केंद्र सरकार ने वकीलों की फीस पर खर्च किए 52.9 करोड़, जानिए किस वकील ने वसूली सबसे ज्यादा फीस, यह भी जानिए कितनी तय है फीस

नई दिल्ली 

केंद्र सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में वकीलों को फीस के तौर पर 52.9 करोड़ रुपए  का भुगतान किया। मिनिस्ट्री ऑफ लॉ एंड जस्टिस (Ministry of Law and Justice) ने लोकसभा में यह जानकारी दी। हालांकि पिछले तीन वित्त वर्षों में इसमें लगातार गिरावट आई है। 2019-20 में यह राशि 64.4 करोड़ थी जो वित्त वर्ष 2020-21 में 54.1 करोड़ रुपए रह गई। 2022-23 में दो अगस्त तक सरकार ने वकीलों की फीस के रूप में 14 करोड़ रुपए  का भुगतान किया है।

सरकार ने अटॉर्नी जनरल (AG) और सॉलिसीटर जनरल (SG) को साल 2018 से चुकाई गई फीस का हिसाब-किताब भी दिया है। लॉ मिनिस्टर किरेन रिजिजू के लोकसभा में दिए गए जवाब के मुताबिक एजी केके वेणुगोपाल ने इस दौरान करीब 1.668 करोड़ रुपए का बिल दिया था। इसमें से उन्हें 1.599 करोड़ रुपए  का भुगतान कर दिया गया है। इसी तरह एसजी तुषार मेहता ने करीब 8.609 करोड़ रुपए  का बिल दिया था जिसमें से सरकार ने 7.674 करोड़ रुपए  का भुगतान कर दिया है। मेहता को अक्टूबर 2018 में सॉलिसीटर जनरल बनाया गया था। उससे पहले वह एडिशनल सॉलीसिटर जनरल थे।

इतनी मिलती है फीस
मंत्रालय का कहना है कि मुकदमे लड़ने के लिए वकीलों को 2015 के दिशा निर्देशों के मुताबिक फीस का भुगतान किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ने वाले पैनल वकीलों को हरेक पेशी पर 4,500 रुपए  से 13,500 रुपए दिए जाते हैं। यह राशि इस बात कर निर्भर करती है कि मामला किस टाइप का है। ड्राफ्टिंग केस के लिए पैनल वकील को प्रति केस 3,000 रुपए का भुगतान किया जाता है।

विभिन्न हाई कोर्ट्स के असिस्टेंट सॉलिसीटर जनरल, केंद्र सरकार के स्टैंडिंग काउंसल और सीनियर स्टैंडिंग काउंसल और सीनियर पैनल लॉयर्स को हर महीने 9,000 रुपए  की फीस मिलती है। साथ ही उन्हें एप्लिकेशंस के लिए हर पेशी पर 3,000 रुपए और सूट्स, रिट पीटिशंस और अपील के लिए 9,000 रुपए दिए जाते हैं।

वकीलों की फीस में बदलाव का अभी कोई प्रस्ताव नहीं
सरकार का कहना है कि वकीलों की फीस में बदलाव के लिए फिलहाल को प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन नहीं है। लोकसभा में विष्णु दयाल राम के सवाल का जवाब देते हुए सरकार ने यह भी कहा कि वकीलों की फीस में बदलाव के लिए फिलहाल को प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन नहीं है। आपको बता दें कि कानूनी मामलों के विभाग द्वारा जारी किए गए विभिन्न ज्ञापन और निर्देश विभिन्न प्रकार के वकील को सरकार द्वारा भुगतान किए जाने वाले शुल्क और भत्ते को निर्धारित करते हैं जो सभी प्रकार के विवाद समाधान के लिए विभिन्न अदालतों में सरकार की ओर से पेश होते हैं

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