रेलवे का निजीकरण नहीं अब रेलवे स्टेशनों के नाम बिकेंगे, जानिए इसकी वजह

नई दिल्ली | नई हवा ब्यूरो 

रेलमंत्री अनिल वैष्णव ने कई मौकों पर कहा है कि रेलवे का निजीकरण किसी भी सूरत में नहीं किया जाएगा। लेकिन रेलवे ने अब निजीकरण करने के बजाए अपनी कमाई बढ़ाने का दूसरा ही कदम उठाया है। अब वह  दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro) की तर्ज पर अपने स्टेशनों के नाम बेचकर खजाना भरेगा। इस योजना के तहत कंपनियों को एक से तीन साल तक स्टेशन के नाम के साथ ब्रांड के प्रचार का मौका मिलेगा।

रेलवे बोर्ड (Railway Board) ने को-ब्रांड‍िंग योजना के तहत यह फैसला किया है। यानी अब कंपनियां  रेलवे स्टेशनों पर अपना प्रचार कर सकेंगी। इसके तहत कंपनियां प्रमुख स्टेशनों के नाम के साथ अपना नाम जोड़ सकेंगी। इससे इन कंपनियों के नाम का प्रचार होगा और रेलवे की कमाई भी बढ़ जाएगी। आपको बता दें कि दिल्ली मेट्रो आईटीओ, वैशाली और नोएडा सिटी सेंटर जैसे कई स्टेशनों के नाम  बेच कर अपनी कमाई के द्वार खोले हैं। अब रेलवे भी उसी राह पर है।

ये होंगी शर्तें
रेलवे बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार  जिस कम्पनी को स्टेशन का नाम बेचा जाएगा; उसकी एवज में उन कंपनियों और फर्मों को तय शुल्क देना होगा। स्टेशन के नाम के आगे और पीछे सिर्फ दो शब्द जोड़ने की अनुमति होगी। अगर शब्दों की संख्या अधिक है तो ब्रांड के लोगो का प्रयोग किया जा सकता है। रेलवे  अधिकारियों का कहना है कि स्वामी नारायण छपिया, पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन और वीरांगना लक्ष्मीबाई जंक्शन जैसे ऐतिहासिक और धार्मिक नाम वाले रेलवे स्टेशनों पर को-ब्रांड‍िंग योजना लागू नहीं होगी।

जितना बड़ा स्टेशन उतना शुल्क
रेलवे ने हालांकि स्टेशन का नाम बेचने का शुल्क अभी फाइनल नहीं किया है, लेकिन मन जा रहा है कि शुल्क स्टेशनों के हिसाब से तय होगा यानी छोटा स्टेशन होगा तो उसका शुल्क काम लिया जाएगा और बड़े स्टेशनों का शुल्क ज्यादा होगा

शराब और पान मसाला बनाने वाली कंपनियों से परहेज
रेल अधिकारियों के अनुसार स्टेशनों के नाम केवल उन्हीं कंपनियों को बेचे जाएंगे जिनकी साफ-सुथरी छवि है। शराब और पान मसाला बनाने वाली कंपनियों से परहेज किया जाएगा। इस योजना के तहत कंपनियों को एक से तीन साल तक स्टेशन के नाम के साथ ब्रांड के प्रचार का मौका मिलेगा।

रेलवे अधिकारियों ने बताया कि  प्रचार-प्रसार सिर्फ स्टेशन परिसर में ही होंगे। टिकट, पार्सल और अन्य अधिकृत मूल अभिलेखों पर ब्रांड का नाम अंकित नहीं होगा। स्टेशन के साथ ब्रांड के नाम की घोषणा नहीं होगी। नई व्यवस्था के तहत रेलवे अब एजेंसी नहीं बल्कि कंपनियों, फर्मों और संस्थाओं को सीधे विज्ञापन देगा।

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