जयपुर
राजस्थान ब्रज भाषा अकादमी की शुक्रवार को हुई मासिक काव्य गोष्ठी में कवियों के मुख से देश भक्ति के स्वर फूटे। कवियों ने अपनी रचनाओं में चंद्रयान-3 की कामयाबी को भी अपनी अनूठे अंदाज पिरोया।
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सचिव गोपाल लाल गुप्ता ने बताया कि इस बार दोहे के रूप में दी गई समस्या ‘मेरौ प्यारौ देस’ पर कवियों ने देश भक्ति के दोहे सुनाए। उन्होंने बताया कि अगस्त माह देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। देश ने चन्द्रमा पर सफलतापूर्वक लेंडर विक्रम से रोबर उतारा है। सावन का अधिक मास है, आजादी की खुसही का माहौल है। ऐसे में उससे संबंधित समस्यापूर्ति पर कवियों में भारी जोश था।
जाने माने गीतकार विट्ठल पारीक की इन पंक्तियों से राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी की मासिक आठवीं समस्यापूर्ति काव्य गोष्ठी करतलध्वनी से गूॅंज उठी:
फहरायौ घ्वज चांद पै, जगती कूॅं संदेस।
मावस दिवारी करै, भारत प्यारौ देस।।
पाक चीन के हिये में , डर की बैठी ठेस।
सन बासठ पाछैं गयौ , वीरन प्यारौ देस ।।
भारत के चांद पर पहुंचने की अविस्मरणीय घटना को गोपाल गुप्ता ने कुछ इस तरह अपने काव्य में चित्रित किया:
जा पहुॅचौ है चांद पै, मेरौ प्यारौ देस।
खोज करै रहवास की, पानी रह्यौ तरेस।।
भूपेन्द्र भरतपुरी ने अपने दोहे को यूॅ प्रस्तुत किया:
अब तक चन्दा दूर हौ, बदल गयौ परिवेस।
चन्दा मुट्ठी में कर्यौ, मेरौ प्यारौ देस।।
गोपीनाथ पारीक गोपेश ने भारत का चित्रण कुछ इस तरह किया:
शक्ति भक्ति अनुरक्ति के, गूॅजत जहॅं संदेस।
वीरन सन्तन की धरा, मेरौ प्यारौ देस ।।
पैरोडी किंग वरूण चतुर्वेदी ने छन्द सुनाया:
जाकी रक्षा खुद करै, ब्रह्मा विष्णु महेस।
निस्चय रहै चिरायु फिर, अपनौ प्यारौ देस।।
अकादमी के अध्यक्ष डॉ. रामकृष्ण शर्मा ने भरतपुर से आनलाइन समस्यापूर्ति के दोहे सुनाये:
अनगिनत रतन सुहावने, सुबरन रजत सुबेस।
सब रतनन में कीमती, मेरौ प्यारौ देस।।
मिश्री लाल मीना एकलब्य ने कुछ इस तरह देश भक्ति के रंग बिखेरे:
माथे पे सोहे मुकुट ऐसौ, मेरौ प्यारौ देस।
उन्नति विकास के बिगुल बज रहे देस- विदेस।।
अरूण चतुर्वेदी ने इसरो को नमन करते हुए यह रचना सुनाई:
दूसरों कूॅ सर झुका कै, हर दिल को संदेस।
फहर तिरंगा चांद पै, झूमे प्यारौ देस।।
भूपेन्द्र भरतपुरी के संचालन में आयोजित काव्य गोष्ठी में अशोक उपाध्याय, बनवारी लाल सोनी, डॉ. सुशीला शील, भगवान सहाय पारीक, डॉ. सावित्री रायजादा, गुरूदयाल शर्मा एवं श्रीमती राज चतुर्वेदी ने भी काव्य पाठ किया। अकादमी की सामान्य सभा के सदस्य अनिल गोयल ने आभार व्यक्त किया।
इससे पूर्व काव्यगोष्ठी के अध्यक्ष शायर लोकेश कुमार सिंह साहिल ने राधाकृष्ण के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर गोष्ठी का शुभारम्भ किया। गीतकार विट्ठल पारीक ने सरस्वती वंदना एवं गोपीनाथ पारीक ‘गोपेश’ ने ब्रज वंदना प्रस्तुत की। अकादमी सचिव गोपाल गुप्ता ने लोकेश साहिल तथा अन्य कवियों का इकलाई पहनाकर स्वागत किया।
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