आस्था
मुरारी शर्मा एडवोकेट
प्राचीन समय के ऋषियों मुनियों ने अपने शोध में बताया था कि प्रत्येक जीव के विचित्र व्यवहार एवं हरकतों का कुछ न कुछ प्रभाव अवश्य होता है। जानवरों के संबंध में अनेक बातें हमारे पुराणों एवं ग्रंथों में भी विस्तार से बतलाई गई है। हमारे सनातन धर्म में माता के रूप में पूजनीय गाय के संबंध में तो बहुत सी बाते आप लोग जानते ही होंगे परन्तु आज हम पक्षियों के संबंध में पुराणों से ली गई कुछ ऐसी बातों के बारे में बतायेंगे जो आपने पहले कभी भी किसी से नहीं सुनी होगी। पक्षियों से जुड़े रहस्यों के संबंध में पुराणों में बहुत ही विचित्र बातें बतलाई गई जो किसी को आश्चर्य में डाल देंगी। ऐसा ही एक पक्षी है-कौआ।
कौए के संबंध में पुराणों में बहुत ही विचित्र बातें बतलाई गई हैं। मान्यता है कि कौआ अतिथि आगमन का सूचक एवं पितरों का आश्रय स्थल माना जाता है। हमारे धर्म ग्रन्थ की एक कथा के अनुसार इस पक्षी ने देवताओं और राक्षसों के द्वारा समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत का रस चख लिया था। यही कारण है की कौआ की कभी भी स्वाभाविक मृत्यु नहीं होती। यह पक्षी कभी किसी बीमारी अथवा अपनी वृद्धा अवस्था के कारण मृत्यु को प्राप्त नहीं होता। इसकी मृत्यु आकस्मिक रूप से होती है। यह बहुत ही रोचक है कि जिस दिन कौए की मृत्यु होती है उस दिन उसका साथी भोजन ग्रहण नहीं करता।ये आपने कभी ख्याल किया हो तो यह बात गौर देने वाली है कि कौआ कभी भी अकेले में भोजन ग्रहण नहीं करता। यह पक्षी किसी साथी के साथ मिलकर ही भोजन करता है।
कौआ की लम्बाई करीब 12 इंच के करीब होती है। तथा यह गहरे काले रंग का पक्षी है। जिनमें नर और मादा दोनों एक समान ही दिखाई देते हैं। यह बगैर थके मीलोंउड़ सकता है। कौए के बारे में पुराण में बतलाया गया है कि किसी भविष्य में होने वाली घटनाओं का आभास पूर्व ही हो जाता है।
पितरों का आश्रय स्थल
श्राद्ध पक्ष में कौए का महत्व बहुत ही अधिक माना गया है। इस पक्ष में यदि कोई भी व्यक्ति कौआ को भोजन कराता है तो यह भोजन कौआ के माध्यम से उसके पितर ग्रहण करते हैं। शास्त्रों में यह बात स्पष्ट बतलाई गई है किकोई भी आत्मा कौए के शरीर में विचरण कर सकती है। क्वार महीने के 16 दिन कौआ हर घर की छत का मेहमान बनता है। ये 16 दिन श्राद्ध पक्ष के दिन माने जाते हैं। कौए एवं पीपल को पितृ प्रतीक माना जाता है। इन दिनों कौए को खाना खिलाकर एवं पीपल को पानी पिलाकर पितरों को तृप्त किया जाता है।
कौवे से जुड़े शकुन और अपशकुन (ऐसी मान्यता है)
- यदि आपके मुंडेर पर कोई कौआ बोले तो मेहमान अवश्य आते हैं।
- यदि कौआ घर की उत्तर दिशा से बोले तो समझे जल्द ही आप पर लक्ष्मी की कृपा होने वाली है।
- पश्चिम दिशा से बोले तो घर में मेहमान आते हैं।
- पूर्व में बोले तो शुभ समाचार आता है।
- दक्षिण दिशा से बोले तो बुरा समाचार आता है।
- कौवे को भोजन कराने से अनिष्ट व शत्रु का नाश होता है।
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