रियाद
सऊदी अरब के एक रेगिस्तान में 8000 साल पुराने एक मंदिर की खोज हुई है। पुरातत्वविदों को खुदाई के दौरान यहां एक मंदिर मिला है। संभावना जताई गई है कि यहां उस समय ऐसे लोग रहते थे, जो पूजा और अनुष्ठान करते थे। रॉक-कट नाम का मंदिर तुवाईक पहाड़ के किनारे है। इसे अल-फॉ के नाम से जाना जाता है। जहां ये अहम अवशेष मिले वो जगह रियाद के दक्षिण पश्चिम में मौजूद है।
कभी किंडा राज्य की राजधानी रही अल-फाओ में यह खोज हुई है। अल-फाओ (Al-Faw), Al-Rub’ Al-Khali (द एंपटी क्वाटर) नाम के एक रेगिस्तान के किनारे पर बसी थी। यह Wadi Al-Dawasir से 100 किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में है। अल-फाओ में सऊदी अरब हेरिटेज कमीशन की तरफ से एक मल्टी नेशनल टीम सर्वे करने गया था। उन लोगों ने आसमान से लेकर जमीन के अंदर तक वहां एक डीप सर्वे किया। इसमें कई चीजें निकलकर सामने आईं।
जानकारों का कहना है कि ये खोज वाकई स्तब्ध करने वाली है। सऊदी अरब को मुस्लिमों का देश माना जाता है। लेकिन इस खोज से माना जा रहा है कि हजारों साल पहले यहां पर हिंदू अबादी रहा करती थी। यानि उस समय के दौर में यहां पर इस समुदाय के लोग निवास करते थे।
सऊदी हेरिटेज फाउंडेशन की खोज के बाद माना जा रहा है कि कभी यहां बड़ी तादाद में लोग रहते होंगे। इस स्थल की कई चट्टानों पर तस्वीरें बनी हुई हैं। इनसे उस वक्त के हालात व दूसरी कई चीजों की झलक मिलती है। पुरातत्वविदों की ओर से सर्वेक्षण में हाई क्वालिटी की एरियल फोटोग्राफी, कंट्रोल प्वाइंट के साथ ड्रोन फुटेज, रिमोट सेंसिंग, लेजर सेंसिंग और कई अन्य सर्वे का इस्तेमाल किया गया है।अब तक आए नतीजों के मुताबिक अल-फॉ के लोग बड़े धार्मिक थे। खुदाई में एक ऐसा शिलालेख मिला जिससे अल-फॉ के एक देवता कहल के होने की पुष्टि होती है।
सर्वे के दौरान एक स्टोन टेंपल और वेदी मिले हैं। माना जा रहा है कि अल-फाओ के लोग यहां अनुष्ठान करते थे। यहां 8 हजार साल पुरानी मानव बस्तियों के अवशेष भी मिले हैं। इसके अलावा इस जगह पर अलग-अलग काल के 2,807 कब्र भी पाए गए हैं। यहां के पत्थरों पर आर्टवर्क और शिलालेख के जरिए एक शख्स की कहानी भी बताई गई है। धार्मिक शिलालेख भी सामने आए हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर का ज्यादातर हिस्सा नष्ट हो चुका है। लेकिन पत्थर के ढांचों के अवशेष अब भी मौजूद हैं। एक वेदी के कुछ हिस्सों के अवशेष से संकेत मिलते हैं कि जिस समय का ये मंदिर है उस समय यहां ऐसे लोग रहते थे जिनके जीवन में समारोहों, पूजा अनुष्ठान का महत्व था। अल-फाओ के पूर्वी हिस्से में मिला पत्थरीला मंदिर, माउंट तुवैक के एक किनारे पर है, जिसे खशेम कारियाह कहा जाता है। अल-फाओ में जमीन के अंदर से कई धार्मिक शिलालेख भी मिले हैं। जिससे यहां मौजूद लोगों की धार्मिक समझ के बारे में भी कई अहम जानकारियां मिली हैं।
जटिल सिंचाई व्यवस्था
सर्वे में अल-फाओ की भौगोलिक संरचना के बारे में भी कई अहम बातें सामने आई हैं। इस स्टडी से अल-फाओ की जटिल सिंचाई व्यवस्था के बारे में भी पता चला है। नहरें, पानी के कुंड के अलावा स्थानीय लोगों ने यहां पर सैकड़ों गड्ढे खोद रखे थे, ताकि वे लोग बारिश के पानी को खेतों तक पहुंचा सकें। इन खोजों के जरिए यह पता चलता है कि दुनिया के सबसे कठिन रेगिस्तान में लोग बारिश के पानी को कैसे बचाते थे।
माउंट तुवैक के पत्थरों पर किए गए आर्टवर्क और शिलालेख Madhekar Bin Muneim नाम के एक शख्स की कहानी बताते हैं। इसके अलावा पत्थरों की कलाकृतियों के जरिए हंटिंग, ट्रैवल और बैटल के बारे में भी जानकारियां मिलती हैं।
बता दें कि हेरिटेज कमीशन यह सर्वे इसलिए कर रहा है क्योंकि वे लोग देश में मौजूद विरासत के बारे में जानना चाहते हैं और उसे सहेज कर रखना चाहते हैं। अल-फाओ में यह रिसर्च चलता रहेगा ताकि और नई-नई चीजों के बारे में पता लगाया जा सके।
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