अभिमान
विश्वानि देव अग्रवाल, बरेली
भारत माँ को है अभिमान,
लिखा चाॅंद पर हिन्दुस्तान।
सबका गुरु आज है भारत,
सफल हुआ उसका अभियान।।
त्याग तपस्या मेहनत का फल,
सजता देश निखरता हर पल।
स्वप्न हुआ साकार देश का,
स्वर्णिम सुखद दीखता है कल।।
आशायें साकार हो उठीं,
उतरा चंदा पर है यान।
भारत माँ को है अभिमान,
लिखा चाॅंद पर हिन्दुस्तान।।
भर हुंकार दिखाया दम,
आज चाॅंद के ऊपर हम।
पुनः रंग लाया विश्वास,
नहीं किसी से हम हैं कम।।
हुआ अचम्भित है जग सारा,
भारत की चमकी है शान।
भारत माँ को है अभिमान,
लिखा चाॅंद पर हिन्दुस्तान।।
इसरो आज खुशी से झूमा,
रोवर ने चंदा को चूमा।
अंग अंग पर थपकी देता,
चंदा का पूरा घर घूमा।।
चंद्रयान ने पाई सफलता,
हुआ सिवन का नाम महान।
भारत माँ को है अभिमान,
लिखा चाॅंद पर हिन्दुस्तान।।
गर्वित हर्षित हुई भारती,
सारे जग ने करी आरती।
चंदा पर जयहिंद का नारा,
सुनकर सारी धरा नाचती।।
नाच रहे वैज्ञानिक सारे,
करतल ध्वनि करता विज्ञान।
भारत माँ को है अभिमान,
लिखा चाॅंद पर हिन्दुस्तान।।
(लेखक स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया के सेवानिवृत वरिष्ठ अधिकारी हैं)
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