न थोपें उन पर अपने सपनों का पहाड़

उड़ान  

डॉ. विनीता राठौड़


फिर से आ गया परीक्षाओं का मौसम
चलो बनाएं तनाव मुक्त “इकोसिस्टम”
माता-पिता, शिक्षक और समाज मिल कर
छात्र- संवाद स्थापित कर, खोलें समग्र विकास के द्वार

न थोपें उन पर अपने सपनों का पहाड़
स्वैच्छिक हो उनका लक्ष्य निर्धारण
मात्र एक परीक्षा से नहीं होता भविष्य निर्धारण
सहायक होती यह करने में आत्म परीक्षण

सफलता- विफलता से न हो योग्यता मापन
रूचि आंकलन का मानें इसे सुलभ सा साधन
सकारात्मक विचारों का करें मन पर अंकन
वार्ता से करें कोमल मन का मार्गदर्शन

दूसरों के प्रतिस्पर्धी नहीं बनाएं
खुद से खुद का मुकाबला सिखाएं
हम सब की यह नैतिक जिम्मेदारी
मंशा उनकी सुदृढ़ हमें बनानी
जीवन अनवरत चलने वाली परीक्षा
इसमें न आने पाए निराशा व हताशा
माहौल उन्हें कुछ ऐसा दें हम
हर्षित, पुष्पित व पल्लवित हों उनके मन
डर का जीवन में न हो कोई स्थान
हौंसलों से भरें नित नई उड़ान।

(लेखिका राजकीय महाविद्यालय, नाथद्वारा, राजसमन्द की प्राणीशास्त्र की सेवानिवृत्त सह आचार्य हैं)


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