लगाया कि व्यापारियों को सरकारी नीतियों में तबज्जो नहीं दी जाती है। इसका इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि किसी भी राजनैतिक दल द्वारा अपने एजेण्डे में व्यापारी हित की बात नहीं रखी गई है। सभी जात पात, धर्म की बातें, फ्री की रेबड़ी की बातें, किसान की बातों को करते हैं, परन्तु दुकानदार की बातें नजर नहीं आती हैं। दुकानदार किस तरह संघर्ष कर अपने परिवार को पालने का प्रयास कर रहा है कोई देखने वाला नहीं है। अपना परिवार तो पालता ही है साथ ही सामाजिक कार्यों में सेवा भाव के साथ बढ़-चढ़ करहिस्सा भी लेता है। बाजारों में आये दिन निकलने वाली रैलियां, शोभायात्रा या अन्य कोई भी कार्य हो आर्थिक मदद के साथ-साथ समय व शारीरिक श्रम भी देता है। आमजन की सहायतार्थ हेतु हमेशा तत्पर तैयार रहता है। सबसे अधिक रोजगार प्रदान करता है, परन्तु सरकार की नीतियों में हमेशा हासिये पर रहता है।

महासंघ के जिलाध्यक्ष संजीव गुप्ता ने  कहा कि व्यापारी सिर्फ टैक्स टैरर से मुक्ति चाहता है। किसी भी पार्टी के घोषणा पत्र में व्यापारी की समस्या का स्थायी समाधान नहीं है। घोषणा पत्र में व्यापारियों का हित शामिल किया जाना चाहिये था। जिला महामंत्री नरेन्द्र गोयल ने कहा कि व्यापारी पर टैक्स फोलो करने की जिम्मेदारी जरूरत से ज्यादा है, जिसके ऊपर खर्च बहुत ज्यादा आता है। उन्होंने मांग की कि टैक्स का सरलीकरण हो व व्यापारी के हितों को ध्यान रखकर नीतियाँ बनायी जायें। व्यापारी को भी विकास की मुख्य धारा में शामिल किया जाना चाहिये। जिला कोषाध्यक्ष जयप्रकाश बजाज द्वारा कहा गया कि व्यापारी एक देश, एक टैक्स चाहता है। व्यापारी बैंक ट्रांजेक्शन टैक्स (बीटीटी) चाहता है, जब घोषणा पत्र में व्यापारियों के लिये कोई घोषणा नहीं है तो चुनाव जीतने के बाद कोई भी राजनैतिक दल व्यापारियों के लिये काम करेगा, भरोसा नहीं है।

जिला प्रवक्ता विपुल शर्मा ने कहा कि हमारे देश में इन्कम पर भी टैक्स है और खर्चे पर भी टैक्स है और व्यापारी इन्हीं दो चक्की के पाटों के बीच पिस रहा है, जबकि बदले में पेंशन, बीमा, शिक्षा, राशन, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं को भी व्यापारी को देने से परहेज किया जाता है। बैठक में महासंघ उपाध्यक्ष प्रमोद सर्राफ, विष्णु जैन, बंटू भाई, अशोक शर्मा, जगदीश, रूपचंद परमार, हरिशंकर सर्राफ, अंजुम, गौरव, कालू इत्यादि ने भी अपने विचार रखे और व्यापारियों की वर्तमान में चल रही दयनीय स्थिति पर चिंता जाहिर की और केन्द्र व राज्य सरकारों से अपील करते हुए कहा कि व्यापारी मध्यम वर्गीय व छोटा दुकानदार भी इस देश में महत्वपूर्ण स्थान रखता है उसे दरकिनार कर विकास की बातें करना असंभव है। अतः इनको भी साथ लेकर चलना आवश्यक है। अन्यथा मध्यम व छोटा व्यापारी और ज्यादा पिछड़ जाएगा।

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