कोटा के राजकीय कला कन्या महाविद्यालय में शोध प्रबंध लेखन विषय पर हुई ऑनलाइन राष्ट्रीय कार्यशाला

कोटा 

राजकीय कला कन्या महाविद्यालय कोटा में शोध अध्ययन प्रकोष्ठ एवं आइक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में पीएचडी शोध प्रबंध लेखन विषयक ऑनलाइन राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर मोहम्मद अकरम -समाजशास्त्र विभाग अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय तथा मुख्य वक्ता प्रोफेसर एस सी राजौरा सेवानिवृत्त शोध निदेशक कोटा विश्वविद्यालय कोटा रहे।

7.8 तीव्रता का भूकंप से हिली धरती, चार देशों में तबाही, जमींदोज हुई इमारतें, दो हजार से ज्यादा लोगों के मरने की आशंका, हजारों घायल

मुख्य वक्ता प्रोफेसर राजौरा ने शोध प्रबंध लेखन की संपूर्ण प्रक्रिया को विस्तार से प्रस्तुत करते हुए बताया शोध प्रबंध में सर्वप्रथम परिचयात्मक भाग उसके बाद शोध विषय का विस्तार, शोध प्रविधि और सारांश को स्थान दिया जाना चाहिए। लेखन से पूर्व सार्थक और प्रासंगिक साहित्य का पढ़ना और चिंतन करना आवश्यक है। शोध प्रबंध साहित्यिक शैली में लिखना चाहिए जिसमें स्पष्टता हो। जटिल शब्दावली से बचना चाहिए। व शोधार्थी जिस विश्वविद्यालय से पंजीकृत है उसके दिशा निर्देशों एवं नियमानुसार कार्य करना चाहिए। संदर्भ कार्ड तैयार करना एक महत्वपूर्ण कार्य है। वह बौद्धिक  चोरी से बचना चाहिए। शोध लेखन कितना भी प्रभावी हो अगर अपने उद्देश्य को संप्रेषित करने में असमर्थ है तो निरर्थक है।

शाबाश! जबरन KISS किया तो गुस्साई महिला ने युवक का होंठ ऐसे चबा डाला कि अलग हो गया

विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर मोहम्मद अकरम ने अपने संबोधन में कहा कि शोध कार्य ज्ञान की अभिवृद्धि के लिए किया जाता है। शोध प्रबंध लेखन प्रत्येक विद्यार्थी के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। शोधार्थी को शोध प्रबंध लेखन से आगे बढ़कर उसके प्रकाशन के बारे में सोचना चाहिए। अपनी कल्पना शक्ति को विकसित कर प्रस्तुतीकरण की क्षमता बढ़ाना और लेखक के रूप में पढ़ने की क्षमता विकसित होने पर शोध लेखन पूर्ण हो पाता है।

7th Pay Commission: कर्मचारियों के लिए एक और अच्छी खबर, जारी हुए AICPI के ताजा आंकड़े, अब इतना बढ़ जाएगा DA

कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य डॉ. अशोक गुप्ता ने कहा कि शोधार्थी और शोध पर्यवेक्षक के बीच निरंतर संवाद और संपर्क रहना चाहिए। शोध प्रबंध लेखन में निरंतरता होनी चाहिए जो विचार आते हैं उन्हें निरंतर लिखते रहना चाहिए। शोध प्रबंध का हर वाक्य स्पष्ट और तार्किक होना चाहिए।

कार्यक्रम के प्रारंभ में शोध अध्ययन प्रकोष्ठ की सदस्य एवं आयोजन सचिव डॉ. दीपा स्वामी ने मुख्य अतिथि प्रोफेसर अकरम, कार्यक्रम की संचालन कर रही डॉ. सुनीता शर्मा ने मुख्य वक्ता प्रोफेसर राजौरा का परिचय प्रस्तुत किया।

प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ. टी एन दुबे ने विषय परिवर्तन करते हुए कहा कि पीएचडी शोध लेखन एक प्रासंगिक विषय है और इस लेखन हेतु अगर हम योजना बनाकर चलें और अपने शोध कार्य के लक्ष्य को ध्यान में रख विश्वविद्यालय के निर्धारित नियमों की जानकारी रखें तो समय प्रबंधन एवं पाठ्य सामग्री की संबद्धता के द्वारा इस कार्य को सफलता पूर्ण संपन्न किया जा सकता है।

इस राष्ट्रीय कार्यशाला में शोधार्थी एवं शोध पर्यवेक्षकों तथा संकाय सदस्यों ने सहभागिता की प्रकोष्ठ की सदस्य एवं आयोजन सचिव डॉ मनीषा शर्मा ने कार्यशाला के अंत में धन्यवाद ज्ञापन किया। इस कार्यशाला का तकनीकी प्रबंधन सदस्य डाॅ.प्रियंका वर्मा ने किया।

नोट:अपने मोबाइल पर नई हवा’की खबरें नियमित प्राप्त करने के लिए व्हाट्सएप नंबर 9460426838 सेव करें और ‘Hi’ और अपना नाम  और सिटी लिखकर मैसेज करें

बैंक में नकली गोल्ड रखकर उठाया दो करोड़ का लोन,  रेंडम जांच में खुली घपले की पोल | गोल्ड वैल्यूअर पर उठी उंगली

7.8 तीव्रता का भूकंप से हिली धरती, चार देशों में तबाही, जमींदोज हुई इमारतें, दो हजार से ज्यादा लोगों के मरने की आशंका, हजारों घायल

अस्पताल के बीस बच्चों की सांसें अटकी, चोरों ने काट दी ऑक्सीजन की पाइप लाइन

इस IT कंपनी ने कर्मचारियों का लिया ऐसा Exam कि फिर छिन गई 600 लोगों की नौकरी

शाबाश! जबरन KISS किया तो गुस्साई महिला ने युवक का होंठ ऐसे चबा डाला कि अलग हो गया

न थोपें उन पर अपने सपनों का पहाड़

जब जज के सामने जिंदा खड़ा हो गया एक्सीडेंट में मरा हुआ शख्स | फिर इसके बाद ये हुआ

7th Pay Commission: कर्मचारियों के लिए एक और अच्छी खबर, जारी हुए AICPI के ताजा आंकड़े, अब इतना बढ़ जाएगा DA

डाकघर की इस स्कीम में आपका पैसा हो जाएगा डबल, सरकार ने बढ़ा दिया है अब ब्याज | यहां जानिए डिटेल

मेरी सारी वांछित देह, लांछनों की…

आसमान को निहारना है तो अभी निहार लीजिए, हो सकता है कुछ सालों में आपको यह दिखना ही बंद हो जाए | जानिए इसकी वजह