गीत
विश्वानि देव अग्रवाल, बरेली
यूॅं तो देश बहुत धरती पर,
भारत सबसे देश महान।
कोई कहे सप्तसिन्धु इंडिया,
तो कोई भारत हिन्दुस्तान।।
यहाँ एकता का निवास है,
कुदरत दिखलाती हर रंग।
ईद दिवाली हो या होली,
सब में रहती एक उमंग।।
मानवता से नाता सबका,
एक दूजे में बसते प्राण।
यूॅं तो देश बहुत धरती पर,
भारत सबसे देश महान।।
पावन सुंदर और पवित्र है,
धरती ऋषियों पीरों की।
घर – घर गाथा गाई जाती,
योद्धाओं और वीरों की।।
मातृभूमि मेरी मैं इसका,
हर पल मुझको है अभिमान।
यूं तो देश बहुत धरती पर,
भारत सबसे देश महान।।
दिल से दिल का रिश्ता सबका,
करुणा प्रेम हैं करते राज।
महक यहाँ श्रद्धा विश्वास की,
हर विभूति का सिर पर ताज।।
कोई नहीं है गैर यहाँ पर,
द्वेष बैर का नहीं निशान।
यूँ तो देश बहुत धरती पर,
भारत सबसे देश महान।।
धर्म मजहब में बंटा न कोई,
सभी हैं बस भारतवासी।
अजमेर भी दिल का टुकड़ा,
हृदय हमारा है काशी।।
आरती होती नित्य यहाँ पर,
होती प्रतिदिन यहाँ अजान।
यूँ तो देश बहुत धरती पर
भारत सबसे देश महान।।
शान्तिदूत है देश हमारा,
भव्य तिरंगा इसकी शान।
जयहिंद है नारा इसका,
वन्देमातरम् है पहचान।।
अक्षुण्ण शान रखेंगे इसकी,
अमर रहे इसकी पहचान।
यूँ तो देश बहुत धरती पर
भारत सबसे देश महान।।
(लेखक स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया के सेवानिवृत वरिष्ठ अधिकारी हैं)
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