नई दिल्ली
केंद्र की मोदी सरकार अब एक ऐसे प्लान पर काम कर रही है जिससे ना तो बादल फटने की नौबत आएगी और ना बाढ़ से तबाही मचेगी। इसके लिए केंद्र सरकार मौसम को समझने और उस पर नियंत्रण के लिए बड़ा प्रयोग करने जा रही है। इसके तहत अब महत्वपूर्ण मौकों पर बारिश रोकना हो या पहाड़ों में कहीं बादल फटने की घटना को टालना हो तो, अब ये काम आसानी से मुमकिन हो पाएंगे। मिशन मौसम के तहत नई तकनीक तैयार की जा रही है। इस मिशन के लिए केंद्र ने 2000 हजार करोड़ रुपये की मंजूरी दी है।
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योजना के मुताबिक अगर एक जगह काफी बादल हैं और बारिश को टालना है तो एक खास प्रेशर तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इसी तरह अगर एक जगह बादल है लेकिन उतने बादल नहीं जिससे बारिश हो जाए, ऐसे हालात में बादल में सीडिंग की जाएगी जिसे क्लाउड सीडिंग कहते हैं। ऐसी तकनीक के जरिए अनचाही बारिश को टाला जा सकेगा। अगर किसी जगह भारी बारिश होने का अनुमान है तो उसे नई तकनीक के जरिए रोका जा सकता है।
नई तकनीक ऐसे करेगी काम
मान लीजिए आपके शहर में बाढ़ जैसे हालात हैं और अधिक बारिश की जरूरत नहीं है, तो इस तकनीक के जरिए बारिश को टाला जा सकता है। इसके अलावा किसी इलाके में सूखे जैसे हालात हैं तो वहां बादलों को कृत्रिम रूप से सप्रेस कर बारिश कराई जा सकती है। इस तकनीक जरिए बारिश को रोकना और कराना, अब बेहद आसान काम हो जाएगा।
इस तकनीक के तहत अगर एक जगह काफी बादल हैं और बारिश को टालना है तो एक खास प्रेशर तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इसी तरह अगर एक जगह बादल है लेकिन उतने बादल नहीं जिससे बारिश हो जाए, ऐसे हालात में बादल में सीडिंग की जाएगी जिसे क्लाउड सीडिंग कहते हैं। क्लाउड सीडिंग के जरिए बादल का टेम्परेचर बढ़ा दिया जाता है ताकि तुरंत बारिश हो जाए। लेकिन ये तकनीक वहीं काम करती है, जहां थोड़े- बहुत बादल होते हैं। इससे कहीं भारी बारिश तो कहीं सूखे जैसे हालात को रोकने में मदद मिलेगी। अगर सरकार इस तकनीक को अच्छे से इस्तेमाल करती है तो बाढ़ जैसे हालात रोके जा सकेंगे। साथ ही बादल फटने जैसी घटनाओं को समय रहते रोका जा सकेगा।
18 महीने में विकसित हो जाएगी तकनीक
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस तकनीक को देश में अगले 18 महीने में विकसित कर लिया जाएगा। इसके लिए जल्द ही क्लाउड चैंबर बनाया जाएगा। सरकार की ये सारी तैयारियां मिशन मौसम के तहत हो रही हैं। इस मिशन को दो चरणों में लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन को 5 साल में इसे पूरा करने का लक्ष्य है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सेक्रेटरी एम. रविचंद्रन ने बताया कि हम बारिश को दबाने और बढ़ाने का शुरूआती एक्सपेरीमेंट करने जा रहे हैं। पहले 18 महीनों तक लैब में क्लाउड चैंबर्स बनाकर उनके अंदर प्रयोग किए जाएंगे। लेकिन यह पक्का है कि पांच साल में हम निश्चित तौर पर कृत्रिम तरीके से मौसम में बदलाव ला सकते हैं। यानी आर्टिफिशियल वेदर मॉडिफिकेशन कर सकते हैं।
अगर ये मिशन सफल रहा तो दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के बीच बारिश भी कराई जा सकती है। सरकार के इस प्रयास से दिल्ली में प्रदूषण की समस्या को दूर किया जा सकता है।ऐसा करने के लिए थोड़े बहुत बादल का होना जरूरी होगा। इतना ही नहीं चैट जीपीटी के तर्ज पर मौसम जीपीटी भी लॉन्च किया जाएगा। ताकि अब किसी भी जगह के मौसम का सटीक अनुमान लगा सकेंगे।
इन देशों में चल रहा है बारिश को कंट्रोल करने का प्रयास
आपको बनाता दें कि बारिश को तेज करने या उसे दबाने का काम अमेरिका, कनाडा, चीन, रूस औऱ ऑस्ट्रेलिया समेत कुछ और देशों में होता है। इसके लिए क्लाउड सीडिंग प्रोजेक्टस चलते हैं। कहीं पर ओवरसीडिंग कराई जाती है। इससे ओलों के गिरने की आशंका कम हो जाती है, ताकि फसलों और फलों के बागान को नुकसान न हो। फिलहाल इसके लिए जो प्रयोग चल रहा है उसे क्लाउड एयरोसोल इंटरैक्शन एंड प्रेसिपिटेशन इनहैंसमेंट एक्सपेरिमेंट (CAIPEEX) नाम दिया गया है।
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