नई दिल्ली
देश के 25 हाइकोर्ट के शीर्ष 50 जजों का एक पूल बनाया जाएगा। इसका रिकॉर्ड सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के स्थायी सचिवालय में रखा जाएगा। पूल में शामिल किए जाने वाले ये वे जज होंगे जो शीर्ष अदालत में प्रोन्नत होने के योग्य होंगे।
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आपको बता दें कि देश के चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के शोध और योजना केंद्र यानी सेंटर फॉर प्लानिंग एंड रिसर्च सीपीआर में ही कोलेजियम का स्थाई सचिवालय बना दिया है। सरकार की भी यही मंशा थी। अब कोलेजियम के इस स्थाई सचिवालय में देश के 25 हाइकोर्ट के शीर्ष 50 जजों का एक पूल बनाया जाएगा। सचिवालय में स्क्रीनिंग और रिकॉर्ड पर लाए गए वरिष्ठ जजों के आदेश, फैसले और व्यवहार बर्ताव का रिकॉर्ड रखा जाएगा, ताकि जज या जजों के रिटायर होते ही रिक्त स्थान भरने के लिए ऐन वक्त पर रिकॉर्ड खंगाले जाने की जद्दोजहद बचा जा सकेदेश के 25 हाइकोर्ट के शीर्ष 50 जजों का एक पूल बनाया जाएगा।
हालांकि न्यायिक सेवा यानी निचली अदालत से प्रोन्नत होकर हाईकोर्ट जज बनने वालों का पूरा रिकॉर्ड हाईकोर्ट में जरूर रहता है लेकिन बार से सीधे जज बनने वालों का रिकॉर्ड नहीं। इस व्यवस्था से सुप्रीम कोर्ट में जजों के रिक्त पद भरने में चौकसी, रफ्तार और पारदर्शिता बनी रहेगी।
वरिष्ठ जजों के इस पूल में कम से कम 50 वरिष्ठ जजों का रिकॉर्ड फिलहाल तैयार होगा ताकि सुप्रीम कोर्ट में जजों के रिटायर होने से पहले ही उनकी नियुक्ति आसान हो सके, साथ ही रफ्तार भी बनी रहे और पारदर्शिता भी बने रहे।
RTI के दायरे से बाहर रहेगा रिकार्ड
सचिवालय में तैयार रिकॉर्ड सूचना के अधिकार के दायरे से बाहर होंगे या नहीं इस पर अभी फैसला नहीं हो पाया है। लेकिन बताया जा रहा है कि इनके आरटीआई के दायरे में आने की गुंजाइश कम ही होगी क्योंकि जजों का रिकॉर्ड सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के विशिष्ट अधिकार के तहत रहता है। इसे फिड्यूशियरी कैपेसिटी यानी विश्वास का अधिकार क्षेत्र कहते हैं। और सूचना का अधिकार कानून ऐसे विशिष्ट अधिकारों या क्षमता के तहत रखी गई जानकारी के सार्वजनिक करने का निषेध करता है और हाई कोर्ट्स के कॉलेजियम में ऐसे सचिवालय स्थापित ही नहीं हैं।
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