राजनांदगांव
प्रमुख जैन मुनि आचार्य विद्यासागर महाराज का रविवार आधी रात के बाद करीब ढाई बजे देवलोक गमन हो गया। उन्होंने छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ के चंद्रगिरी में अंतिम सांसें लीं। वह 77 वर्ष के थे। जैन आचार्य विद्यासागर जी महाराज कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आचार्य श्री 108 विद्यासागर महाराज के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
आचार्य विद्यासागर महाराज दिगंबर जैन समुदाय के सबसे प्रसिद्ध संत थे।उनकी उत्कृष्ट विद्वत्ता और गहन आध्यात्मिक ज्ञान के लिए उन्हें व्यापक रूप से पहचाना जाता था।10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक के सदलगा में जन्मे आचार्य विद्यासागर महाराज ने छोटी उम्र से ही आध्यात्मिकता को अपना लिया था।
1968 में 22 वर्ष की आयु में, आचार्य विद्यासागर महाराज को आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज द्वारा दिगंबर साधु के रूप में दीक्षा दी गई। 1972 में उन्हें 1972 में आचार्य का दर्जा दिया गया। अपने पूरे जीवन में, आचार्य विद्यासागर महाराज जैन धर्मग्रंथों और दर्शन के अध्ययन और अनुप्रयोग में गहराई से लगे रहे। वह संस्कृत, प्राकृत और अन्य भाषाओं पर अपनी पकड़ के लिए भी जाने जाते थे।
उन्होंने कई ज्ञानवर्धक टिप्पणियाँ, कविताएँ और आध्यात्मिक ग्रंथ लिखे। जैन समुदाय के भीतर उनके कुछ व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त कार्यों में निरंजन शतक, भावना शतक, परीष जया शतक, सुनीति शतक और श्रमण शतक शामिल हैं।
निधन से तीन दिन पहले आचार्य पद त्यागा
विद्यासागर महाराज ने मौन व्रत भी ले रखा था। देर रात करीब 2:35 बजे आचार्य ने समाधि ली। जैन मुनि के निधन की खबर फैलते ही जैन समाज के लोग डोंगरगढ़ पहुंचने लग गए हैं। बताया गया है कि निधन से 3 दिन पहले ही महाराज जी ने आचार्य पद को त्याग दिया था। इसके बाद उन्होंने मौन धारण कर लिया था। उनके अलावा सभी घर के लोग संन्यास ले चुके हैं। उनके भाई अनंतनाथ और शांतिनाथ ने आचार्य विद्यासागर जी से दीक्षा ग्रहण की और मुनि योगसागर जी और मुनि समयसागर जी कहलाए।
आचार्य विद्यासागर ने किन चीजों को त्यागा?
- कोई बैंक खाता नहीं, कोई ट्रस्ट नहीं, कोई जेब नहीं , कोई मोह माया नहीं, अरबों रुपए जिनके ऊपर निछावर होते हैं उन गुरुदेव के कभी धन को स्पर्श नहीं किया.
- आजीवन चीनी का त्याग
- आजीवन नमक का त्याग
- आजीवन चटाई का त्याग
- आजीवन हरी सब्जी का त्याग, फल का त्याग, अंग्रेजी औषधि का त्याग, सीमित ग्रास भोजन, सीमित अंजुली जल
- आजीवन दही का त्याग
- सूखे मेवा का त्याग
- आजीवन तेल का त्याग,
- सभी प्रकार के भौतिक साधनों का त्याग
- एक करवट में शयन, बिना चादर, गद्दे, तकिए के सिर्फ तख्त पर किसी भी मौसम में सोना
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी का ब्रह्मलीन होना देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। लोगों में आध्यात्मिक जागृति के लिए उनके बहुमूल्य प्रयास सदैव स्मरण किए जाएंगे। वे जीवनपर्यंत गरीबी उन्मूलन के साथ-साथ समाज में स्वास्थ्य और शिक्षा को बढ़ावा देने में जुटे रहे। यह मेरा… pic.twitter.com/mvJJPbiiwM
— Narendra Modi (@narendramodi) February 18, 2024
पीएम मोदी ने एक्स पर किया पोस्ट
कुछ महीने पूर्व विधानसभा चुनाव के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डोंगरगढ़ पहुंचकर जैन आचार्य विद्यासागर जी महाराज से मुलाकात की थी, जिसकी फोटो उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी। पीएम मोदी ने X पर पोस्ट कर लिखा,’मेरे विचार और प्रार्थनाएँ आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी के अनगिनत भक्तों के साथ हैं। आने वाली पीढ़ियां उन्हें समाज में उनके अमूल्य योगदान के लिए याद करेंगी, खासकर लोगों में आध्यात्मिक जागृति के लिए उनके प्रयासों, गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और अन्य के लिए उनके काम के लिए याद उन्हें रखा जाएगा। मोदी ने रविवार को उनकी बातचीत की कुछ तस्वीरें साझा करते हुए कहा कि मुझे वर्षों तक उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का सम्मान मिला। मैं पिछले साल के अंत में डोंगरगढ़, छत्तीसगढ़ में चंद्रगिरि जैन मंदिर की अपनी यात्रा को कभी नहीं भूल सकता। उस समय, मैंने आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी के साथ समय बिताया था और उनका आशीर्वाद भी प्राप्त किया था।
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