लखनऊ
बाद बदायूं के तीन पूर्व मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (CMHO)के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। बदायूं जिला अस्पताल में 2004 से 2006 के बीच हुए इस घोटाले की जांच आर्थिक अपराध शाखा (EOW) कर रहा था। जांच पूरी होने के बाद अब CMO समेत 7 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है।
इनके खिलाफ दर्ज हुआ केस
बदायूं के तत्कालीन CMO डॉ. हरिराम, डॉ. एमपी बंसल, डॉ. सुधाकर द्विवेदी व बदायूं जिला चिकित्सालय के तत्कलीन SMO डॉ. सीपी सिंघल, तत्कलीन फार्मासिस्ट अनुपम कुमार दुबे, आरबी यादव व सुरेश चौरिसिया। इन सभी आरोपियों पर भृष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोप है कि इन आरोपियों ने फर्जी नोटिफिकेशन के जरिए करोड़ों की दवाओं की खरीद कर सरकारी धन को लूटा था।
EOW की जांच में सामने आया है कि 2004 से 2006 तक बदायूं जिले में तैनात रहे सीएमओ ने अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से दवाओं की आपूर्ति के लिए फर्जी नोटिशफिकेशन जारी कर अपने खास लोगों के मेडिकल स्टोर से करोड़ों रुपए की दवाओं की आपूर्ति करवाई थी।
अनाधिकृत फार्मेसी को सप्लाई का ठेका
जांच में सामने आया कि दवाओं की सप्लाई का ठेका जिन फार्मासूटिकल कंपनियों को दिया गया वो उत्तर प्रदेश ड्रग एंड फार्मेसी लिमिटेड में रजिस्टर्ड ही नही थी। इतना ही नहीं दवाओं की आपूर्ति को कोई डिमांड नोटिफिकेशन भी यूपी मेडिकल सप्लाई कॉर्पोरशन से जारी नही किया गया था।
साल 2004 से 2006 के बीच बदायूं सीएमओ की तरफ से यूपीडीपीएल को कोई भी दवा के लिए मांगपत्र नहीं मिला था और न ही यूपीडीपीएल ने किसी भी मेडिकल स्टोर को दवाओं की आपूर्ति के लिए कहा था। ऐसे में यह साफ है कि तत्कालीन सीएमओ ने अधिकारियों, कर्मचारियों व मेडिकल स्टोर संचालकों के साथ मिलकर करोड़ों की बंदरबांट की।
नकली दवाओं की सप्लाई
साल 2004 से 2006 तक बदायूं जिले के सीएमओ और सीएमएस ने दवाओं की खरीद की थी। सभी सरकारी अस्पतालों को जाने वाली दवाओं में नकली दवाओं की खरीद भी की गई थी। यह खेल साल 2008 में उजागर हुआ था। मामला सुर्खियों में आया तो सकी जांच शुरू हो गई। 14 फरवरी 2008 को दवाओं के इस घोटाले की जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा लखनऊ को सौंपी गई थी।
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