दौसा
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मंगलवार को दौसा में पत्रकारों से बातचीत के दौरान ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर राजनीति करने का आरोप लगाया। शेखावत ने कहा कि भारत सरकार ने पुरानी पीकेसी के साथ जोड़कर नया लिंक तय किया है, जिसमें 13 जिलों को न केवल पीने का पानी मिलेगा, बल्कि 2 लाख हेक्टेयर सिंचाई का रकबा भी बढ़ेगा, लेकिन इसे मुख्यमंत्री गहलोत स्वीकार नहीं कर रहे।
गजेंद्र सिंह शेखावत दौसा में भाजपा के ‘मिशन राजस्थान’ को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं से चर्चा करने आए थे। इसी दौरान प्रेस वार्ता में केंद्रीय मंत्री शेखावत ने ईआरसीपी को लेकर विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि पूर्वी राजस्थान के इन 13 जिलों में राज्य की कुल आबादी के 40 प्रतिशत लोग रहते हैं। गहलोत सरकार की राजनीति के चलते इन 13 जिलों की जनता त्रस्त और बदहाल है और यह महत्वाकांक्षी परियोजना सिरे नहीं चढ़ पाई है। शेखावत ने बताया कि वर्ष 2004 से पहले अटल जी की सरकार के समय में नदियों को जोड़ने की परियोजनाओं की परिकल्पना की गई थी। उस समय देश में 31 लिंक चिह्नित किए गए थे। उनमें से एक पार्वती- कालीसिंध-चंबल लिंक मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच भी चिह्नित हुआ था, लेकिन राजस्थान की असहमति के कारण से उस लिंक को उसी समय स्थगित कर दिया गया था।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि वर्ष 2004-14 तक केंद्र में यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार के समय इस पर विचार या काम नहीं हुआ। वर्ष 2014 में मोदीजी के प्रधानमंत्री बनने के बाद इस वापस विचार करना प्रारंभ हुआ। वर्ष 2016 में वसुंधरा राजे सरकार ने ईआरसीपी की परिकल्पना के विषय में विचार किया और वर्ष 2017 में वाप्कोस को डिजाइन बनाने के लिए दिया, लेकिन राजस्थान ने देश के तय मानक 75 प्रतिशत के बजाय 50 प्रतिशत डिपेंडेबिलिटी पर बनाया, जिसे स्वीकृति नहीं मिली। वसुंधरा जी की सरकार के समय ही सीडब्ल्यूसी ने इसे सही करके बनाने के लिए कहा। दुर्भाग्य से सरकार बदली और उसको दुरुस्त करने का अवसर नहीं मिला।
एक भी मीटिंग में नहीं आए सीएम और मंत्री
शेखावत ने कहा कि राजस्थान सरकार के मुखिया अशोक गहलोत को मैंने बार-बार पत्र लिखकर आग्रह किया कि इस पर आगे मार्ग निकालते हैं। हमने दस बार मीटिंगों का आयोजन किया, लेकिन एक भी बार राजस्थान सरकार के जल संसाधन मंत्री, पहले अशोक गहलोत के पास ही इसका दायित्व था, न वो बैठक में आए, न मंत्री उस बैठक में उपस्थित हुआ। प्रधानमंत्री के निर्देश पर जयपुर में 18 अप्रैल 2022 को बैठक रखी, जिसकी एक महीने पहले सूचना मुख्यमंत्री और मंत्री को देखकर समय निश्चित किया। बैठक की पूर्व संध्या पर मुख्यमंत्री और मंत्री की तरफ से कहलवा दिया गया कि वो दोनों नहीं आ सकते। उन्होंने कहा कि उस बैठक में भी राजस्थान के अधिकारियों ने हमारी बात पर सहमति व्यक्त की, लेकिन दुर्भाग्य से ईआरसीपी सिरे नहीं चढ़ पाई।
मंत्री और विधायकों से पूछो सवाल
