जिस जज ने मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ FIR दर्ज करने का दिया था आदेश, हाईकोर्ट ने उसे कर दिया सस्पेंड | हाईकोर्ट कोर्ट बोला- जज ने हद पार कर दी

सार: जिस जज ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार (CEC Rajiv Kumar) के खिलाफ FIR का दर्ज करने का आदेश दिया था; उस जज को हाईकोर्ट ने निलंबित कर दिया है। निलंबित जज ने एक शिकायतकर्ता के आरोप पर FIR दर्ज करने के आदेश दिए थे। इस शिकायत में मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार व अन्य को सह आरोपी बनाया गया था। मामला एक मंत्री के चुनावी हलफनामे से जुड़ा हुआ है।

मामला तेलंगाना का है जहां के हाईकोर्ट ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार के खिलाफ FIR का आदेश देने वाले जज को निलंबित कर दिया शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि मंत्री के साथ मिलकर अधिकारियों ने बिना कार्रवाई हलफनामे के मामले को बंद कर दिया

सूत्रों ने बताया कि इस पर तेलंगाना हाईकोर्ट (Telangana HC) ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार और अन्य के खिलाफ पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का ‘निर्देश’ देने वाले शहर की अदालत के एक जज को निलंबित कर दिया सूत्रों के अनुसार निर्वाचन आयोग के अधिकारी द्वारा मामले में उच्च न्यायालय से शिकायत किए जाने के बाद अदालत की प्रशासनिक इकाई द्वारा विशेष सांसद/ विधायक अदालत के न्यायाधीश के. जया कुमार के खिलाफ यह एक्शन लिया गयासूत्रों ने निलंबन का कारण बताए बिना कहा, “यह (न्यायाधीश का निलंबन) एक प्रशासनिक आदेश है

जज ने 11 अगस्त को दिए थे निर्देश
यह मामला महबूबनगर के एक निवासी की निजी शिकायत पर अदालत द्वारा पुलिस को भेजा गया था, जिसने आरोप लगाया था कि महबूबनगर के विधायक और तेलंगाना के आबकारी मंत्री वी. श्रीनिवास गौड़ ने तथ्यों को छिपाकर 2018 विधानसभा चुनाव में हलफनामे के साथ “छेड़छाड़” की थी जबकि गौड़ को पहले आरोपी के रूप में नामित किया गया था और मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार और कई अन्य अधिकारियों को सह-आरोपी बनाया गया था शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि मंत्री के साथ मिलकर अधिकारियों ने बिना कार्रवाई हलफनामे के मामले को बंद कर दियाइसके बाद पुलिस ने 11 अगस्त को गौड, सीईसी राजीव कुमार और अन्य अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की

सूत्रों ने बताया कि भारतीय चुनाव आयोग के एक अधिकारी द्वारा हाईकोर्ट में शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद सांसदों/ विधायकों के मुकदमे के लिए विशेष सत्र अदालत के न्यायाधीश के जया कुमार के खिलाफ प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई शुरू की गई थी। हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने निष्कर्ष निकाला कि प्रथम दृष्टया विशेष न्यायाधीश ने जल्दबाजी में काम किया और बिना प्रारंभिक जांच के आदेश पारित किए।

हाई कोर्ट ने क्या कहा?
हाई कोर्ट ने कहा कि गौड़ कानूनी रूप से दस्तावेज को अद्यतन कर सकता है। हालांकि, जिला न्यायाधीश ने एक समानांतर आदेश में महबूबनगर पुलिस अधिकारियों को सीईसी, गौड़ और अन्य चुनाव अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए कहा। हाई कोर्ट ने कहा, ‘जज ने हद पार कर दी’।

12 अगस्त को जज ने दी थी पुलिस को चेतावनी
दिलचस्प बात यह है कि उच्च न्यायालय ने उसी दिन एक आदेश पारित किया था जिसमें कहा गया था कि नामांकन के दौरान एक उम्मीदवार के अपने हलफनामे में सुधार करने में कुछ भी गलत नहीं है। 12 अगस्त को जय कुमार ने मौखिक रूप से पुलिस को चेतावनी दी कि अगर वे उस दिन शाम 4 बजे से पहले मामला दर्ज करने में विफल रहे तो अवमानना का मामला दर्ज किया जाएगा। इसके बाद पुलिस ने तुरंत मामला दर्ज कर लिया। हालांकि, लिखित आदेश में कहा गया है कि उन्होंने मामले में उठाए गए कदमों पर पुलिस से रिपोर्ट मांगी है।

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