जब याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के जज को कह दिया आतंकवादी; इसके बाद फिर ये हुआ

नई दिल्ली 

सुप्रीम कोर्ट में एक सुनवाई के दौरान एक अजीब वाकया हो गया और इससे शीर्ष अदालत इतनी नाराज हुई कि उसने संबंधित व्यक्ति के खिलाफ नोटिस जारी कर जवाब मांगा कि क्यों न इस कृत्य के लिए उसके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करवा दिया जाए

भूपेंद्र गुप्ता ‘नई हवा’ के भरतपुर संभाग के मार्केटिंग हैड नियुक्त

दरअसल सुप्रीम कोर्ट पेंडिंग केस की जल्द सुनवाई की मांग को लेकर दायर एक याचिका की सुनवाई कर रहा था आवेदन में याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के एक जज को लेकर ‘आतंकवादी’ कहकर बयान दर्ज कराए इस पर याचिकाकर्ता मुश्किल में फंस गया याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील भी यह देखकर चौंक गया और फाइल देखने के बाद बेंच को बताया कि उसने याचिकाकर्ता से इस तरह के बयान देने के लिए बिना शर्त माफी मांगने को कहा है

लेकिन शीर्ष अदालत याचिकाकर्ता के इस बयान से इतनी खफा हो गई कि उसने रजिस्ट्री विभाग को कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्देश दे दिया और सख्त टिप्पणी की SC ने कहा- क्यों ना उस पर जज का ‘अपमान’ करने के लिए आपराधिक अवमानना ​​​​का मुकदमा चलाया जाए

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने याचिका कर्ता के आरोपों की निंदा की और कहा- ‘आपको कुछ महीनों के लिए जेल के अंदर भेजना होगा, तब आपको एहसास होगा‘ बेंच ने फटकार लगाते हुए कहा- ‘आप सुप्रीम कोर्ट के जज के खिलाफ यूं ही कोई आरोप नहीं लगा सकते

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने फाइल देखने के बाद बेंच को बताया कि उसने याचिकाकर्ता से इस तरह के बयान देने के लिए बिना शर्त माफी मांगने को कहा है वकील ने कहा कि वह उसका प्रतिनिधित्व तभी करेगा, जब वह व्यक्ति बिना शर्त माफी मांगेगा वहीं, याचिका कर्ता ने कहा- ‘मैं माफी मांगता हूं‘ उसने कहा कि जब मैंने याचिका के लिए आवेदन किया था, तब ‘जबरदस्त मानसिक आघात’ से गुजर रहा था इस पर बेंच ने नाराजगी जताई और कहा- ‘ये निंदनीय है

आरोप लगाने का ये कौन सा तरीका है?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ‘हम आपको कारण बताओ नोटिस जारी करेंगे और पूछेंगे कि क्यों ना आप पर आपराधिक अवमानना ​​का मुकदमा चलाया जाए‘ जज का इस कार्यवाही से क्या लेना-देना है? आप उन्हें आतंकवादी और अन्य चीजें कह रहे हैं क्या ये एक न्यायाधीश के खिलाफ आरोप लगाने का तरीका है? बेंच ने पूछा- सिर्फ इसलिए कि वह आपके राज्य से ताल्लुक रखते हैं? चौंका देने वाला है

बेंच ने कहा- ‘हम जल्द सुनवाई के लिए आवेदन पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं आवेदन खारिज कर दिया जाएगा इसके साथ ही कहा- रजिस्ट्री याचिकाकर्ता को कारण बताओ नोटिस जारी करेगी कि इस अदालत के एक जज को बदनाम करने के लिए उस पर आपराधिक अवमानना ​​​​का मुकदमा क्यों ना चलाया जाए सुप्रीम कोर्ट ने मामले को तीन सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है

बेंच ने दर्ज किया कि याचिकाकर्ता ने बिना शर्त माफी मांगी है अदालत को यह आकलन करने में सक्षम बनाने के लिए कि माफी वास्तविक है या नहीं, वह याचिकार्ता को अपने आचरण को समझाने के लिए हलफनामा दायर करने के लिए तीन सप्ताह का समय दे रही है

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