नई दिल्ली
देश के प्रधान न्यायाधीश (CJI) जस्टिस यूयू ललित ने लिस्टिंग का जो नया सिस्टम लागू किया है उसी पर सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने बड़ा सवाल उठा दिया है। सवाल ही नहीं उठाया बल्कि दो जजों की इस बेंच ने अपने एक आर्डर में इसे लेकर असाधारण टिप्पणी तक कर दी है। इससे सुप्रीम कोर्ट के जजों के बीच असहज स्थिति बन गई है। इस तरह का वाकया सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में बहुत काम देखने को मिले हैं।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में प्रधान न्यायाधीश (CJI) जस्टिस यूयू ललित ने सुनवाई के लिए मुकदमों की लिस्टिंग की नई व्यवस्था की है जो अभी जजों को भा नहीं रही है। इसी नई व्यवस्था पर शीर्ष अदालत के जज जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय ओका की बेंच ने बाकायदा अपने ऑर्डर में टिप्पणी कर दी। उन्होंने आदेश में लिखा कि मामलों पर गौर करने के लिए जजों को पर्याप्त समय नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने इसके लिए नई लिस्टिंग प्रणाली को जिम्मेदार ठहराया।
सुप्रीम कोर्ट के दो जजों जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस. ओका की बेंच ने ‘नागेश चौधरी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य’ केस की सुनवाई के बाद दिए फैसले में ऐसी टिप्पणी की है और सुनवाई को 15 नवंबर तक टालने का आदेश जारी किया। जस्टिस कौल के लिखित आदेश में कहा गया है, ‘नया लिस्टिंग सिस्टम सुनवाई के लिए तयशुदा मामलों पर विचार के लिए पर्याप्त समय नहीं देता है जैसा कि मौजूदा मामले में हुआ। इसकी वजह ‘दोपहर बाद’ के सत्र में कई मामलों का आना है।’
आपको बता दें कि CJI जस्टिस यूयू ललित ने एनवी रमण के चीफ जस्टिस पद से रिटायर होने के बाद देश के 49वें मुख्य न्यायाधीश की कमान संभाली है। जस्टिस रमण ने रिटायरमेंट के बाद कहा था कि वकील बार-बार शिकायत करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए नई याचिकाएं लिस्ट नहीं हो पाती हैं। वह अपने कार्यकाल में इस तरफ ध्यान नहीं दे सके। इसके बाद जस्टिस यूयू ललित ने देश का पटधान न्यायाधीश बनने के बाद लिस्टिंग की नई प्रथा लागू की, लेकिन साथों जजों यह भा नहीं रही है।
ये है लिस्टिंग का नया सिस्टम
CJI जस्टिस यूयू ललित ने लिस्टिंग की जो नई प्रणाली लागू की है उसमें सुप्रीम कोर्ट के सभी 30 जजों के लिए दो शिफ्ट बना दिए गए हैं। इस नई व्यवस्था के तहत सोमवार से शुक्रवार तक वो नए-नए मामलों की सुनवाई के लिए 15 अलग-अलग पीठों में बैठते हैं और हर दिन 60 मामलों की सुनवाई करते हैं। तीन-तीन जजों की बेंच में सभी जजों ने मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को सुबह 10.30 बजे से दोपहर 1 बजे की पहली शिफ्ट में पुराने मामलों की सुनवाई की थी। उन दिनों दोपहर बाद की दूसरी शिफ्ट में दो-दो जजों की बेंच को 30 केस दिए गए जिनकी सुनवाई दो घंटे में करनी थी। यानी, औसतन 4 मिनट में एक केस का निपटारा कर देना था। हालांकि, सीजेआई ने मंगलवार से 30 की जगह केसों की संख्या घटाकर 20 कर दी थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शुक्रवार को दो जजों की एक पीठ ने सुनवाई टालने से इनकार कर दिया था। जजों ने कहा था कि उन्होंने देर शाम तक काम करके पूरी केस फाइल पढ़ी और वकील दूसरे दिन भी इसे पढ़ने की अपेक्षा नहीं कर सकते। लेकिन, दूसरे केस में इसी पीठ को सुनवाई टालनी पड़ी। तब बेंच ने कहा, ‘हमें केस फाइल आखिरी वक्त में मिली। इस कारण हमें इसे पढ़ने का वक्त ही नहीं मिल पाया।’ चूंकि ‘लिस्ट ऑफ बिजनस’ दिन में देरी से प्रकाशित हुई थी जिस कारण रजिस्ट्री को जजों के घर पर केस फाइल भेजने में देरी हो गई।
दो जजों की दूसरी पीठ ने शुक्रवार को एक वकील मुकदमे की सुनवाई की अगली तारीख की बार-बार मांग रहा था, लेकिन जजों ने यह कहते हुए उसकी अपील ठुकरा दी कि नई लिस्टिंग प्रणाली के बाद तय तारीख पर सुनवाई करना दुभर हो गया है।
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