स्त्री बदल रही है…

मकान को घर बनाती,
तीज-त्यौहार पर श्रृंगार करती,
चूड़ी पायल खनकाती,
घर को गुलजार करती,

आपरेशन सिंदूर…

जय जय जय माँ भारती,
जय ‘ऑपरेशन सिंदूर’।
जय सेना का साहस समर्पण,

पुरस्कार की हकदार…

एक स्कूल में प्रार्थना सभा चल रही थी। हेड मास्टर साहब ने प्रातः अनन्या का नाम पुरस्कार हेतु घोषित किया। अनन्या को समझ में नहीं आया, उसे क्यों बुलाया जा रहा है? उसने तो ऐसा कोई

क्यों सुख चपला सा चमके…

यह दुनिया दर्द का दरिया,
पर यहीं हमें रहना है।
अश्रु को समझ कर मोती
जीवन अपना जीना है।
अपना ही गम

छांव की तलाश…

कब से तलाश रही हूँ छाँव
मिल जाए कोई बरगद
उसकी दूर दूर तक फैली
शीतल छाया में,

ज्ञानपीठ सम्मान से अलंकृत होंगे विनोद कुमार शुक्ल, हिंदी के 12वें साहित्यकार बने

हिंदी साहित्य के प्रख्यात साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल (Vinod Kumar Shukla) को वर्ष 2024 के लिए 59वें ज्ञानपीठ पुरस्कार (Jnanpith Award) से सम्मानित किए जाने की घोषणा की गई है। भारतीय ज्ञानपीठ ने शनिवार को यह

घरों से लुप्त होते रसोईघर…

आइये मेरे साथ कुछ कदम पीछे, एक यादों का झरोखा खोलकर देखिए जो आपको ज्यादा नहीं 20-25 साल पीछे ले जा सके। दादी नानी का घर जिसमें बड़ा सा दालान या

हे बसन्त! तुम फिर से आना…

कैसा ये बसंत आया है,
बसंती रंग न लाया है।
न सरसों खेतों में फूली,
न प्रेयसी बाहों में झूली,
न प्रेम पगी कलियां खिली

ये काल रात्रि अब अंतिम है… 

ये काल रात्रि अब अंतिम है,
कल फ़िर इक नया सवेरा है l
ग़म के सागर छूट गए सब,
खुशियो का नया बसेरा है

अलविदा….2024

कड़कड़ाती ठंड भयंकर शीत लहरी,
कांपते कांपते बीती जनवरी।
बसंत की आहट, ऋतु सुनहरी,