जयपुर
ज्यूडिशियरी में भ्रष्टाचार को लेकर दिए अपने बयान को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चारों तरफ से घिरते जा रहे हैं। जहां उनके इस बयान के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में PIL दायर कर दी गई है वहीं वकीलों और पूर्व जज ने गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कई बार एसोसिएशन ने गहलोत के बयान के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किए हैं; वहीं जोधपुर में वकीलों ने हाईकोर्ट और अधीनस्थ अदालतों में एक दिन की सांकेतिक कार्य बहिष्कार की घोषणा की है। जयपुर हाई कोर्ट बार, जयपुर बार, राजस्थान के समस्त अधीनस्थ बार, जिला बार जयपुर में भी एक सितम्बर को कार्य का बहिष्कार जारी रहेगा। वकीलों ने हाईकोर्ट परिसर में बयान के विरोध में गहलोत का पुतला भी जलाया। इस बीच चारों ओर से घिरता हुआ देख गहलोत की सफाई भी सामने आई है जिसमें उन्होंने कहा है ऐसी बातें तो पहले भी की जाती रही हैं।
गहलोत का ज्यूडिशियरी पर बड़ा हमला: बोले- वकील लिखकर लाते हैं वही आता है फैसला
आपको बता दें कि मुख्यमत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान अचानक ऐसा बयान दे दिया कि बवाल खड़ा हो गया। गहलोत ने कहा था कि आज न्यायपालिका में भयंकर भ्रष्टाचार हो रहा है। कई वकील तो जजमेंट लिखकर ले जाते हैं। वही जजमेंट आता है। चाहे लोअर ज्यूडिशियरी हो या अपर। गहलोत के इसी बयान का न्यायिक जगत में तीखा विरोध हो रहा है। राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ में आज अशोक गहलोत के खिलाफ अवमानना कार्रवाई के लिए जनहित याचिका दायर की गई। इस पर अगले सप्ताह सुनवाई हो सकती है।
जनहित याचिका एडवोकेट शिवचरण गुप्ता की ओर से दायर की गई है, जिसमें कहा है कि सीएम गहलोत ने जानबूझकर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर न्यायपालिका की छवि को नुकसान पहुंचाया है। वकील समुदाय को सीएम की ओर से न्यायपालिका व वकीलों के संबंध में दिया गया बयान बर्दाश्त नहीं है। गहलोत का बयान न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला व प्रतिष्ठा को गिराने वाला है। गहलोत का बयान न्यायिक अधिकारियों और वकीलों की प्रतिष्ठा को नीचा दिखाने का प्रयास है। याचिका में मांग की गई है कि इस बयान को लेकर हाईकोर्ट संविधान के अनुच्छेद 215 के तहत अशोक गहलोत के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई के लिए स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान ले। इधर बूंदी में दायर परिवाद पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 5 सितंबर को सुनवाई तय की है।
पूर्व जज बोले त्वरित कार्रवाई की जाए
इस बीच राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुनील अंबबानी और इलाहाबाद के पूर्व मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर ने सीएम के बयान को गंभीरता से लेते हुए त्वरित कार्रवाई करने और आरोपों की जांच कराने की मांग की है। पूर्व जज सुनील अंबबानी ने कहा कि सीएम के बयान की भर्त्सना के लिए तत्काल हाईकोर्ट की पूर्णपीठ की बैठक बुलाई जाए और आगामी रणनीति तय की जाए। साथ ही, सभी जिला न्यायाधीशों को परिपत्र जारी कर ऐसी किसी भी शिकायत के बारे में जानकारी मांगी जाए।
पूर्व जज गोविन्द माथुर का कहना था कि सीएम अशोक गहलोत का बयान गैरजिम्मेदाराना और आपत्तिजनक होने के साथ ही अवमाननाकारक व आमजन के बीच न्यायपालिका की छवि गिराने वाला है। सीएम को समझना चाहिए कि न्यायपालिका हमारे संविधान के तीनों अंगों में महत्वपूर्ण स्थान रखती है और जनता को उस पर प्रगाढ़ विश्वास है। ऐसा कोई प्रयास नहीं होना चाहिए, जो न्यायपालिका को ठेस पहुंचाए।
माथुर ने कहा कि यह गंभीर मामला है, बेवजह न्यायपालिका को आघात पहुंचाया है। यदि सीएम के पास कुछ जानकारी थी, तो पहले सीजे से बात करते। उन्होंने सीएम से सवाल किया कि क्या बयान देने से पहले सीजे से बात की गई। सीएम का बयान राजस्थान हाईकोर्ट के सीजे को महाधिवक्ता को बुलाकर स्पष्टीकरण लेना चाहिए व वरिष्ठ न्यायाधीशों की कमेटी बनाकर आरोपों की जांच करानी चाहिए।
जलाया गहलोत का पुतला
वकीलों ने हाईकोर्ट परिसर में बयान के विरोध में गहलोत का पुतला भी जलाया। वकीलों की मांग है कि गहलोत तुरंत अपने बयान के लिए माफी मांगे। बयान के विरोध में वकील गांधी प्रतिमा के पास एकत्रित हुए। यहां उन्होंने सीएम गहलोत के खिलाफ नारेबाजी की और उनका पुतला जलाया।
गहलोत की आई यह सफाई
मुख्यमंत्री गहलोत ने गुरुवार को अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा है कि जो आरोप लगाए हैं वे उनकी निजी राय नहीं हैं और ऐसे आरोप पहले भी लगते रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैंने हमेशा न्यायपालिका का सम्मान एवं उस पर विश्वास किया है। हर नागरिक को न्यायपालिका का सम्मान करना चाहिए और उस पर विश्वास करना चाहिए। इससे लोकतंत्र मजबूत होगा। समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट के अनेकों पूर्व न्यायाधीशों व पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने न्यायपालिका में भ्रष्टाचार पर टिप्पणियां कर चिंता जाहिर की है। मुख्यमंत्री के रूप में जजों की नियुक्ति के लिए हाईकोर्ट कॉलेजियम के जो नाम हमारे पास टिप्पणी के लिए आते हैं, मैंने उन पर भी कभी कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की है।
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