रेलवे के स्क्रैप घोटाले में ग्रुप डी के तीन कर्मचारी गिरफ्तार, तीन सीनियर इंजीनियर हुए फरार

सूरत 

रेलवे के स्क्रैप घोटाले में ग्रुप डी के तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि रेलवे के तीन तीन सीनियर इंजीनियर फरार हो गए हैं। इस घोटाले में रेलवे कॉन्ट्रैक्टर और रिसीवर समेत 9 लोगों को सोमवार को ही गिरफ्तार कर लिया गया था। इस मामले में रेलवे के आईओडब्ल्यू और पीडब्ल्यूआई की संलिप्तता बताई जा रही है।

मामला गुजरात के सूरत रेलवे स्टेशन का है जहां रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से सूरत रेलवे स्टेशन से 5 लाख रुपए का 16 टन सामान कबाड़ी को बेच दिया गया। जानकारी मिली है कि करीब एक माह से सूरत स्टेशन से रेलवे के सामान को कबाड़ में बेचा जा रहा था।

मामला जब सामने आया तो  मामले में भंगार बेचने वाले रेलवे कॉन्ट्रैक्टर और रिसीवर समेत 9 लोगों को सोमवार को ही गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद अब  ग्रुप डी के तीन कर्मचारियों को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। लेकिन रेलवे के जिन तीन इंजीनियर्स की इस घोटाले में लिप्तता पाई गई है वे फरार हो गए हैं। RPF  बुधवार को रेलवे के आईओडब्ल्यू और पीडब्ल्यूआई (इंजीनियरिंग विभाग) से पूछताछ करने वाली थी, लेकिन उससे पहले ही वे फरार हो गए।

ये हुए फरार
इस मामले में संदेह के घेरे में आए सीनियर सेक्शन इंजीनियर (पीडब्ल्यूईआई ) संजय पांडेय और सीनियर सेक्शन इंजीनियर (आईओडब्ल्यू ) पंकज और निरंजन फरार हो गए हैं। मंगलवार को इन्हें आरपीएफ के समक्ष पेश होना था, लेकिन ये हाजिर नहीं हुए। इससे आरपीएफ का शक और गहरा हो गया है।

हो सकते हैं बड़े खुलासे
RPF नेतीनों इंजीनियर्स को पकड़ने की कवायद शुरू कर दी है। इनसे घोटाले के बड़े राज खुल सकते हैं। जिस आरोपी शाबिर ने रेलवे का स्क्रैप सचिन नाका में जाकर कबाड़ी के यहां बेचा था वह रेलवे का कॉन्ट्रैक्टर बताया जा रहा है। शाबिर रेलवे में छोटे-छोटे काम का कॉन्ट्रैक्ट लेता है। सूत्रों ने बताया कि आरोपी शाबिर ने रेल अधिकारियों की मिलीभगत से ही 5 लाख का स्क्रैप बेच दिया। शाबिर ने रेलवे का स्क्रैप सलीम अब्दुल गफ्फार को बेचा। इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है। दोनों ने रेलवे के ग्रुप डी के तीन कर्मचारियों का नाम लिया। इनके नाम नवीन, सतीश और राहुल हैं। इन तीनों को भी आरपीएफ ने गिरफ्तार कर लिया है।

नियमों को दरकिनार कर बेच दिया स्क्रैप
रेलवे के स्क्रैप को एक निर्धारित प्रक्रिया के तहत ही बेचा जा सकता है। इसके लिए भी टेंडर प्रक्रिया की जाती है। इसके अलावा नीलामी के जरिये भी स्क्रैप बेचने का नियम है। सूरत रेलवे स्टेशन पर स्क्रैप बेचने की जिम्मेदारी इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों की ही थी। जिन अधिकारियों पर ये जिम्मेदारी थी लेकिन उन्होंने बिना कोई प्रक्रिया अपने पैसे के  लालच में अवैध रूप से कॉन्ट्रैक्टर से मिलकर स्क्रैप बेचना शुरू कर दिया। हालांकि कबाड़ की दुकान पर बेचे गए सामान को अभी तक रेलवे के मटेरियल विभाग ने स्क्रैप घोषित नहीं किया है।

ऐसे चल रहा था खेल
एक महीने पहले ही शाबिर ने चार टन स्क्रैप बेचा था और सलीम को ही बेचा था। 23 और 24 अप्रैल को फिर से चार-चार टन स्क्रैप बेचा। 25 अप्रैल को जब फिर बेचने गए तब इसकी भनक आरपीएफ को लग गई। सूरत आरपीएफ क्राइम ब्रांच सचिन नाका पर सलीम की कबाड़ की दुकान पर जा पहुंची, जहां रेलवे का स्क्रैप बरामद हुआ। माल को जब्त कर लिया गया। मंगलवार शाबिर और सलीम सहित 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें 7 लेबर हैं। 

यह स्क्रैप धांधली रेलवे कर्मचारियों और कॉन्ट्रैक्टर की मिलीभगत से हुई। इसमें रेल कर्मियों ने पैसे कमाने के लालच में कॉन्ट्रैक्टर शाबिर का साथ दिया। शाबिर का सामान लेने के लिए यार्ड में उसका आना-जाना लगा रहता था। रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से वह चोरी-छिपे रेल स्क्रैप कबाड़ी की दुकान पर बेचा करता था। शाबिर ने धीरे-धीरे पटरी के टुकड़े, फिश प्लेट, सरिया और लोहे के एंगल बेचना शुरू किया था।

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