नई दिल्ली
लम्बे आरसे के बाद आखिर रेलवे ने विभिन्न जोनों में DRM स्तर के 20 अधिकारियों की नियुक्ति कर दी है। अब रेलवे बोर्ड के सदस्यों और लगभग आधा दर्जन से अधिक महाप्रबंधक (GM) पदों पर भी नियुक्ति की प्रक्रिया शीघ्र शुरू होने के संकेत मिले हैं। इसे रेलवे में प्रशासनिक सुधार की दिशा में उठाया जाने वाला बड़ा कदम माना जा रहा है।
दरअसल विभिन्न जोनों में ये नियुक्तियां कई वर्षों से लंबित पड़ी थी। इसके लिए अंदरूनी समिति भी गठित हुई, लेकिन यह समिति भी कोई सिफारिश या फैसला नहीं कर पाई। नतीजतन जमीनी स्तर पर रेलवे का कामकाज प्रभावित हो रहा था।
रेलवे में प्रशासनिक सुधार की दिशा में अब जाकर DRM स्तर के 20 अधिकारियों की नियुक्ति की सूची जारी कर दी गई है। हालांकि रेलवे बोर्ड के सदस्यों और लगभग आधा दर्जन से अधिक महाप्रबंधक (GM) पदों पर नियुक्ति का सबको इंतजार है।
किसको कहां लगाया
आदेशों के अनुसार डिवीजनल रेलवे मैनेजरों (DRM) की सूची में रेलवे बोर्ड में कार्यरत दो अफसरों के भी नाम हैं। इनमें मनीष तिवारी को कोटा और मनदीप सिंह भाटिया को अंबाला में नियुक्ति किया गया है। मोहम्मद सज्जाद हाशमी को दक्षिण रेलवे के खड़गपुर डिवीजन, राजीव धनखड़ को अजमेर, इंदुरानी दुबे को पुणे, नीरम वर्मा को (बीसीटी) मुंबई सेंट्रल, अरुण राठौड़ को चक्रधरपुर में तैनाती मिली है।
इसी तरह विकास चौबे को मालदा, प्रवीण पांडेय को बिलासपुर, विनीत सिंह को संबलपुर, विवेकशील को जबलपुर, रजनीश कुमार गोयल को (छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस) मुंबई, हर्ष खरे को हुबली, संजीव कुमार को रायपुर, एम. रामचंद्रन को गुंटूर, संदीप श्रीवास्तव को नांदेड़, रजनीश कुमार को रतलाम, नीरज कुमार दोहरे को सोलापुर, रेखा यादव को इज्जत नगर और आदित्य कुमार को (एलजेएन) लखनऊ डिवीजन का DRM बनाया गया है।
अब होंगी GM की नियुक्तियां
इस बीच संकेत मिले हैं कि DRM की नियुक्तियों के बाद अब रेलवे में जल्दी ही GM की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू होगी। रेलवे के कुल 17 जोनों में से आधा दर्जन में पूर्णकालिक महाप्रबंधक (GM) नहीं हैं। उनकी जगह अफसर कार्यवाहक GM के रूप में काम कर रहे हैं। इससे रेलवे की प्रशासनिक व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही हैं। जिन अधिकारियों की वहां नियुक्ति होनी है, उनकी सांसे अटकी हुई हैं। क्योंकि रेल मंत्रालय में प्रशासनिक सुधार की दिशा में वरिष्ठ अफसरों को कार्यक्षमता के आधार पर नियुक्त करने का सैद्धांतिक फैसला लिया गया है। इसे कार्यरूप देने में समय लग रहा है, जिससे वरिष्ठता के आधार पर नियुक्ति वाले प्रतीक्षारत अफसरों की परेशानी बढ़ गई है। DRM की नियुक्तियों में वरिष्ठता वाला फार्मूला ही अपनाया गया है।
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