जयपुर
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) को लेकर राजस्थान-मध्यप्रदेश के बीच रविवार शाम सहमति बन गई। इसके लिए दिल्ली में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मौजूदगी मध्यप्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव और राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा ने MOU साइन किया। इससे पूर्व दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच जयपुर में इस प्रोजेक्ट को लेकर वार्ता हुई।
इससे राजस्थान के 13 जिलों में 2.80 लाख हैक्टेयर सिंचाई क्षेत्र के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध होगा। खेत-खलिहानों के साथ औद्योगिक और वन क्षेत्रों को बढ़ावा मिलेगा। वहीं, वर्षों से चल रही पेयजल की समस्या का समाधान भी होगा।
दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कही ये बात
ERCP को लेकर बनी सहमति के बात दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री पत्रकारों से मुखातिब हुए। इस दौरान राजस्थान के सीएम भजन लाल शर्मा ने कहा कि हमारी जब से सरकार बनी तब से लगातार बातचीत चल रही थी। यह राजस्थान और मध्य प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण योजना है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का नदी से नदी जोड़ने का जो सपना था। उसमें मध्य प्रदेश और राजस्थान आ रहा था। अटल जी के समय नींव रखी गई। लेकिन, उसके बाद कांग्रेस की सरकार आ गई। 2013 में जब सरकार आई हमने फिर इस पर काम किया। इसकी डीपीआर बनाने का काम भी हुआ। इसके बाद दोनों जगह अलग-अलग पार्टियों की सरकार बनी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने संकल्प पत्र में प्रदेशवासियों से ईआरसीपी सहित जो वादे किए हैं, उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में मिलकर परिणीति तक पहुंचाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ईआरसीपी से राजस्थान के झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर एवं टोंक जिलों को पानी की समस्या से राहत मिलेगी। यह परियोजना पूर्वी राजस्थान के लोगों के लिए वरदान साबित होगी। उन्होंने कहा कि इससे पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी का नदी से नदी जोड़ने का सपना भी साकार होगा।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कि एमपी में हमारी सरकार बनी, लेकिन राजस्थान की तत्कालीन गहलोत सरकार ने ध्यान नहीं दिया। अब मुझे इस बात का संतोष है कि जैसे ही राजस्थान में भाजपा की सरकार बनी इस मुद्दे पर काम शुरू हुआ। मध्य प्रदेश सरकार तो पहले से इस मुद्दे को ले रही थी। इस योजना के पूरा होने से शिवपुरी, ग्वालियर, भिंड, मुरैना, इंदौर, देवास, सहित कई जिलों में न केवल पेयजल बल्कि औद्योगिक जरूरत को पूरा करेगी। इसमें 7 डेम बनेंगे। अभी कुछ मुद्दों पर अधिकारी लेवल पर चर्चा जारी है।
क्या है योजना
ईआरसीपी से राजस्थान के 13 जिलों में रहने वाले लोगों की प्यास बुझाई जा सकती है। 13 जिलों में 26 विभिन्न बड़ी व मध्यम परियोजनाओं के जरिये 2.8 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई के लिए जल उपलब्ध कराया जाएगा। इस योजना के शुरू होने से झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, करौली, अलवर, भरतपुर, दौसा और धौलपुर जिलों के लोगों को काफी फायदा होगा।
वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली तत्कालीन बीजेपी सरकार ने साल 2017 में ईआरसीपी पर काम शुरू किया था, तब 37,237 करोड़ रुपए की लागत का अनुमान था। कांग्रेस राज में ईआरसीपी पर करीब 1600 करोड़ खर्च किए जा चुके हैं। लेकिन, देरी के चलते ईआरसीपी की लागत अब 45,000 करोड़ तक पहुंच गई है।
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