शिक्षकों के लिए प्रताड़ना काल बन गया ग्रीष्मावकाश, तनाव में आ रहे संस्था प्रधान

मुद्दा 

शिक्षकों के ग्रीष्मावकाश क्या शुरू  हुए; उनका प्रताड़ना काल शुरू हो गया है। स्थिति ये हो गई है उनको ग्रीष्मावकाश के दिनों में भी उनको अफसरों के प्राय: रोजाना नित नए आदेश मिल रहे हैं और उनका जवाब देना पड़  रहा है। इससे उनको लगता ही नहीं कि विद्यालयों में अवकाश घोषित हुए हैं।

ग्रीष्मावकाश के दिनों में भी आ रहे मनमाने आदेशों के कारण पदेन पंचायत प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी व अन्य सभी संस्था प्रधान व स्टॉफ मानसिक तनाव में आ रहे हैं। इसकी वजह जानी तो पता लगा कि अवकाश के कारण अन्य स्टाफ से संस्था प्रधान को अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा  है और ऐसे में संस्था प्रधान किस प्रकार सूचना जाएगी, कैसे आदेश क्रियान्वित किया जाएं; इसी उधेड़बुन में  वे तनाव में अपना समय व्यतीत कर रहे हैं। उच्च अधिकारियों की तानाशाही शैली के कारण संस्था प्रधान 24 घंटे वर्क-फ्रॉम-होम की स्थिति में आ गया है और ‘अवकाश’ केवल कल्पना की बात हो गई है।

संस्था प्रधानों का कहना है कि विद्यालय में रहकर  तो फिर भी आदेश की पालना संभव है परंतु अवकाश काल में आदेशों की पालना दुष्कर है। ऐसे में यह अवकाश के दिन होते हुए भी प्रताड़नाकाल  साबित हो रहे हैं। इन ग्रीष्मावकाशों की सबसे बड़ी विसंगति ये है कि शिक्षकों के लिए तो ग्रीष्मावकाश घोषित कर दिया है,  शिक्षा विभाग के कार्यालय खुले हुए हैं। ऐसे में कार्यालयों में बैठे विभाग के अफसर अपने अधीनस्थ संस्था प्रधानों को मनमाने आदेश थोप रहे हैं। और खुद फाइव डे वीक का आनंद ले रहे हैं।

ये चाहते हैं शिक्षक
दरअसल शिक्षक  चाहते ये हैं कि  शिक्षा विभागीय कार्यालयों व विद्यालयों का समय और अवकाशकाल एक जैसा हो। या तो विद्यालयों में भी 5 डे वीक हो अथवा शिक्षा विभाग के सभी कार्यालयों का समय विद्यालय के समय के अनुसार हो। शिक्षकों का कहना है कि इससे समान समय में अवकाश के दिनों में अधिकारियों द्वारा सूचना मांगने की दुष्प्रवृत्ति कम होगी। शिक्षक बताते हैं कि अमूमन शिक्षा विभाग के कार्यालयों में शनिवार का अवकाश होने के कारण अपेक्षाकृत बहुत ही कम सूचनाएं मांगी जाती हैं। यानी कार्यलय कार्मिक तो अपने अवकाश का आनंद ले रहे हैं , लेकिन अन्य कार्मिक जब अवकाश पर हों तो इस बात की उन्हें परवाह नहीं होती है।

एक समस्या ये भी
शिक्षकों से बातचीत में अवकाशों को लेकर एक विसंगति और सामने आई है। शिक्षकों और कई संस्थाप्रधानों ने बताया कि जब विद्यालय में शनिवार को वर्किंग डे रहता है तो मंत्रालयिक कार्मिकों को द्वितीय शनिवार का अवकाश देने का कोई औचित्य नहीं है। इसकी वजह भी उन्होंने बताई। उनका मानना था कि द्वितीय शनिवार को सूचना भिजवाने में संस्था प्रधान को मंत्रालयिक कार्मिक के अवकाश पर रहने की स्थिति में परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके बदले में मंत्रालयिक कार्मिकों को ग्रीष्मावकाश दिया जा सकता है। क्योंकि शिक्षकों के ग्रीष्मावकाश पर रहने के दौरान मंत्रालयिक कार्मिक भी विद्यालय में केवल टाइम पास करके घर चले जाते हैं अथवा कई बार तो मंत्रालय कार्मिक कभी- कभार कुछ समय के लिए ही विद्यालय में आकर हस्ताक्षर कर देते हैं।

शिक्षकों का सुझाव था कि ग्रीष्मावकाश में मंत्रालयिक कार्मिक अधिक से अधिक प्रवेश हेतु टीसी संबंधी कार्य करते हैं। इस हेतु यदि आवश्यक हो तो शपथ पत्र अथवा अन्य दस्तावेजों के आधार पर प्रोविजनल प्रवेश दिया जाकर विद्यालय खुलने पर मूल टीसी जमा करवाए जाने का आदेश निकाला जा सकता है। जैसा कि आजकल अंक तालिका आदि दस्तावेजों की स्वप्रमाणित प्रतियों को स्वीकार कर लिया जाता है। इसके अतिरिक्त यदि और भी अन्य आवश्यक कार्य हो तो उन्हें करवाने हेतु एक-दो दिन की पीएल दी जा सकती है।

शिक्षकों ने पीड़ा व्यक्त की कि ‘सरकारी कार्मिक 24 घंटे का नौकर है’ यह तर्क देकर व्यक्ति के सामाजिक व पारिवारिक जीवन को समाप्त नहीं किया जा सकता है। प्राय: देखने में आता है कि जब संस्था प्रधान लिखित में स्वयं के अवकाश व प्रभारी के मोबाइल नंबर की सूचना उच्चाधिकारियों को उपलब्ध करवाकर अवकाश पर रहता है फिर भी कार्यालयों के द्वारा संस्था प्रधान को फोन आदि करके सूचनाएं मांग कर मानसिक तनाव दिया जाता है तथा उसके सामाजिक व पारिवारिक कार्यों में विघ्न उत्पन्न किया जाता है।

लेकिन शिक्षक संगठन चुप
इन शिक्षकों की एक नाराजगी यह भी है कि तमाम शिक्षक संगठन इस मुद्दे पर चुप्पी साधकर बैठे हैं। जबकि उनको इन आदेशों को मूकदर्शक बनकर देखने के बजाय इनका प्रतिवाद करना चाहिए।

अपना घर आश्रम उदयपुर में हुआ एक अदभुत मिलन, 40 साल से बिछड़े हुए भाई को भाई से मिलाया

बैंक ऑफ बड़ौदा के सीनियर मैनेजर को ED ने किया गिरफ्तार, जानिए क्या है पूरा मामला

वसुंधरा नहीं होंगी राजस्थान भाजपा का CM चेहरा, PM मोदी होंगे फेस

ज्ञानवापी मामले की वाराणसी कोर्ट में ही होगी सुनवाई, जानिए सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा

31 मई को देश भर में थम सकते हैं रेल के पहिए, जानिए इसकी वजह

ज्ञानवापी में स्वास्तिक, त्रिशूल और कमल के ढेरों निशान, सर्वे रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, जानिए डिटेल

अनुकंपा नियुक्ति पर कैट का बड़ा फैसला, रेलवे कर्मचारी की बेटी को नहीं दी नियुक्ति, जानिए वजह

डा. सत्यदेव आज़ाद की पुस्तक ‘वाक – कला’ का विमोचन