रेलवे यूनियन चुनाव को लेकर रेलवे बोर्ड ने जारी की अधिसूचना | जानें कब होंगे चुनाव

नई दिल्ली 

रेलवे कर्मचारी संगठनों की मान्यता के लिए चुनाव का ऐलान हो गया है। रेलवे बोर्ड ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। चुनाव जुलाई-अगस्त में होंगे; लेकिन अभी इसकी डेट तय नहीं हुई है। चुनाव की तिथियों की घोषणा रेलवे बोर्ड बाद में जारी करेगा। अधिसूचना के साथ ही कर्मचारी संगठनों में हलचल तेज हो गई है।

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आपको बात दें कि रेलवे कर्मचारी संगठनों की मान्यता के लिए पिछले 20 साल में  ये तीसरा चुनाव होगा। रेलवे बोर्ड ने कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव कराने का ऐलान किया है। बोर्ड की अधिसूचना में सभी जोन समेत मेट्रो रेलवे में चुनाव को लेकर दिशा-निर्देश दिया है। सभी जोनों को अपने-अपने स्तर पर तैयारी करने का निर्देश दिया गया है

रेलवे में यूनियन की मान्यता के लिए पहली बार चुनाव मई 2007 में कराये गये थे। इसमें एआईआरएफ (ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन) की नार्दन रेलवे मेंस यूनियन नियम अनुसार 35 फीसदी वोट लेकर सत्ता में आई थी। जबकि एनएफआईआर (नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवे) की उत्तरी रेलवे मजदूर यूनियन बड़े मार्जन से निश्चित फीसदी वोट पूरा ना होने के कारण सत्ता से बाहर हो गई थी।

दूसरी बार 2013 में हुए चुनाव में दोनों यूनियनों को 35 फीसदी वोट हासिल होने के कारण मान्यता मिल गयी। रेलवे में एआईआरएफ को 17 जोनों में से 14 जोनों में विजय मिली थी। जबकि एनएफआईआर को 17 में से सिर्फ 10 जोन में ही जीत हासिल हुई थी। तीसरी बार 2019 में चुनाव प्रस्तावित था। इसके लिए अधिसूचना जारी की गयी थी लेकिन पहले लोस चुनाव फिर कोरोना के कारण यह टलता गया। 05 साल बाद एक बार फिर से रेलवे बोर्ड से चुनाव अधिसूचना जारी होने के बाद चुनावी हलचल शुरू हो गई है।

अब दोनों फेडरेशन से जुड़ी यूनियनें फिर से अपनी मान्यता को लेकर चुनाव मैदान में उतरेंगी। आचार संहिता लग जाने के कारण चुनाव की घोषणा होने के दो माह पूर्व दोनों फेडरेशनों की मान्यता खत्म हो जाएगी।

मान्यता का ये है प्रावधान
किसी भी जोन में कर्मचारियों की कुल संख्या के 35 प्रतिशत वोट पाने पर यूनियन को ही जोन में मान्यता देने का प्रावधान है। इस बार चुनाव में एआईआरएफ (ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन) और एनएफआईआर (नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवे) के अलावा अन्य यूनियनें भी उतार सकती हैं। इस कारण रेलकर्मियों को जहां एक ओर अपनी मनपसंद यूनियन चुनने का मौका होगा वहीं दूसरी ओर दोनों मान्यता प्राप्त फेडरेशन के लिए अपना अस्तित्व बचा पाने की कठित चुनौती भी होंगी। क्योंकि कर्मचारियों की समस्याओं को बेहतर तरीके से नहीं उठाने के कारण इन यूनियन के प्रति रेलवे के आम कर्मचारियों में नाराजगी भी बढ़ी है। इस बीच देश भर में विभागवार कई यूनियनों ने अपने-अपने स्तर पर कर्मचारियों को अप्रोच करना शुरू कर दिया है।

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