नई दिल्ली
Minority Scholarship Scam: भारत का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाला सामने आया है । आंतरिक जांच में 21 राज्यों के 1572 संस्थानों में 830 संस्थान फर्जी पाए गए हैं। 34 राज्यों के 100 जिलों में अल्पसंख्यक मंत्रालय ने यह अंतरिक जांच कराई थी। अभी यह जांच जारी है। इन संस्थानों में अभी तक लगभग 53 प्रतिशत फर्जी अभ्यर्थी मिले हैं। इन फर्जी अभ्यर्थियों के जरिए पिछले सिर्फ 5 साल में 830 संस्थान में ही 144.83 करोड़ रुपये का घोटाला हो चुका है। राजस्थान में सबसे ज्यादा फर्जी संस्थान सामने आए हैं।
अभी तक की जांच में कई राज्यों में बनाए गए फर्जी लाभार्थी, फर्जी संस्थान और फर्जी नामों से बैंक खाते सामने आए हैं। शुरुआती जांच में ये मामला सामने आया है कि अल्पसंख्यक संस्थानों, राज्य प्रशासन और बैंकों ने मिलकर भ्रष्टाचार किया। 1572 अल्पसंख्यक संस्थानों की जांच में 830 मदरसे फर्जी/नॉन-ऑपरेशनल पाए गए जिनमें 144 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने आंतरिक जांच में यह घोटाला सामने आने के बाद इसकी CBI जांच के आदेश दिए हैं।
आपको बता दें कि अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति की योजना 2007-8 में शुरू की गई थी। तब से लेकर अब तक हजारों करोड़ के घोटाले का अनुमान है। अल्पसंख्यक मंत्रालय एक लाख 80 संस्थानों को स्कॉलरशिप देता है। इसका फायदा कक्षा 1 से उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले अल्पसंख्यक छात्रों को मिलता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अल्पसंख्यक मंत्रालय ने 10 जुलाई को सीबीआई में अपनी शिकायत दर्ज कराई थी। 34 राज्यों के 100 जिलों में मंत्रालय ने अंतरिक जांच कराई है। 21 राज्यों के 1572 संस्थानों में 830 संस्थान फर्जी पाए गए हैं। लगभग 53 प्रतिशत फर्जी अभ्यर्थी मिले हैं। पिछले सिर्फ 5 साल में मात्र 830 संस्थान में ही 144.83 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। हालांकि बाकी संस्थानों की भी जांच जारी है। अब तक मामलों में फर्जी लाभार्थियों द्वारा छात्रवृत्ति के वास्तविक लाभार्थियों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने और खजाने को 144 करोड़ रुपये के नुकसान की जांच के लिए मामला सीबीआई को सौंप दिया गया है।
मजेदार बात ये है कि यह घोटाला भी कई स्तरों पर हुआ है। जांच सामने आया है कि संस्थान या तो गैर-मौजूद हैं या गैर-कार्यशील हैं, लेकिन राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल और शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (यूडीआईएसई) दोनों पर पंजीकृत हैं।
इन राज्यों के इतने संस्थान निकले फर्जी
- छत्तीसगढ़ में 62 संस्थानों की जांच: सभी फर्जी/ नॉन-ऑपरेशनल
- राजस्थान के 128 संस्थानों की जांच की गई; 99 फर्जी/ नॉन ऑपरेशनल
- असम में 68 प्रतिशत फर्जी
- कर्नाटक 64 प्रतिशत फर्जी
- यूपी में 44 प्रतिशत तक फर्जी
- बंगाल 39 प्रतिशत फर्जी
CBI इन बिंदुओं पर करेगी जांच
संस्थानों के नोडल अधिकारियों ने ओके रिपोर्ट कैसे दे दी, कैसे जिला नोडल अधिकारी ने फर्जी मामलों का सत्यापन किया और कितने राज्यों ने घोटाले को वर्षों तक जारी रहने दिया आदि की जांच सीबीआई करेगी। बैंकों ने लाभार्थियों के लिए फर्जी खाते खोलने की अनुमति कैसे दी। फर्जी आधार कार्ड और केवाईसी की जांच चल रही है।
ऐसे-ऐसे घपले
1. मल्लापुरम, केरल में: एक बैंक शाखा ने 66,000 छात्रवृत्तियां दीं। अल्पसंख्यक छात्रों की पंजीकृत संख्या से अधिक (छात्रवृत्ति मानदंड के अंतर्गत आने वाले)
2. अनंतनाग जम्मू-कश्मीर में एक कॉलेज में पंजीकृत छात्रों की कुल संख्या 5,000 है, जबकि दावा की गई छात्रवृत्तियों की कुल संख्या 7,000 है
3. माता-पिता का एक मोबाइल नंबर जांच के दायरे में: 22 बच्चे और सभी नौवीं कक्षा में।
4. एक अन्य अल्पसंख्यक संस्थान में कोई छात्रावास नहीं और फिर भी प्रत्येक छात्र ने छात्रावास छात्रवृत्ति का दावा किया।
5. असम में कथित तौर पर एक बैंक की एक ही शाखा में 66,000 लाभार्थी। मदरसे में सत्यापन टीम को धमकाया गया। धमकी दी गई कि अगर उन्होंने नामांकित छात्रों और दावा की गई छात्रवृत्ति के विवरण को सत्यापित करने का प्रयास किया तो उन्हें मार दिया जाएगा।
6. पंजाब में अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृत्ति मिल गई, उनका स्कूल में नामांकन भी नहीं हुआ और फिर भी सत्यापन नहीं हुआ।
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