’30 वर्ष से कम की नौकरी पर कर्मचारियों को तीसरी प्रोन्नति का हक़ नहीं’| कोर्ट का अहम फैसला; कहा-पहले गलती हुई है तो इसका मतलब ये नहीं कि उसे दोहराया जाए

नई दिल्ली 

केंद्र सरकार के कर्मचारियों के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है और कहा है कि केंद्र के कर्मचारियों को 30 साल से कम की सेवा पर तीसरा ‘संशोधित सुनिश्चित करियर प्रगति योजना’ ( MACP) यानी वित्तीय उन्नति का लाभ नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने उन दलीलों को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि केंद्र ने कुछ अफसरों को महज 28 साल की सेवा पर तीसरे एमएसीपी का लाभ दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि गलती को दोहराया जाए।

यादें…

जस्टिस वी.कामेश्वर राव और ए.के. मेंदीरत्ता की बेंच ने केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) के एक अधिकारी की मांग को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया। उन्होंने अपने फैसले में कहा है कि सरकार ने पहले गलती से किसी को 30 साल से कम की सेवा में तीसरे एमएसीपी का लाभ दिया, इसका मतलब यह नहीं कि इस गलती को दोहराया जाए। बेंच ने कहा कि  यदि याचिकाकर्ता भूप सिंह की मांग को स्वीकार किया गया तो इसका मतलब यह होगा कि उन्हें 2008 में मिले दूसरे एमएसीपी के महज छह साल बाद ही यानी कुल 28 साल की सेवा पर तीसरे एमएसीपी का लाभ देने जैसे होगा। बेंच ने भूप सिंह की अपील को खारिज कर दिया।

ये होती है MACP
MACP के तहत यह प्रावधान है कि यदि किसी कर्मचारी को पदोन्नति नहीं मिलती है तो भी एक निश्चित सेवा के अंतराल पर उनकी वित्तीय बढ़ोतरी होगी। इसके लिए 10 साल, 20 साल और 30 साल की सेवा पूरी होने पर वित्तीय प्रोन्नति देने का प्रावधान है।

केंद्र सरकार की ओर से वकील भगवान स्वरूप शुक्ला ने बेंच को बताया कि पहले दो अधिकारियों को गलती से महज 28 साल की सेवा पर तीसरे एमएसीपी का लाभ दिया गया। दो गलती एक को सही नहीं बना सकती। उन्होंने एमएसीपी को लेकर समय-समय पर जारी कार्यालय आदेश भी कोर्ट के समक्ष पेश करते हुए याचिका को खारिज करने की मांग की थी।

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‘30 वर्ष से कम की नौकरी पर केंद्रीय कर्मचारियों को तीसरी प्रोन्नति का हक़ नहीं’| कोर्ट का अहम फैसला; कहा-पहले गलती हुई है तो इसका मतलब ये नहीं कि उसे दोहराया जाए

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