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि जल जीवन मिशन समेत इस क्षेत्र में पेयजल योजनाएं तभी सफल हो सकती हैं, जब यहां ईआरसीपी पूरी होकर इस लिंक से पानी आ सके। दुर्भाग्य से राजस्थान सरकार को 13 जिलों को पीने और सिंचाई का पानी देने के बजाय राजनीतिक लाभ उठाना था। शेखावत ने कहा कि अब राजस्थान सरकार नया शिगूफा लेकर आई है। वो नवनेरा-गलवा-बीसलपुर-ईसरदा लिंक परियोजना लेकर आई है। उन्होंने कहा कि ईआरसीपी 75 प्रतिशत डिपेंडेबिलिटी बनाते तो राजस्थान को 1750 एमसीएम पानी मिलता, लेकिन 15 हजार करोड़ से बनने वाले इस लिंक से केवल 521 एमसीएम पानी मिलेगा। बीसलपुर के माध्यम से जयपुर, अजमेर और टोंक शहर को पीने का पानी मिलेगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आप यहां के मंत्री और विधायकों से प्रश्न कीजिए कि दौसा को इसके माध्यम से किस तरह पानी मिलेगा। शेखावत ने तंज कसा कि ये 15 हजार करोड़ भी ये सरकार संपत्तियां बेचकर इकट्ठा करेगी, ऐसी उन्होंने घोषणा की है।
40 से अधिक मौजूदा बांध भर जाएंगे
शेखावत ने कहा कि भारत सरकार ने मोदी जी के मार्गदर्शन में ईआरसीपी परियोजना को पुरानी पीकेसी के साथ जोड़कर एक नया लिंक तय किया है। इससे राजस्थान को 2500 एमसीएम पानी मिले, जिसमें राजस्थान सरकार की लिंक परियोजना से पांच गुना अधिक पानी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इसकी लागत 40 हजार करोड़ है, जिसमें न केवल पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों को पीने का पानी मिलेगा, बल्कि ईआरसीपी में जैसा सोचा था, 2 लाख हेक्टेयर नई सिंचाई का रकबा भी बनेगा। 40 से ज्यादा मौजूदा बांधों में पानी भरा जाएगा, जिसमें दौसा का मोरेल बांध भी है। बाढ़ में अतिरिक्त पानी मिलेगा। अधिक रिजर्वायर्स को भर सकते हैं। जो पहले से कमांड एरिया है, उसको भी सपोर्ट मिलेगा। उन्होंने बताया कि इस लिंक प्रोजेक्ट को हमने देश के टॉप 5 प्राथमिकता वाले लिंक्स में शामिल किया है, जिसमें पहले लिंक केन-बेतवा पर काम शुरू हो चुका है। दूसरे नंबर की प्राथमिकता पर इसको रखा है, ताकि राजस्थान और मप्र के बीच सहमति बनते ही इस प्रोजेक्ट पर काम करना प्रारंभ किया जा सके।
40 हजार करोड़ में से 36 हजार करोड़ केंद्र सरकार देगी
शेखावत ने कहा कि 40 हजार करोड़ की इस परियोजना में 90 प्रतिशत ग्रांट नदी जोड़ो प्रोजेक्ट को मिल सकती है। ऐसे में 36 हजार करोड़ भारत सरकार वहन करेगी और 4000 करोड़ रुपए राजस्थान व मप्र को मिलकर वहन करना है। उसमें से भी 1500-1600 करोड़ मुझे बताया गया कि खर्च हो चुका है। केवल 400-500 करोड़ रुपए राजस्थान सरकार खर्च करे तो 13 जिलों को पीने का पानी भी मिलेगा, 2 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचाई के रकबे के तहत आएगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से राजस्थान सरकार इसमें राजनीति कर रही है। राजस्थान के लिए हितकारी इस परियोजना को अपनी स्वीकृति प्रदान नहीं कर रही है, जबकि मप्र अपनी स्वीकृति प्रदान कर चुका है।
मप्र सहमत, पर स्वीकृति नहीं दे रही राजस्थान सरकार
