जीवन
डॉ. अलका अग्रवाल
प्रेम नीर से ही बढ़ता है,जीवन का यह पौधा।जीवन के अपने अनुभव से,हमने सूत्र ये खोजा।
प्रेम मिला ना, मां का जिनकोवे तो सचमुच हुए अनाथ।पिता बने गर ग्रास काल का,उनके सर पर किसका हाथ?
बहिन- भाई के प्यार की सरिता,गंगा जैसी पावन है।बहिन- बहिन और भाई- भाई का,प्यार बड़ा मनभावन है।
हुए युवा तो प्रेम भी अपने,नए रूप में आता है।हो विवाह तो पति- पत्नी में,प्रेम का सच्चा नाता है।
जल बिन जैसे सूखे पौधा,प्रेम बिना मानव का हाल।प्रेम बिना जीवन ना जीवन,जीवन बन जाता जंजाल।
(लेखिका सेवानिवृत कॉलेज प्राचार्य हैं)
नोट: अपने मोबाइल पर ‘नई हवा’की खबरें नियमित प्राप्त करने के लिए व्हाट्सएप नंबर 9460426838 सेव करें और ‘Hi’ और अपना नाम, स्टेट और सिटी लिखकर मैसेज करें
SBI कस्टमर्स के लिए जरूरी खबर, बैंक अपने सिस्टम में करने जा रहा है ये बड़ा बदलाव, जानिए डिटेल
डिजिटल भारत की दर्दनाक तस्वीर: भीषण गर्मी में टूटी कुर्सी के सहारे नंगे पांव चलकर बैंक पहुंची 70 साल की महिला
सुप्रीम कोर्ट का अहम निर्देश; वकील हड़ताल पर नहीं जा सकते, न ही न्यायिक कार्यों से बच सकते हैं’ | जानिए सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?
खेल तो आखिर यही चलता है…
मोदी सरकार 2024 में फिर सत्ता में लौटी तो अमीरी-गरीबी की खाई पाटने के लिए उठा सकती है ये बड़ा कदम | जानिए सरकार का क्या है पूरा प्लान
‘30 वर्ष से कम की नौकरी पर केंद्रीय कर्मचारियों को तीसरी प्रोन्नति का हक़ नहीं’| कोर्ट का अहम फैसला; कहा-पहले गलती हुई है तो इसका मतलब ये नहीं कि उसे दोहराया जाए