हाईकोर्ट के सात जज ने इंसाफ के लिए खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, CJI भी रह गए हैरान | जानिए इसकी वजह

सार: आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि हाईकोर्ट के सात जज भी राज्य सरकार की प्रताड़ना के शिकार हो गए और अब उन्होंने इंसाफ के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।  CJI भी प्रताड़ना का किस्सा जानकर हैरान रह गए हैं। फ़िलहाल सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के सातों जज की पीड़ा को सुनने को तैयार हो गया है। उसने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दिया है।

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मामला बिहार का है जहां पटना हाईकोर्ट के सात जज बिहार सरकार के एक आदेश से प्रताड़ना का शिकार हो गए हैं जिसके कारण उन्होंने अपनी बात रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट की शरण लेनी पड़ गई दरअसल बिहार सरकार ने हाल ही में एक आदेश जारी  करके पटना हाईकोर्ट के 7 जजों के जीपीएफ अकाउंट्स को बंद कर दिया है पटना हाई कोर्ट के जजों ने इसी आदेश को चुनौती दी है

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जजों की ओर से पेश वकील ने कहा कि 7 जजों के जीपीएफ अकाउंट को बंद कर दिया गया इस मामले में जल्द सुनवाई की जरूरत है इस पर सुप्रीम कोर्ट पटना हाईकोर्ट के जजों की याचिका पर सुनवाई करने के लिए तैयार हो गया पटना हाईकोर्ट के जजों ने याचिका में कहा है कि उनके सामान्य भविष्य निधि (GPF) खातों को बंद कर दिया गया

याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा, सरकार ने हाई कोर्ट के जजों का जीपीएफ खाता बंद कर दिया है इस आदेश के गंभीर परिणाम हुए हैं बिहार के महालेखाकार ने जजों के जीपीएफ खातों को बंद कर दिया है इस पर चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच भी हैरान रह गई और आश्चर्य के लहजे में  पूछा, क्या, जजों के जीपीएफ खातों को बंद कर दिया गया

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इन 7 जजों ने दाखिल की याचिका
जस्टिस शैलेन्द्र सिंह, जस्टिस अरुण कुमार झा, जस्टिस जितेन्द्र कुमार, जस्टिस आलोक कुमार पांडेय, जस्टिस सुनील दत्त मिश्रा, जस्टिस चन्द्रप्रकाश सिंह और जस्टिस चन्द्रशेखर झा की ओर से ये याचिका दाखिल की गई हैये सभी जज न्यायिक सेवा कोटे से 22 जून को जज नियुक्त हुए थे जज बनने के बाद इन सभी के GPF अकाउंट को बंद कर दिया गया सरकार का कहना है कि  इन सभी जजों के GPF अकाउंट इसलिए बंद किए गए हैं, क्योंकि न्यायिक सेवा में उनकी नियुक्ति साल 2005 के बाद हुई थी

याचिका में जजों से भेदभाव के लगाए गए थे आरोप
याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट के जजों के साथ इस आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता कि वे न्यायिक सेवा कोटे से नियुक्त हुए हैं। इन सभी जजों के GPF अकाउंट को यह कहकर बंद कर दिया गया कि न्यायिक सेवा में उनकी नियुक्ति साल 2005 के बाद हुई थी। जजों का कहना है कि उन्हें भी वही सुविधा मिलनी चाहिए जो सुविधा बार कोटे से नियुक्त जजों को दी जा रही है।

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