बैंक ऑफ बड़ौदा के सीनियर मैनेजर को ED ने किया गिरफ्तार, जानिए क्या है पूरा मामला

फगवाड़ा 

पंजाब के फगवाड़ा में 21.19 करोड़ रुपए के 19 लोन ईंट भट्ठा मालिकों को देने वाले बैंक ऑफ बड़ौदा के पूर्व वरिष्ठ प्रबंधक कुलदीप सिंह को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार कर लिया है। इससे पहले प्रवर्तन निदेशलाय की टीम धन शोधन मामले में भट्ठा मालिकों विक्रम सेठ औऱ सुरेश सेठ समेत 6 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।

सुरेश सेठ को इस साल फरवरी महीने में गिरफ्तार किया गया था, जबकि विक्रम सेठ को ईडी ने पिछले साल सितंबर महीने में गिरफ्तार किया था। ईडी ने धन शोधन मामले में दोनों भाइयों समेत इनके 14 नजदीकियों और रिश्तेदारों के खिलाफ मोहाली की विशेष अदालत में चार्जशीट दायर कर रखी है। इसी मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की शिकायत पर प्रवर्तन निदेशालय ने 2017 में मामला दर्ज करके जांच पड़ताल शुरू की थी।

19 लोन लेकर 21.19 करोड़ का फ्रॉड
मामला साल 2015 का बैंक कर्ज की धोखाधड़ी से संबंधित है। आरोप है कि बैंक कर्मचारियों और अधिकारीयों की मिलीभगत से बैंक ऑफ बड़ौदा, फगवाड़ा से 19 ऋण स्वीकृत करवाकर 21.19 करोड़ का फ्रॉड किया गया। लोन लेने से पहले फर्जी कंपनियां और फर्में बनाई गई थीं। इसके बाद पूरा जाल बिछाकर बैंक से धोखाधड़ी की गई। इसमें कुछ बैंक अधिकारी और कर्मचारी भी संलिप्त थे। सभी ने मिलीभगत करके 21.19 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की और फर्जी फर्मों के खाते खोल कर उनमें लोन का पैसा डलवाया था, जबकि हकीकत में जमीन पर कोई फर्म थी ही नहीं।

ईडी के मुताबिक, भट्टा मालिक सेठ ने सारा पैसा फगवाड़ा व आसपास के क्षेत्रों में 20 आवासीय प्लॉट, 6 औद्योगिक प्लॉट, एक घर, 3 जगह एग्रीकल्चर भूमि, 2 ईंट भट्टों और 18,17,03,627 रुपए मूल्य के 10 कमर्शियल प्लॉट पर लगा दिया। 42 अचल संपत्तियां बंगा (नवांशहर) और हिमाचल प्रदेश के अम्ब (ऊना) में खरीदी थीं। इसके अलावा, 32,97,000 रुपए की 7 चल संपत्तियां टाटा सफारी, होंडा जैज, स्कोडा ऑक्टेविया गाड़ियां भी धोखाधड़ी के पैसे से खरीदीं। ईडी ने पिछले साल 42 अचल संपत्तियां और 18,50,00,627 रुपए की 7 चल संपत्तियां कुर्क की हैं।

CBI और ACB भी कर चुकी मामला दर्ज
विक्रम सेठ और 13 अन्य के खिलाफ 2017 में ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत मामला दर्ज किया था। इसके बाद CBI, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB), चंडीगढ़ ने 15 जनवरी, 2015 को 420, 467, 468, 471,120बी, आईपीसी और धारा 13(1)(डी) आर/डब्ल्यू 13(2) के तहत षड्यंत्र रचकर धोखाधड़ी करने, धोखाधड़ी करने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करना, सरकारी दस्तावेजों से छेड़छाड़ करने का मामला दर्ज किया था।

ईडी ने अपनी जांच में पाया कि विक्रम सेठ ने अपने परिवार के सदस्यों के नाम चल और अचल संपत्तियों में पैसा लगाया था, जिसके स्रोत जांच के दौरान वैध नहीं पाए गए थे। ऋण खातों से पैसा डायवर्ट किया गया और अचल-चल संपत्ति में निवेश किया गया।

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