उन्होंने बताया कि पिछले महीने हमने राजस्थान और मप्र को बुलाया था, लेकिन बैठक में राजस्थान के मंत्री ने आना स्वीकार नहीं किया। अधिकारी आए थे, उन्होंने कहा कि हम इससे सहमत हैं। शेखावत ने दो टूक कहा कि इसका दोषी, इसका पापी अगर कोई है तो गहलोत साहब की सरकार और अशोक गहलोत साहब हैं, उनको इस पर निर्णय करना चाहिए। 13 जिलों के प्यासे कंठों की प्यास बुझाने और खेतों की प्यास बुझाने के लिए तुरंत इसको स्वीकृति प्रदान करनी चाहिए, ताकि इसे भारत सरकार आगे बढ़ा सके।
राजस्थान का आम आदमी त्रस्त
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि राजस्थान में जिस तरह अराजकता का माहौल है। कानून-व्यवस्था के साथ समझौता किया जा रहा है। सरकार की प्राथमिकता केवल और केवल कुर्सी बचाने के चलते राजस्थान में जिस तरह की परिस्थितियां बनी हैं, उससे आज राजस्थान का आम व्यक्ति त्रस्त है। राजस्थान का किसान बदहाल है। राजस्थान का युवा अपने भविष्य को लेकर परेशान है। राजस्थान की महिलाएं डरी हुई हैं। राजस्थान की बेटियों के मां-बाप की जान और सांस सांसत में है। यह परिस्थिति राजस्थान में इसलिए हुई है, क्योंकि राजस्थान के मुखिया की प्राथमिकता केवल और केवल कुर्सी पर बने रहने की है।
राजस्थान सरकार पूरी तरह फेल
शेखावत ने कहा कि राजस्थान में जिस तरह से बिजली का संकट गहराया है। ग्रामीण क्षेत्रों में 10-12 घंटे बिजली की कटौती हो रही है। इसे प्रशासन मानने के लिए बाध्य है। कस्बों में 7-8 घंटे, सभी जिला मुख्यालयों में 3-4 घंटे और संभाग मुख्यालयों पर 1-2 घंटे की घोषित बिजली कटौती हो रही है। किसानों को समय बिजली न मिलने के कारण से फसल चौपट और बर्बाद हो गई। प्रदेश के लगभग सभी डिस्कॉम के ऑफिस के बाहर किसान लगातार धरना देकर बैठे हैं। राजस्थान की सरकार पूरी तरह से फेल हो गई है।
मिशन राजस्थान की चर्चा की
वहीं, पूर्वी राजस्थान के प्रवास के पहले दिन शेखावत ने पार्टी की संगठनात्मक बैठकों में मिशन राजस्थान को लेकर विस्तार से चर्चा की। मुख्य रूप से ईआरसीपी को लेकर राज्य की कांग्रेस सरकार की कुटिलता और भ्रमित करने वाली छवि के विषय में विस्तार से बताया। आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर उन्होंने बूथ पर काम करने और केन्द्र सरकार की योजनाओं, उपलब्धियों की विस्तार जानकारी दी। कार्यकर्ताओं को मिशन राजस्थान का लक्ष्य अर्जित करने के जोश के साथ बूथ जीतने का संकल्प दिलाया। दौसा जिले की बैठक में स्थानीय सांसद जसकोर मीणा, पूर्व सांसद रामकुमार वर्मा, प्रभु दयाल शर्मा, वीरेन्द्र मीणा, प्रदेश मंत्री नीलम गुर्जर, पूर्व राज्यमंत्री भूपेन्द्र सैनी, पूर्व विधायक शंकर लाल शर्मा, जिला उपाध्यक्ष राजेंद्र शर्मा दौसा विधानसभा संयोजक महेंद्र तिवारी वर्तमान और पूर्व जिला अध्यक्ष, वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता मौजूद रहे।
नई हवा’ की खबरें नियमित और अपने मोबाइल पर डायरेक्ट प्राप्त करने के लिए व्हाट्सएप नंबर 9460426838 सेव करें और ‘Hi’ और अपना नाम, स्टेट और सिटी लिखकर मैसेज करें
राजस्थान में भीषण एक्सीडेंट: सवारियों से भरी जीप में घुसा बेकाबू ट्रक, 6 की मौत
सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के LTC के बदले नियम, अब पहले से ज्यादा फायदे