लखनऊ
एक प्राइमरी टीचर बच्चों का 11 करोड़ 46 लाख का मिड डे मील डकार गया। मास्टर माइंड इस प्राइमरी टीचर के साथ इस घोटाले में आधा दर्जन बैंक और सात विभागों की मिलीभगत सामने आई है। घोटाले का यह खुलासा विजिलेंस की जांच में हुआ है। घोटाला सामने आने के बाद केस रजिस्टर कर लिया गया है।
यह घोटाला UP में बेसिक शिक्षा की मिड डे मील योजना में पकड़ा गया है। जांच में टीचर के पास अकूत दौलत पाई गई है। घोटाले का मास्टर माइंड टीचर का नाम चंद्रकांत शर्मा है और वह फिरोजाबाद के शिकोहाबाद में प्राइमरी स्कूल में सहायक अध्यापक के रूप में तैनात है। घोटाले में जिन बैंकों के नाम सामने आए हैं उनमें PNB शिकोहाबाद, आगरा की एक्सिस बैंक, सिंडीकेट बैंक इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्रा और कारपोरेशन बैंक शामिल हैं।
इसी तरह घाटाले में शिक्षा विभाग, मिड डे मील समन्यवक, डाकघर आगरा, आवास विकास परिषद, नगर निगम फिरोजाबाद, उप निबंधक चिट्स फंड और टोरेंट पावर की भूमिका सामने आई है। इन सभी बैंकों और विभागों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
ऐसे दिया घोटाले को अंजाम
घोटाले के मास्टर माइंड प्राइमरी स्कूल टीचर चंद्रकांत शर्मा ने 2006 में सारस्वत आवासीय शिक्षा समिति के नाम से संस्था बनाई। चिट फंड कार्यालय ने फर्जी दस्तावेजों पर संस्था का रजिस्ट्रेशन कर दिया। 2008 में चंद्रकांत ने बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों से सांठगांठ करके जिले भर के स्कूलों के मिड डे मील का काम ले लिया।
नाम बदलकर खुद बना कोषाध्यक्ष, पत्नी को बनाया अध्यक्ष, माता पिता को बताया मरा
जांच में पता चला कि चंद्रकांत के पिता संस्था के अध्यक्ष और मां कोषाध्यक्ष थी। परिवार के ही लोग सदस्य बनाए गए थे। मिड डे मील का काम मिलने के बाद उसने माता-पिता को मृतक दिखाकर खुद सुनील शर्मा के नाम से कोषाध्यक्ष बन गया। पत्नी बेबी शर्मा को अध्यक्ष नामित करवा दिया। लेकिन जांच में उसके माता पिता जीवित मिले।
रकम की हेराफेरी में बैंक ऐसे हुए शामिल
जांच में सामने आया कि 2008 से मई 2014 तक इस संस्था को मिड डे मील का बजट दिया गया। यह रकम 11 करोड़ 46 लाख 48 हजार 500 रुपए थी। पहले यह रकम पंजाब नेशनल बैंक के खाते में भेजी गई। इसके बाद बैंक की मिलीभगत से इन रुपयों को संस्था के खाते से आगरा के कई बैंकों में सुनील शर्मा के नाम से खोले गए फर्जी खातों में ट्रांसफर किया गया।
घोटाले की रकम से खरीदी प्रापर्टी
मामले की जांच करने वाले इंस्पेक्टर अमर सिंह के मुताबिक चंद्रकांत ने घोटाले की रकम से फिरोजाबाद में कई प्रॉपर्टी खरीदी। उसमें बिना नक्शा पास कराए बंगले खड़े किए लेकिन आवास विकास परिषद ने आपत्ति नहीं की। जिले में बिजली की आपूर्ति करने वाले टोटेन्ट पावर लिमिटेड कंपनी ने फर्जी पेपर पर कनेक्शन भी दे दिए। नगर निगम ने भी प्रॉपर्टी के म्यूटेशन में कोई कागजात चेक नहीं किए।
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