जयपुर
राजस्थान हाईकोर्ट ने डॉ. अम्बेडकर लॉ यूनिवर्सिटी के वीसी पद पर डॉ. देवस्वरूप की नियुक्ति को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि डॉ. देवस्वरूप को विधि शिक्षा के क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं है, लिहाजा वीसी पद पर उनकी नियुक्ति अवैध है।
राजस्थान हाईकोर्ट के एक्टिंग सीजे जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ ने यह आदेश प्रोफेसर केबी अग्रवाल की जनहित याचिका पर दिए। और डॉ. भीमराव आम्बेडर विधि विश्वविद्यालय में वीसी के तौर पर डॉ. देवस्वरूप को दी गई नियुक्ति को रद्द कर दिया।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि विधि विश्वविद्यालय के कुलपति को विधि शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव रहने वाला होना चाहिए। यह एकल विषय का विश्वविद्यालय है, ऐसे में अन्य एकल विषय के विश्वविद्यालयों जैसे मेडिकल और कृषि विवि की जैसे हे विधि विवि के कुलपति को भी कानून शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव रखने वाला ही होना चाहिए। अदालत ने कहा कि वे विवि के अधिनियम की धारा 11(17)की वैधता के पहलु पर नहीं जा रहे हैं, लेकिन धारा 11(2) में निहित प्रावधानों को देखते हुए नियुक्ति रद्द कर रहे हैं।
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याचिका में यह उठाया था मुद्दा
याचिका में अधिवक्ता सुनील समदड़िया ने कहा कि देव स्वरूप को 27 फरवरी 2020 को भीमराव आम्बेडर विधि विश्वविद्यालय का वीसी नियुक्त किया गया। जबकि उनका शैक्षणिक बैकग्राउंड कानून का नहीं रहा है और ना ही उन्हें कानूनी शिक्षा देने का अनुभव है। इसके अलावा याचिका में विवि के अधिनियम की धारा 11(2) और धारा 11(17) के प्रावधानों को चुनौती देते हुए कहा गया कि धारा 11(2) के तहत किसी भी एकेडमिक बैकग्राउंड वाले व्यक्ति को विवि का वीसी नियुक्त करना गलत है। याचिका में कहा गया कि देश की सभी नेशनल लॉ युनिवर्सिटीज में वीसी लॉ प्रोफेसर या एक्सपर्ट ही बन सकता है। यहां तक कि इनमें कुलपति वहां के राज्यपाल न होकर संबंधित हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश होते हैं।
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