कभी-कभी खुद से भी मिला करो…

मन की खिड़की 

डॉ. विनीता राठौड़ 


कभी-कभी खुद से भी मिला करो
अपने दिल की भी सुन लिया करो
मन के खिड़की- दरवाजे खोलो
सारे अवसादों को हवा से धो लो।

 बहुत सुन ली सबकी बात
बहुत दिया है सबका साथ
सुहानी शाम ले आई चांदनी रात
अब खुद को दे दो अपना ही साथ।

क्यों किसी का साथ जरूरी
क्यों यह जिंदगी रहे अधूरी
खुद अपने से बतिया लिया करो
अंतर्मन की वीणा झंकृत कर लो।

बहुत निभा ली जिम्मेदारी
अब आई है स्वयं की बारी
मायुसी को मारो गोली
खुशियों से भर लो अपनी झोली।

(लेखिका राजकीय महाविद्यालय, नाथद्वारा, राजसमन्द में प्राणीशास्त्र की सह आचार्य हैं)

——— 

अपनी कब चली, पता ही नहीं चला…

मथुरा वृंदावन के बीच दौड़ी नई रेल बस, पुरानी हुई रिटायर, सांसद हेमा मालिनी ने दिखाई हरी झंडी

सात लाख कर्मचारियों को जल्दी मिल सकती है खुशखबर, बोनस देने की तैयारी में सरकार

21 विश्वविद्यालय फर्जी घोषित, UGC ने जारी की सूची, जानें आपके शहर में कौन सी है?

सितम्बर में इस तिथि से शुरू हो रही है शारदीय नवरात्रि, जानें इस बार किस पर सवार होकर आएंगी मां

केंद्र के अब सभी विभागों में मिलेगा यह अलाउंस, पूरी करनी होगी यह शर्त

Indian Railways News: रेलवे अब खत्म करेगा पति-पत्नी की दूरियां, जारी किए ये आदेश

मैटरनिटी लीव को लेकर नया आदेश, अब इन स्थितियों में भी मिल सकती है 60 दिन की छुट्टी, यहां जानिए डिटेल