नई दिल्ली
CBI ने रेलवे में रिश्वत के एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए सोमवार को रेलवे के डिविजनल ऑपरेशन मैनेजर सहित तीन अफसरों को गिरफ्तार कर लिया। रेलवे में माल भाड़ा में अनियमितता सामने आने के बाद CBI ने सोमवार को ये एक्शन लिया। सीबीआई ने इस मामले में पटना (Patna), सोनपुर (Sonpur), कोलकाता (Kolkata) समेत 16 जगहों पर छापेमारी कर 46 लाख रुपए से ज्यादा कैश और एक कार को बरामद किया है।
दरअसल CBI को माल ढुलाई रैक के तरजीही आवंटन में एक रिश्वत रैकेट के होने की जानकारी मिली थी। इसे सिलसिले में वह दो दिन से छापे की कार्रवाई कर रही थी और सोमवार को उसने भारतीय रेलवे यातायात सेवा (IRTS) के तीन अफसरों और दो अन्य व्यक्तियों को गिरफ्तार कर लिया।
इन्हें किया गिरफ्तार
इस मामले के तार कोलकाता के बिजनेसमैन से जुड़ गए हैं। सीबीआई प्रवक्ता आरसी जोशी के मुताबिक गिरफ्तार किए गए IRTS अधिकारियों में ईसीआर में मुख्य माल परिवहन प्रबंधक संजय कुमार (1996 बैच), समस्तीपुर में तैनात रूपेश कुमार (2011 बैच) और सोनपुर में तैनात सचिन मिश्रा (2011 बैच) शामिल हैं।
लिफाफों में रखी थी घूस की रकम
CBI के अनुसार इन अधिकारियों पर माल लदान के लिए रेलवे रैक के तरजीही आवंटन के लिए ईसीआर विक्रेताओं से नियमित रिश्वत लेने का आरोप है। CBI ने कोलकाता स्थित आभा एग्रो इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड के नवल लधा और मनोज कुमार साहा नामक एक व्यक्ति को भी मामले में गिरफ्तार किया है। उन्होंने बताया कि तलाशी के दौरान 46.50 लाख कैश भी बरामद किया गया है। साथ ही एक कार भी बरामद हुई है जिसमें रिश्वत की रकम लिफाफों में मिली है।
प्राइवेट कंपनी से मिलकर रेलवे को लगा रहे थे चूना
सीबीआई के मुताबिक इस मामले में इन आरोपियों के खिलाफ एक सूचना के आधार पर विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले में आरोप था कि यह रेलवे अधिकारी प्राइवेट कंपनी के लोगों के साथ मिलकर रेलवे के तमाम नियम कानूनों को ताक पर रखकर रेलवे को तो चूना लगा ही रहे हैं। साथ ही अपने घर रिश्वत से भर रहे हैं।
मासिक आधार पर ली जाती थी रिश्वत
आरोप के मुताबिक इन रेल अधिकारियों की जिन कंपनियों से सेटिंग रहती थी उनके लोगों को नियमित रूप से रेलवे रेल सेवाएं दी जाती थी और उसके बदले मासिक आधार पर रिश्वत ली जाती थी। इसके बदले यह लोग अपने अधिकारों का प्रयोग कर इन निजी लोगों को उनके समय पर सुविधाएं उपलब्ध कराते थे। आरोप के मुताबिक निजी कंपनी के निदेशक ने अपने भाई को 23 लाख रुपए से ज्यादा की रिश्वत पूर्व मध्य रेलवे के विभिन्न अधिकारियों को दिए जाने के निर्देश दिए। इसी रिश्वतखोरी के दौरान सीबीआई ने जाल बिछाकर इन अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया।
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