छोटे बैंकों को बड़े बैंकों में किया जाएगा मर्ज, सरकार कर रही स्टडी

नई दिल्ली | नई हवा ब्यूरो 

केंद्र सरकार अब छोटे-छोटे बैंकों को बड़ी बैंकों में मर्ज करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए स्टडी की जा रही है। यदि केंद्र सरकार छोटी बैंकों के बड़ी बैंकों में विलय करने के किसी नतीजे पर पहुँचती है तो देश में सरकारी बैंकों (Public Sector Banks) की संख्या और भी घट जाएगी।

यदि सब कुछ सरकार की योजना के तहत हुआ तो आने वाले समय में देश में केवल चार या पांच सरकारी बैंक होंगे। सरकार चाहती है कि देश में छोटे-छोटे बैंकों की बजाए चार या पांच बड़े बैंक हों लेकिन हों वे मजबूत। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो केंद्र सरकार जल्द ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय के अगले दौर की शुरुआत करने वाली है। इसके बाद देश में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या केवल चार या पांच रह जाएगी। इसके लिए यह एक व्यापक अध्ययन किया जा रहा है।

केंद्र की योजना है कि छोटे बैंकों को मिलाकर देश के सबसे बड़े ऋणदाता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की तरह 4-5 बड़े और मजबूत बैंक हों। वर्तमान में भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के सात बड़े और पांच छोटे बैंक हैं। जिन बैंकों के विलय की योजना बनाई जा रही है, उनको अपना जवाब दाखिल करने को कहा गया है। इस बारे में सरकार भारतीय बैंक संघ (IBA) के साथ भी व्यापक विचार-विमर्श करेगी।

 इससे पहले केंद्र सरकार ने 2019 में 10 राष्ट्रीयकृत बैंकों के चार बड़े ऋणदाता बैंकों में विलय की घोषणा की थी। इसके बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या घटकर 12 रह गई थी। जबकि 2017 में भारत में सरकारी बैंकों की संख्या 47 थी। बैंकों का विलय अप्रेल 2020 से प्रभावी हो गया था।

NCAER बोला – सभी सरकारी बैंकों का कर दिया जाए निजीकरण
इस बीच सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण पर नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) की एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें में कहा गया है कि SBI को छोड़कर सभी सरकारी बैंकों का निजीकरण कर दिया जाना चाहिए। रिपोर्ट में इसकी वजह बताते हुए कहा गया है कि पिछले दशक के दौरान ज्यादातर सरकारी बैंकों का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है और वे निजी बैंकों से पिछड़ गए हैं। ज्यादातर सरकारी बैंकों के परिचालन लागत में वृद्धि देखी गई है और उनके द्वारा दिए गए लोन फंसे हुए हैं। निजी क्षेत्र के बैंकों के मुकाबले इनकी कमाई कहीं अधिक कम है।

हालांकि सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ बैंकों ने पिछले वर्षों में सभी प्रमुख संकेतकों पर बेहतर प्रदर्शन किया है। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने मीडिया को बताया कि कुछ बैंकों का मुनाफा भी बढ़कर दोगुना हो गया है। बताया जा रहा है कि सरकार बैंकों के निजीकरण के लिए जल्द ही संसद में विधेयक पेश कर सकती है। बैंकों के निजीकरण से सरकार उनके संचालन से पूरी तरह बाहर निकल सकती है।

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