सीनियर एडवोकेट डेसिग्नेशन प्रक्रिया के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दी नई व्यवस्था, जानिए अब कैसे मिलेंगे अंक 

नई दिल्ली | नई हवा ब्यूरो 

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सीनियर एडवोकेट डेसिग्नेशन प्रक्रिया के लिए नई व्यवस्था दी और साफ़ किया कि सीनियर एडवोकेट डेसिग्नेशन के लिए आवेदनों का आकलन करने के लिए वर्तमान व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए। सुप्रीम कोर्ट सीनियर एडवोकेट जयसिंह की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि सीनियर एडवोकेट डेसिग्नेशन के लिए आवेदनों का आकलन करते समय  हाईकोर्ट को 10 से 20 साल की प्रैक्टिस में रहने वाले वकील के लिए फ्लैट 10 अंक आवंटित करने के बजाए  10 से 20 साल की प्रैक्टिस वाले वकीलों को प्रत्येक साल की प्रैक्टिस के लिए एक अंक आवंटित करना चाहिए।

जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने यह स्पष्टीकरण जारी करते हुए सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह द्वारा दायर एक आवेदन में प्रार्थना की अनुमति दी।

पीठ ने कहा, “हम स्थिति को स्पष्ट करते हैं और मानते हैं कि एक विद्वान वकील को आवंटित किए जाने वाले 10 अंकों के बजाय, जो 10-20 साल की प्रैक्टिस वाले वकील को प्रत्येक वर्ष की प्रैक्टिस के लिए एक अंक आवंटित किया जाना चाहिए।”

सीनियर एडवोकेट जयसिंह ने दायर एक आवेदन में कहा  कि कई हाईकोर्ट 10-20 वर्षों की प्रैक्टिस के लिए 10 अंक देने की प्रथा का पालन करते हैं। उन्होंने कहा कि 10-19 सालों की प्रैक्टिस का अनुभव रखने वाले सभी वकीलों को समान अंक मिल रहे हैं। जयसिंह ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर कर सीनियर डेसिग्नेशन देने के लिए वस्तुनिष्ठ मानदंडों का पालन करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की थी।

कोर्ट ने 2017 में उनकी याचिका में एक निर्णय दिया था, जिसमें कई दिशानिर्देश तैयार किए गए थे और हाईकोर्ट को नियम बनाकर इसे अपनाने का निर्देश दिया था। पिछले साल जयसिंह ने रिट याचिका में एक आवेदन दायर कर आगे के दिशा-निर्देशों की मांग करते हुए कहा कि कई हाईकोर्ट द्वारा बनाए गए नियमों में विसंगतियां हैं। उन्होंने यह निर्देश देने की मांग की कि कट-ऑफ अंक पहले से घोषित किए जाएं और फुल कोर्ट द्वारा गुप्त मतदान की प्रक्रिया को रोका जाए।

भारत के सॉलिसिटर जनरल द्वारा जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगे जाने के बाद पीठ ने बुधवार को आवेदन में मांगी गई अन्य राहतों पर विचार अगले गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “मैं केंद्र सरकार के लिए हूं, मैं दो दिन बाद अपना स्टैंड रखना चाहता हूं। कृपया इसे सुनें। फूल कोर्ट को अंतिम फैसला लेना चाहिए।”

एसजी ने प्रस्तुत किया कि सीनियर डेसिग्नेशन प्रदान करना न्यायालय द्वारा दिया गया सम्मान है और यह व्यक्तिगत साक्षात्कार के अधीन नहीं हो सकता।

जस्टिस ललित ने कहा, “आप यूनियन ऑफ इंडिया के लिए पेश हो रहे हैं, हम यह नहीं कहेंगे कि यूनियन को कोई चिंता नहीं है, हम आपकी राय रिकॉर्ड पर रखना चाहते हैं, लेकिन हम जयसिंह के आवेदन (प्रार्थना के संबंध में) को सीधे अनुमति देंगे।” प्रार्थना (सी) (10-20 वर्षों की प्रैक्टिस के लिए अंक देने संबंधित) के संबंध में पीठ ने कहा कि इसे स्थगित करने का कोई कारण नहीं है क्योंकि सबमिशन विशुद्ध रूप से मामले के टैक्स्ट पर हैं।

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