RAS अफसर के खिलाफ जांच के आदेश, जानिए क्या है पूरा मामला

जयपुर 

राजस्थान के एक RAS अफसर के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं। एक माह में इसकी रिपोर्ट भी मांगी गई है। RAS अफसर के खिलाफ जांच के आदेश भी सूचना आयोग ने दिए हैं। आयोग अमूमन सूचना नहीं देने पर जुर्माना लगाने की कार्रवाई करता है, लेकिन इस RAS अफसर के मामले में एक प्रकरण में जांच के ही आदेश दे दिए हैं।

मामला जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) से जुड़ा हुआ है। और जिस RAS अफसर के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं उनका नाम नानूराम सैनी हैं। नानूराम सैनी जयपुर JDA में जोन उपायुक्त हैं। उन पर आरोप है वह परिवादी को एक साल से सूचना उपलब्ध नहीं करा रहे। संबंधित फाइल भी उस अमीन के पास एक साल से पड़ी हुई है जो स्थानांतरित होकर दूसरे जोन में चला गया। मामले में सूचना आयोग अब ये जानना चाहता है कि फाइल को अटकाने की पीछे जोन उपायुक्त नानूराम सैनी की नीयत क्या है? और अमीन उस फ़ाइल को अपने पास दबाकर क्यों बैठा है जबकि उसका तबादला भी दूसरे जोन में हो चुका है? आयोग ने JDA कमिश्नर को आदेश दिए हैं कि वह इस मामले की एक माह में जांच कर रिपोर्ट पेश करें।

यह है पूरा मामला
एक परिवादी संजय शर्मा ने 5 जुलाई, 2021 को JDA के जोन 5 में एक सूचना मांगी कि उसके मकान के खिलाफ क्या शिकायत मिली और उस शिकायत पर JDA ने क्या कार्रवाई की। परिवादी ने  इस कार्रवाई  की पत्रावली की प्रतिलिपि मांगी। लेकिन JDA में तत्कालीन जोन उपायुक्त नानूराम सैनी ने सूचना नहीं दी। इस पर परिवादी ने पहली और दूसरी अपील भी की, लेकिन अपील के बाद भी सूचना उपलब्ध नहीं करवाई गई और यह जवाब दिया कि ये सूचना उपलब्ध करवाना संभव नहीं है।

दूसरी अपील पर बताया कि फ़ाइल अमीन के पास है
दूसरी अपील पर सुनवाई करते हुए बताया कि सूचना से संबंधित फाइल संविदा पर कार्यरत अमीन मदन लाल तंवर के पास है। मदन लाल उस समय जोन 5 में था और वर्तमान में उसका जोन 13 में तबादला हो गया है। मुख्य सूचना अधिकारी डीबी गुप्ता ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि जो फाइल जोन ऑफिस में उपलब्ध होनी चाहिए वह पिछले एक साल से अमीन लेकर बैठा है और प्रशासन उस फाइल को अमीन से ले नहीं पा रहा और न ही उसके खिलाफ कोई कार्यवाही हो सकी है।

इस पर सूचना आयुक्त डीबी गुप्ता ने संबंधित जोन उपायुक्त को 21 दिन में सूचना की कॉपी अपीलार्थी को उपलब्ध करवाने के आदेश दिए। साथ ही जेडीए कमिश्नर को आदेश दिए कि पत्रावली होने के बाद भी समय पर सूचना उपलब्ध नहीं करवाना गंभीर मामला है, इस मामले में कौन अधिकारी-कर्मचारी दोषी है, इसकी जांच करके एक महीने में रिपोर्ट पेश करें।

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