जयपुर
संस्कार भारती के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और महाभारत धारावाहिक के श्रीकृष्ण के किरदार को निभाने वाले नितीश भारद्वाज ने आमेर स्थित महल में थिएटर के कलाकारों की एक कार्यशाला में अभिनय विधा के कला साधकों से संवाद किया और उनको आमेर महल में उत्कीर्णित विभिन्न शिल्पों में कला पक्ष को खोजने एवं इस विशेषता का अपने क्राफ्ट में समाहित करने के टिप्स दिए। साथ में हिंदू संस्कृति में कला की दृष्टि से हुई मिलावट के बारे में विस्तार से समझाया।
नितीश भारद्वाज ने कला साधकों को चित्रकला के विभिन्न स्वरूपों की पहचान करवाई। शीश महल में कांच की नक्काशी की कारीगरी में छुपे कला पक्ष को उजागर किया। भारद्वाज ने कई विशेषताओं की ओर साधकों का ध्यान आकृष्ट किया और बताया कि दीवारों और छतों में जुड़े हुए दर्पण के छोटे-छोटे उत्तल (convex) टुकड़ों की सजावट केवल सजावट ही नहीं अपितु कक्ष के अंदर एक दीपक जलाने से पूरा कक्ष जगमग हो उठता था और इसी तरह से सर्दी के दिनों में वहां लगी हुई तांबे की प्लेटों के ऊपर रंग-बिरंगे स्टोंस के पाउडर का लेप लगाया हुआ था जिसके कारण कक्ष में गर्माहट रहती थी।
भारद्वाज का आग्रह था कि जिस प्रकार दर्पण के जड़ाव की कला से प्रेरणा लेकर ‘मुग़ल ए आज़म’ फिल्म के “प्यार किया तो डरना क्या” गाने में इस विधा का प्रयोग किया गया। इसी प्रकार कला-साधकों को अपनी कला को उच्च बिन्दु तक ले जाने के लिए कला से सदैव प्रेरणा प्राप्त करते रहना चाहिए जो सम्पूर्ण नकल भी न हो।
भारद्वाज ने स्थानीय गाइड की मदद से महल के निर्माण में हवा पानी धूप और पर्यावरण का लाभ किस प्रकार लिया जा जाता था, सर्दी के मौसम में कक्ष को किस प्रकार गर्म और गर्मी में किस प्रकार ठंडा रखा जाता था यह देख कर प्रशंसा की व कला-साधकों का ध्यान इस ओर आकर्षित किया। सभी वास्तुकला की उस उच्चता से बेहद प्रभावित हुए कि मशीनों के अभाव में पानी को नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे प्रवाहित करने की और स्नान घर में ठंडे गर्म पानी की व्यवस्था कैसी कलात्मक एवं अद्वितीय थी। सभी सहमत थे कि आमेर महल भारतीय वास्तु और निर्माण कला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
नितीश भारद्वाज ने सभी कलाकारों से प्रश्नोत्तर एवं संवाद के माध्यम से कलाकारों को अपनी कला को और निखारने के लिए भारतीय कला के निरंतर अध्ययन-मनन और अपने ज्ञान की वृद्धि के लिए प्रयासरत रहने के लिए प्रेरित किया। इस संवाद के दौरान कलाकारों की अन्य जिज्ञासाओं को भी स्पष्ट किया। सभी कला साधक इस वर्कशाप के दौरान नितीश भारद्वाज के कृष्ण-सम मोहक-नम्र व्यक्तित्व-व्यवहार इसके साथ ही भारतीय संस्कृति एवं इतिहास में उनकी गहन रुचि, जानकारी से बेहद प्रभावित हुए।
इस अवसर पर आमेर महल के प्रबंधन ने नितीश भारद्वाज का भाव-भीना स्वागत किया। इस कार्यशाला में संस्कार भारती जयपुर प्रांत के कार्यकारी अध्यक्ष आत्मा राम सिंहल, मूर्तिकार महावीर भारती, निर्मला कुलहरी व रंगकर्मी संदीप लेले ने अपने नाट्य-दल के साथ सहभागिता की। आमेर फोर्ट के दर्शन एवं वहां कार्यशाला के आयोजन संबंधी व्यवस्था हेतु जयपुर राजघराने के नरेन्द्र सिंह का सहयोग प्राप्त हुआ।
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