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आज आपको ‘नई हवा’ के इस अंक में एक ऐसे शातिर चोर की कहानी बताने जा रहे हैं जो फर्जी कागजात से जज बन गया और उस कुर्सी पर बैठकर दो महीने तक फैसला भी सुनाता रहा। यही नहीं हजारों कैदियों को उसने इस दौरान जमानत पर छोड़ दिया। जब तक उसकी पोल खुलती; तब तक वह फरार हो गया। इसके शातिर दिमाग की कहानी पढ़ेंगे तो आप भी दंग रह जाएंगे। फिलहाल उसकी उम्र करीब 81 साल हो चुकी है।
इस शातिर चोर का नाम है धनीराम मित्तल (Dhani Ram Mittal)। हरियाणा के भिवानी के रहने वाले इस शातिर चोर ने पुलिस और कोर्ट को खूब छकाया। धनी राम मित्तल ने अपराध की दुनिया में पच्चीस साल की उम्र में कदम रखा। उसने चोरी को अपना पेशा बना लिया था। साल 1964 में पहली बार पुलिस ने उसे चोरी करते पकड़ा था। चोरी के इतिहास में धनी राम मित्तल सबसे ज्यादा बार गिरफ्तार किया जाने वाले पहला और इकलौता चोर है। आखिरी बार उसे साल 2016 में चोरी करते गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, वह पुलिस को चकमा देकर भाग गया था। धनीराम अब तक करीब एक हजार से ज्यादा गाड़ियां चुरा चुका है। चोरी की वारदात को भी उसने दिन में ही अंजाम दिया। 94 मामलों में गिरफ्तार हुआ और जेल गया। इसलिए उसे देश और दुनिया सबसे बड़ा चोर माना जाता है।
जज को ही छुट्टी पर भेज खुद जज बन बैठा
धनी राम मित्तल सबसे ज्यादा सुर्खियों में तब आया जब उसने जज बनकर अपने ही केस में फैसला सुनाया और 40 दिनों के अंदर हजारों कैदियों को जमानत पर छोड़ दिया। दुनिया में ऐसा कारनामा शायद ही किसी ने किया हो। उसने फर्जी कागजात बनाकर हरियाणा के झज्जर कोर्ट के एडिशनल सेशल जज को करीब दो महीने की छुट्टी पर भेज दिया था और उनके बदले वह खुद जज की कुर्सी पर बैठ गया था।
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ऐसे फर्जीवाड़ा कर बना जज
दरअसल धनीराम ने एक दिन अखबार में ये खबर पढ़ी कि झज्जर के एडिशनल सिविल जज के खिलाफ विभागीय जांच जारी है। भ्रष्टाचार के मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने जज के खिलाफ जांच बैठा दी है। बस, उसका शातिर दिमाग चल पड़ा। धनीराम ने हाईकोर्ट रजिस्ट्रार की ओर से एक लेटर झज्जर के एडिशनल सिविल जज के नाम लिखा। यह लेटर उसी जज के नाम से लिखा था जिसके खिलाफ पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने विभागीय जांच शुरू की थी। लेटर को शातिर चोर ने झज्जर के एडिशनल जज के पते पर भेजा। लेटर में उसने लिखा कि जांच पूरा होने के दो माह तक आप लीव पर रहेंगे। लेटर पढ़ते ही आरोपी जज साहब अगले दिन से छुट्टी पर चले गए। धनीराम के फर्जीवाड़े का कारनामा यहीं पर समाप्त नहीं हुआ। उसने एक और लेटर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार की ओर से लिखा कि जब तक एडिशनल जज दो माह की छुट्टी पर हैं तब तक ये जज काम देखेंगे।आगामी 40 दिनों तक उनकी जगह सुनवाई करेंगे। लेटर तय पते पहुंच भी गया। लेटर के मुताबिक धनीराम खुद एडिशनल जज के रूप में काम करने लगा। 40 दिन के अंदर इस फर्जी जज ने 2470 केस की सुनवाई की। हत्या, रेप और कुछ अन्य संगीन मामलों को छोड़कर अधिकांश केस में वो जमानत देता गया। कहा जाता है कि इन दो महीनों में उसने 2000 से ज्यादा अपराधियों को जमानत पर रिहा कर दिया था, लेकिन कईयों को उसने अपने फैसले से जेल भी भिजवाया था। हालांकि बाद में मामले का खुलासा हुआ तो वह पहले ही वहां से भाग चुका था। इसके बाद जिन अपराधियों को उसने जमानत पर रिहा किया था, उन्हें फिर से पकड़कर जेल में डाला गया।
धनीराम मित्तल ने शुरुआत में अच्छी पढ़ाई करने और सरकारी नौकरी के लिए काफी प्रयास किए, नौकरी पाने में असफल रहने पर उसने अपराध की दुनिया में कदम रखना बेहतर समझा। सबसे पहले उसने फर्जी कागजातों के आधार पर ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना शुरू किया। फर्जी कागजात के जरिए धनीराम ने सबसे पहले रेलवे में स्टेशन मास्टर की नौकरी तक हासिल कर ली। पर उसने यह नौकरी खुद ही छोड़ दी। छह साल तक नौकरी करने से भी ख्साहिश पूरी नहीं हुई तो धनीराम वाहन चोरी की दुनिया में आ गया। वाहन चोरी करने के बाद उसका फर्जी कागज बनाकर बेचने का काम करने लगा। चोरी के कई मामलों में धनीरम को गिरफ्तार होना और जेल जाने का सिलसिला जारी रहा।
अदालती कार्रवाई से बचने को LLB की डिग्री हासिल की
चोरी के बाद अदालती कार्रवाई से बचने के लिए धनीराम मित्तल ने राजस्थान से एलएलबी की डिग्री हासिल की। हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की पढ़ाई की। इतना ही नहीं, कानूनी शिकंजे से बचने के लिए उसने ग्राफोलॉजी की भी पढ़ाई की। यह सब धनीराम मित्तल ने केवल इसलिए किया कि वो वाहन चोरी करने के बाद फर्जी कागजात बनाने के अपने कौशल के दम पर पुलिस और अदालत के चक्करों से बच सके।
जब जज बोला मेरी कोर्ट से बाहर निकलो तो धनीराम फरार ही हो गया
धनीराम ने हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान के आसपास के इलाकों में अपना नेटवर्क भी तैयार कर लिया था। इस काम में उसका आत्मविश्वास इतना बढ़ गया कि जब एक बार वाहन चोरी के मामले में पुलिस उसे लेकर कोर्ट पहुंची तो जज साहब उसे कोर्ट के बाहर ही पहचान गए। उन्होंने धनीराम से कहा कि तुम कोर्ट से बाहर निकलो। इस पर उसने पुलिस वालों से कहा कि आज जज साहब गुस्से में है। बिना सुनवाई के कह दिया यहां से जाओ। इसके बाद उसने पुलिस वालों के साथ चाय पी। पुलिस वालों से कहा कि दो मिनट में आ रहा हूं और मौका देख वहां से गायब हो गया। जब जज साहब ने कोर्ट में पेशी के लिए बुलाया तो पुलिस वाले सन्न रह गए। जज ने पुलिस वालों से पूछा – धनीराम कहां है, तो पुलिस वालों ने कहा कि सर उसने बताया कि जज साहब ने कहा तुम जाओ, तुम्हारा यहां कोई काम नहीं। जज साहब को भी माजरा समझने में दे नहीं लगी। वो समझ गए चोर धनीराम एक बार फिर फरार हो गया।
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