कुछ उधड़े रिश्ते सी लें
कुछ याद पुरानी जी लें।
निष्फिक्र गांव- घर जाने
Tag: poem
याद पुरानी…
चलो, आज कुछ अच्छा करते हैं…
चलो, आज कुछ अच्छा करते हैं।
कष्टों से रोती दुनिया में
शरद पूर्णिमा की रजनी में…
शरद पूर्णिमा की रजनी में…
शरद पूर्णिमा की रजनी में,
करें चन्द्र शुभ दर्शन।
फिर से रावण खड़ा हो गया…
अट्टहास कर दस शीशों से,
फिर से रावण खड़ा हो गया,
मारो जितना मार सको तुम,
मौन…
मर गई मनुजता, हंस रही दनुजता।
मनुज से मनुज की न रही संवेदना।
मनमोहन, तुम जग रखवाले…
मनमोहन, तुम जग रखवाले,
दही- माखन को चुरा लिया,
मैया को अपने मुख भीतर
जिंदादिल मेट्रो…
जिंदादिल मेट्रो
जिंदा है
भागते हुए
उनकी मंजिल होगी…
और कुछ लोग
चाँद पर हम…
भारत माँ को है अभिमान,
लिखा चाॅंद पर हिन्दुस्तान।
सबका गुरु आज है भारत
भारत का अभिमान…
विक्रम पहुंचा चांद पर,
भारत का अभिमान।
रोम- रोम पुलकित हुआ
राष्ट्रप्रेम…
यूॅं तो देश बहुत धरती पर,
भारत सबसे देश महान।
कोई कहे सप्तसिन्धु